भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय, रचनाएँ, कविताएँ
Bhawani Prasad Mishra (Poet) Biography, Family, Rachnaye, Famous Poems In Hindi
भवानी प्रसाद मिश्र आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि माने जाते हैं. वे एक प्रसिद्ध कवि एवं गांधी विचारक थे. गांधी दर्शन का प्रभाव उनकी कविताओं में साफ देखा जा सकता है. वे ‘दूसरा सप्तक’ के प्रथम कवि रहे है. उनके गीतों ने आधुनिक हिन्दी साहित्य को नई दिशा प्रदान की. उनका प्रथम काव्य ‘गीत-फ़रोश’ अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नवीन पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ. लोग उन्हें प्यार से ‘भवानी भाई’ कहकर सम्बोधित किया करते थे. भवानी भाई को 1972 में उनकी काव्य कृति “बुनी हुई रस्सी” पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला.
भवानी प्रसाद मिश्र का जीवन परिचय | Bhawani Prasad Mishra Biography In Hindi
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | भवानी प्रसाद मिश्र |
जन्म (Date of Birth) | 29 मार्च 1913 |
आयु | 72 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | गांव टिंगरिया, होशंगाबाद, मध्यप्रदेश |
पिता का नाम (Father Name) | पं. सीताराम मिश्र |
प्रसिद्धि | हिन्दी के प्रसिद्ध कवि और गाँधीवादी विचारक |
मृत्यु (Death) | 20 फरवरी 1985 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | —- |
प्रारम्भिक जीवन एवं परिवार (Bhawani Prasad Mishra Birth & Family)
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च 1913 को गाँव टिगरिया, तहसील सिवनी मालवा, जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश) में हुआ. इनके पिता पं. सीताराम मिश्र शिक्षा विभाग में अधिकारी थे तथा साहित्य प्रेमी भी थे. भवानी प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा क्रमश: सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में सम्पन्न हुई. इन्होने बी.ए. की डिग्री 1935 में जबलपुर से प्राप्त की. हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी भाषा पर उनकी अच्छी पकड़ थी. भवानी प्रसाद मिश्र 1946 से 1950 तक महिलाश्रम, वर्धा में शिक्षक रहे. फिर उन्होंने 1952 से 1955 तक हैदराबाद में ‘कल्पना’ मासिक पत्रिका का सम्पादन किया. इसके बाद 1956 से 1958 तक उन्होंने आकाशवाणी में संचालन का कार्य किया. 1958 से 1972 तक मिश्रजी ‘गांधी प्रतिष्ठान’, ‘गांधी स्मारक निधि’ और ‘सर्व सेवा संघ’ से जुड़े रहे.
भवानी प्रसाद मिश्र का साहित्यिक जीवन | Bhawani Prasad Mishra (Poet)
भवानी प्रसाद मिश्र ने 1930 से कविताएं लिखने की शुरुआत की. हाईस्कूल पास करने के पहले उनकी कविताएं ‘हिन्दू पंच’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी थी. 1932 में वे माखनलाल चतुर्वेदी के सम्पर्क में आए और चतुर्वेदी जी आग्रहपूर्वक अपनी पत्रिका ‘कर्मवीर’ में मिश्र जी की कविताएं प्रकाशित करने लगे. इसके बाद उन्होंने सिनेमा के लिए संवाद भी लिखे तथा उन्होंने मद्रास के एबीएम में संवाद निर्देशन का कार्य किया. कुछ समय पश्चात वे मुंबई आ गए यहां उन्होंने आकाशवाणी निर्माता के रूप में कार्य किया तथा इसके बाद दिल्ली आकाशवाणी केन्द्र में भी काम किया.
भवानी प्रसाद मिश्र की रचनाएं
- गीत फरोश
- बुनी हुई रस्सी
- नीली रेखा तक
- मानसरोवर
- अनाम तुम आते है
- त्रिकाल संध्या
- चकित
- है दुःख
- कालजयी
- खुशबु के शिलालेख
- शरीर, कविता, फसलें और फूल
- परिवर्तन जिए
- अन्धेरी कविताएँ
- नीली रेखाएं तक
इसके साथ-साथ मिश्र जी की कुल 22 पुस्तकें प्रकाशित हुई.
बाल साहित्य:-
- तुको के खेल
संस्मरण:-
- जिन्होंने मुझे रचा
निबन्ध:-
- कुछ नीति कुछ राजनीति
भवानी प्रसाद मिश्र की प्रसिद्ध कविता ‘बुनी हुई रस्सी‘ की कुछ पंक्तियां–
बुनी हुई रस्सी को घुमायें उल्टा
तो वह खुल जाती हैं
और अलग अलग देखे जा सकते हैं
उसके सारे रेशे
मगर कविता को कोई
खोले ऐसा उल्टा
तो साफ नहीं होंगे हमारे अनुभव
इस तरह
क्योंकि अनुभव तो हमें
जितने इसके माध्यम से हुए हैं
उससे ज्यादा हुए हैं दूसरे माध्यमों से
व्यक्त वे जरूर हुए हैं यहाँ
कविता को
बिखरा कर देखने से
सिवा रेशों के क्या दिखता है
लिखने वाला तो
हर बिखरे अनुभव के रेशे को
समेट कर लिखता है !
सम्मान एवं पुरस्कार | Bhawani Prasad Mishra Awards
- ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार‘– 1972 में मिश्र की उनकी कविता ‘बुनी हुई रस्सी’ के लिए.
- पद्म श्री– हिंदी साहित्य में योगदान के लिये ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया.
- 1982 में उत्तरप्रदेश की हिंदी संस्थान के द्वारा ‘संस्थान सम्मान‘ से अलंकृत किया.
- 1983 में मध्य्प्रदेश शासन द्वारा ‘शिखर सम्मान‘ से पुरस्कृत किया.
मृत्यु | Bhawani Prasad Death
हिंदी साहित्य में अपनी कविताओं से अमूल्य योगदान देते हुए भवानी प्रसाद मिश्र की मृत्यु 20 फरवरी 1985 को हुई.
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