King Porus Biography In Hindi दोस्तों नमस्कार आज हम बात करेगे प्राचीन भारत के पराक्रमी सम्राट राजा पोरस या राजा पुरुवास की जिनका जन्म सिंध प्रान्त पंजाब में शुरशेन वंश (यदुवंशी) में हुआ था. जो कि श्री कृष्णा के उपासक थे.
पोरस राजा बमनी और अनुसुइया के बेटे थे, उनकी पत्नी का नाम लची था. गांधार का राजा आम्भी उनका मामा था. जिनका साम्राज्य झेलम नदी से चेनाब नदी फैला हुआ था.
राजा पोरस की शारीरिक रचना भी अद्भुत थी, उनकी उचाई 7.5 फिट थी. एक कुशल राजा होने के साथ ही वे अपने राज्य की प्राकर्तिक और भौगोलिक जानकार थे.
राजा पोरस का समय कार्यकाल 340 ईसापूर्व से 315 ईसापूर्व तक माना जाता है.
सिकंदर और पोरस युद्ध (Sikandar and Porus Battle in Hindi)
राजा पोरस को इसलिए जाना जाता है क्योकि उन्होंने सिकंदर से युद्ध लड़ा था जो कि आज भी काफी प्रसिद्ध है. इस युद्ध को “BATTLE OF HYDASPES” भी कहा जाता है, HYDASPES झेलम नदी का ग्रीक नाम है.
ये वही सिकंदर है जो कि सम्पूर्ण विश्व को जितने के उद्देश से भारत आया था.
कई राजाओ को अपने अधीन करने के बाद वह सिंध प्रान्त की अग्रसर हुआ था. जो कि वर्तमान में लाहौर पाकिस्तान में स्थित है.
राजा पोरस की बहादुरी और वीरता के बारे एलेग्जेंडर (सिकंदर Alexander) भलीभांति वाकिफ था.
राजा पोरस की सेना में 20,000 पैदल सैनिक, 4000 घुड़सवार, 4000 रथ और 130 हाथियों का बल था. उनको खोख्ररो का भी समर्थन प्राप्त था.
जिन्होंने राजपूत सम्राट पृथ्वीराज चौहान की हत्या का बदला लेने के लिए मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार दिया था.
इसलिए उसने राजा पोरस को संधि प्रस्ताव भेजा. जिसे राजा पोरस ने अस्वीकार्य कर दिया. राजा पोरस के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि था.
सिकंदर ने राजा पोरस के शत्रु आम्भी को अपनी सेना में लाकर झेलम नदी पार की और युद्ध के लिए आगे बड़ा क्योकि झेलम को पर किये बगैर सम्राट पोरस के राज्य में दाखिल होना नामुमकिन था.
आम्भी गांधार के राजा थे और पोरस को अपना दुश्मन समझते थे इसलिए उन्होंने सिकंदर से संधि कर उसकी सहायता की थी. जिसके बाद भयंकर युद्ध की शुरुआत हुई.
इस युद्ध में पहले ही दिन सिकंदर को पोरस के पराक्रम का एहसास हो गया. पोरस की सेना के पास बलशाली गजसेना के साथ अद्भुत हथियार भी सम्मिलित थे.
जिससे एक ही सैनिक कई शत्रु सैनिको को और घुड़सवार सैनिको को मर सकते थे. युद्ध में पोरस की सेना के कई सैनिक हताहत हुए और वीरगति को प्राप्त हुए.
राजा पोरस के भाई अमर ने अपने युद्ध कौशल से सिकंदर के घोड़े भवक्पाली (bukifilus) को वध कर दिया और सिकंदर को युध्भूमि पर गिरा दिया.
सिकंदर अपनी मृत्यु से क्षनिक दूर पोरस के हाथो की कृपान में देख चूका था. तभी सिकंदर के अंगरक्षक उसे तेजी से वहाँ से ले गए. यह सिकंदर का इकलौता और अंतिम युद्ध था. सिकंदर की मृत्यु समुद्री मार्ग से जाते समय बिच बबिलोन में हुई.
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पोरस की मृत्यु (Porus Death Hindi)
इतिहासकारो के अनुसार सिकंदर के सेनापति युदोमोस ने ही राजा पोरस की हत्या की थी परन्तु इस बात के कोई पुख्ता स्त्रोत नहीं है.
एक मत तो यह भी हैं कि आचार्य चाणक्य ने ही पोरस की हत्या करवाई थी क्योकि चन्द्रगुप्त के साम्राज्य विस्तार में बाधक बन सकते थे.
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राजा पोरस वास्तव में राष्ट्र रक्षक थे। उनको राष्ट्रहित सर्वोपरि था । युगों-युगों तक पोरस महान का नाम सम्मान से लिया जाएगा ।
पोरस एक महान भारतीय यदुवंशी राजा थे जिनका आज हम नाम लेने में गौरव महसूस करते हैं मेरा मानना है प्रत्येक भारतीय को यह समझना चाहिए कि हमारे परम पराक्रमी महान राजाओं ने किस तरह विदेशी ताकतों को रोका बल्कि उन्हें हराया भी
पोरस का जन्म किस तारीख को हुआ था