स्वामी विवेकानंद भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति थे. जिन्होंने संपूर्ण विश्व को भारत की संस्कृति, धर्म के मूल आधार और नैतिक मूल्यों से परिचय कराया. स्वामी जी वेद, साहित्य और इतिहास की विधा में निपुण थे. स्वामी विवेकानंद को सयुंक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में हिन्दू आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार प्रसार किया. उनका जन्म कलकत्ता के के उच्च कुलीन परिवार में हुआ था. उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था. युवावस्था में वह गुरु रामकृष्ण परमहंस के संपर्क में आये और उनका झुकाव सनातन धर्म की और बढ़ने लगा.
गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने के पहले वह एक आम इंसान की तरह अपना साधारण जीवन व्यतीत कर रहे थे. गुरूजी ने उनके अन्दर की ज्ञान की ज्योति जलाने का काम किया. उन्हें 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में दिए गए अपने भाषण के लिए जाना जाता हैं. उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत “मेरे अमरीकी भाइयो एवं बहनों” कहकर की थी. स्वामी विवेकानंद की अमेरिका यात्रा से पहले भारत को दासो और अज्ञान लोगों की जगह माना जाता था. स्वामी जी ने दुनिया को भारत के आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन कराये.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | स्वामी विवेकानंद |
वास्तविक नाम (Real Name) | नरेन्द्र दास दत्त |
पिता का नाम (Father Name) | विश्वनाथ दत्त |
माता का नाम (Mother Name) | भुवनेश्वरी देवी |
जन्म दिनांक (Birth Date) | 12 जनवरी 1863 |
जन्म स्थान (Birth Place) | कलकत्ता |
पेशा (Profession) | आध्यात्मिक गुरु |
प्रसिद्दी कारण (Known For) | संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धांतों का प्रसार |
गुरु का नाम (Guru/Teacher) | रामकृष्ण परमहंस |
मृत्यु दिनांक (Death) | 4 जुलाई 1902 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | बेलूर मठ, बंगाल |
स्वामी विवेकानंद का जन्म और परिवार (Swami Vivekananda Birth and Family)
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के गौरमोहन मुखर्जी स्ट्रीट में हुआ. स्वामी जी के बचपन का नाम नरेन्द्र दास दत्त था. वह कलकत्ता के एक उच्च कुलीन परिवार के सम्बन्ध रखते थे. इनके पिता विश्वनाथ दत्त एक नामी और सफल वकील थे. वह कलकत्ता में स्थित उच्च न्यायालय में अटॅार्नी-एट-लॉ (Attorney-at-law) के पद पर पदस्थ थे. माता भुवनेश्वरी देवी बुद्धिमान व धार्मिक प्रवृत्ति की थी. जिसके कारण उन्हें अपनी माँ से ही हिन्दू धर्म और सनातन संस्कृति को करीब से समझने का मौका मिला.
स्वामी विवेकानंद का बचपन (Swami Vivekananda Childhood)
स्वामी जी आर्थिक रूप से संपन्न परिवार में पले और बढे. उनके पिता पाश्चात्य संस्कृति में विश्वास करते थे इसीलिए वह उन्हें अग्रेजी भाषा और शिक्षा का ज्ञान दिलवाना चाहते थे. उनका कभी भी अंग्रेजी शिक्षा में मन नहीं लगा. बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के बावजूद उनका शैक्षिक प्रदर्शन औसत था. उनको यूनिवर्सिटी एंट्रेंस लेवल पर 47 फीसदी, एफए में 46 फीसदी और बीए में 56 फीसदी अंक मिले थे.
माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थी वह नरेन्द्रनाथ (स्वामीजी के बचपन का नाम) के बाल्यकाल में रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करती थी. जिसके बाद उनकी आध्यात्मिकता के क्षेत्र में बढते चले गयी. कहानियाँ सुनते समय उनका मन हर्षौल्लास से भर उठता था.रामायण सुनते-सुनते बालक नरेन्द्र का सरल शिशुहृदय भक्तिरस से भऱ जाता था. वे अक्सर अपने घर में ही ध्यानमग्न हो जाया करते थे. एक बार वे अपने ही घर में ध्यान में इतने तल्लीन हो गए थे कि घर वालों ने उन्हें जोर-जोर से हिलाया तब कहीं जाकर उनका ध्यान टूटा.
स्वामी विवेकानंद का सफ़र (Swami Vivekananda Life Journey)
वह 25 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने अपना घर और परिवार को छोड़कर संन्यासी बनने का निर्धारण किया. विद्यार्थी जीवन में वे ब्रह्म समाज के नेता महर्षि देवेंद्र नाथ ठाकुर के संपर्क में आये. स्वामी जी की जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने नरेन्द्र को रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी.
स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी दक्षिणेश्वर के काली मंदिर के पुजारी थे. परमहंस जी की कृपा से स्वामी जी को आत्मज्ञान प्राप्त हुआ और वे परमहंस जी के प्रमुख शिष्य हो गए.
1885 में रामकृष्ण परमहंस जी की कैंसर के कारण मृत्यु हो गयी. उसके बाद स्वामी जी ने रामकृष्ण संघ की स्थापना की. आगे चलकर जिसका नाम रामकृष्ण मठ व रामकृष्ण मिशन हो गया.
शिकागो विश्व धर्म सम्मेलन (Swami Vivekananda’s chicago Dharma Sammelan)
11 सितम्बर 1893 के दिन शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन का आयोजन होने वाला था. स्वामी जी उस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
जैसे ही धर्म सम्मेलन में स्वामी जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से भाषण की शुरुआत की और कहा “मेरे अमेरिकी भाइयो और बहनों” वैसे ही सभागार तालियों की गडगडाहट से 5 मिनिट तक गूंजता रहा. इसके बाद स्वामी जी ने अपने भाषण में भारतीय सनातन वैदिक संस्कृति के विषय में अपने विचार रखे. जिससे न केवल अमेरीका में बल्कि विश्व में स्वामीजी का आदर बढ़ गया.
स्वामी जी द्वारा दिया गया वह भाषत इतिहास के पन्नों में आज भी अमर है. धर्म संसद के बाद स्वामी जी तीन वर्षो तक अमेरिका और ब्रिटेन में वेदांत की शिक्षा का प्रचार-प्रसार करते रहे. 15 अगस्त 1897 को स्वामी जी श्रीलंका पहुंचे, जहां उनका जोरदार स्वागत हुआ.
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स्वामी विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग (Swami Vivekananda Story in Hindi)
जब स्वामी जी की ख्याति पूरे विश्व में फैल चुकी थी. तब उनसे प्रभावित होकर एक विदेशी महिला उनसे मिलने आई. उस महिला ने स्वामी जी से कहा- “मैं आपसे विवाह करना चाहती हूँ.” स्वामी जी ने कहा- हे देवी मैं तो ब्रह्मचारी पुरुष हूँ, आपसे कैसे विवाह कर सकता हूँ? वह विदेशी महिला स्वामी जी से इसलिए विवाह करना चाहती थी ताकि उसे स्वामी जी जैसा पुत्र प्राप्त हो सके और वह बड़ा होकर दुनिया में अपने ज्ञान को फैला सके और नाम रोशन कर सके.
उन्होंने महिला को नमस्कार किया और कहा- “हे माँ, लीजिये आज से आप मेरी माँ हैं.” आपको मेरे जैसा पुत्र भी मिल गया और मेरे ब्रह्मचर्य का पालन भी हो जायेगा. यह सुनकर वह महिला स्वामी जी के चरणों में गिर गयी.
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Swami Vivekananda Death)
4 जुलाई 1902 को स्वामी जी ने बेलूर मठ में पूजा अर्चना की और योग भी किया. उसके बाद वहां के छात्रों को योग, वेद और संस्कृत विषय के बारे में पढाया. संध्याकाल के समय स्वामी जी ने अपने कमरे में योग करने गए व अपने शिष्यों को शांति भंग करने लिए मना किया और योग करते समय उनकी मृत्यु हो गई.
मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी जी जैसे प्रेरणा पुंज का प्रभु मिलन हो गया. स्वामी जी के जन्मदिवस को पूरे भारतवर्ष में “युवा दिवस“ के रूप में मनाया जाता हैं.
स्वामी जी के अनमोल विचार (Swami Vivekananda’s Quotes in Hindi)
- ‘उठो, जागो, स्वयं जागकर औरों को जगाओ. अपने मानव जन्म को सफल बनाओ और तब तक नहीं रूको जब तक लक्ष्य प्राप्त न कर लो’
- हम ऐसी शिक्षा चाहते हैं जिससे चरित्र निर्माण हो. मानसिक शक्ति का विकास हो. ज्ञान का विस्तार हो और जिससे हम खुद के पैरों पर खड़े होने में सक्षम बन जाएं.
बहुत बढ़िया लिखा है नीस , स्वामी विवेकानंद जी से जुडी रोचक जानकारियां जानने के लिए यहां किल्क करें।
very nice biography .. thanks for sharing
Wonderful