पद्मभूषण कवि और गीतकार गोपालदास नीरज की जीवनी | Lyricist Gopaldas Neeraj Biography(Birthday, Family, Education, Film Career, Death) and Awards
हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि गोपालदास नीरज ऐसे पहले व्यक्ति हैं जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया. गोपाल दास नीरज सिर्फ कवि ही नहीं हैं बल्कि साहित्यकार, शिक्षक और फिल्मो के गीत लेखक हैं.
क्र. म. | बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
1. | नाम(Name) | गोपालदास नीरज |
2. | वास्तविक नाम (Real Name) | गोपालदास सक्सेना |
3. | जन्म तारीख (Date of Birth) | 4 जनवरी 1925 |
4. | जन्म स्थान (Birth Place) | इटावा |
5. | शिक्षा (Education) | एम.ए (हिंदी) |
6. | पुरुस्कार(Awards) | पद्म श्री, पद्म भूषण, फिल्म फेयर(1970, 71, 72) |
7. | पहली फिल्म (First Film) | नई उमर की फसल |
8. | मृत्यु (Death) | 19 जुलाई 2018 |
गोपालदास नीरज का जन्म और परिवार (Gopaldas Neeraj Birth and Family)
कवि गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की आयु में लम्बी बीमारी के बाद निधन हो
गोपालदास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 उत्तरप्रदेश के इटावा जिले में हुआ था. जिसे गुलाम भारत में संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध के नाम से जाना जाता था. इनका असली उपनाम सक्सेना हैं परन्तु अपनी कविता के लेखन के दौरान इन्होने नीरज लिखना शुरू कर दिया. इनके पिताजी का नाम ब्रजकिशोर सक्सेना था. गोपालदास जी के तीन भाई थे. मात्र 6 वर्ष की आयु में उनकी माताजी का निधन हो गया था.
गोपालदास नीरज की शिक्षा और प्रारंभिक जीवन(Gopaldas Neeraj Education and Intial Life)
वर्ष 1942 ने गोपालदास जी ने एटा जिले में हाई स्कूल की शिक्षा ग्रहण की. जिसकी परीक्षा में वे प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए थे. घर की आर्थिक समस्याओं के कारण उन्होंने इटावा के न्यायलय में कुछ समय टाइपिस्ट का काम किया. उसके बाद सिनेमा घर में भी लम्बे समय तक काम किया. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली के सफाई विभाग में टाइपिस्ट की नौकरी की. इस दौरान उन्होंने प्राइवेट परीक्षा दी और वर्ष 1949 में अपना इन्टरमीडिएट की उत्तीर्ण की.
इसके बाद वर्ष 1951 बी.ए और वर्ष 1953 एम.ए में हिंदी साहित्य में पूरा किया. अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद गोपालदासजी ने मेरठ के एक कॉलेज में हिंदी प्रवक्ता के पद पर कार्य किया. जहाँ पर कक्षा ने लेने के आरोप में उन्होंने स्वयं ही नौकरी से त्याग पत्र दे दिया. जिसके बाद उन्होंने अलीगढ के धर्म समाज कॉलेज में हिंदी विभाग के लेक्चरर के रूप में भी कार्य किया.
अपने कॉलेज के समय से गोपालदास जी कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ और गीत-गायन शुरू कर दिया था. कवि सम्मेलनों में गीत गायन से गोपालदास काफी मशहूर हो गए थे. जिसके बाद उन्हें बॉलीवुड की नगरी मुंबई से फिल्म “नई उमर की फसल” के गीत लिखने का आमंत्रण मिला. अपनी पहली ही फिल्म के गीत “कारवाँ गुजर गया गुबार देखते रहे और देखती ही रहो आज दर्पण न तुम, प्यार का यह मुहूरत निकल जायेगा” ने उन्हें बहुत मशहूर कर दिया और वे मुंबई में रहकर ही फिल्मों के लिए गीत लिखने लगे. बाद में गोपालदास जी मेरा नाम जोकर, शर्मीली और प्रेम पुजारी जैसी अनेक चर्चित फिल्मों के लिए गीत लिखे.
उनके गीतों को शंकर महादेवन, अलका याग्निक, कुमार सानू, उदित नारायण, मुकेश, एस.डी बर्मन, कविता कृष्णमूर्ति, मन्ना डे, मोहम्मद रफ़ी, किशोर, आशा भोसले और लता मंगेशकर जैसे बड़े नामों ने अपनी आवाज़ दी हैं. गोपालदास जी वर्तमान में मुंबई से अलीगढ लौट आये और एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं. उत्तरप्रदेश की सरकार द्वारा उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था.
गोपालदास नीरज के अवार्ड(Gopaldas Neeraj Awards)
विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार
पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार
यश भारती एवं एक लाख रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
पद्म भूषण सम्मान (2007), भारत सरकार
फिल्म फेयर पुरस्कार
1970: काल का पहिया घूमे रे भइया! (फ़िल्म: चन्दा और बिजली)
1971: बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ (फ़िल्म: पहचान)
1972: ए भाई! ज़रा देख के चलो (फ़िल्म: मेरा नाम जोकर)
गोपालदास नीरज की प्रमुख गीतों के अंश
- जितना कम सामान रहेगा उतना सफ़र आसान रहेगा जितनी भारी गठरी होगी उतना तू हैरान रहेगा उससे मिलना नामुमक़िन है जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा हाथ मिलें और दिल न मिलें ऐसे में…
- है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए रोज़ जो चेहरे बदलते है लिबासों की तरह अब जनाज़ा ज़ोर से उनका निकलना चाहिए अब भी कुछ…
- अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए. जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए. जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए. आग बहती है…
गोपालदास नीरज की मृत्यु (Gopaldas Neeraj Death)
कवि गोपालदास नीरज का 93 वर्ष की आयु में लम्बी बिमारी के बाद निधन हो गया.
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