तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की जीवनी, जन्म, केस, राजनीतिक और फ़िल्मी सफ़र | J Jayalalithaa Biography, Case, Political and Film career in Hindi
भारतीय अभिनेत्री से राजनेता बनी जयललिता जयराम तमिलनाडु की छः बार की मुख्यमंत्री थी. वह अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कझागम (ए.आई.ए.डी.एम.के.) पार्टी की महासचिव भी थीं. उनके समर्थक उन्हें “अम्मा”, जिसका अर्थ है मां, और “पुराची थलावी”, जिसका अर्थ क्रांतिकारी नेता कहकर बुलाते थे. जयललिता राजनीति में शामिल होने से पहले एक प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय फिल्म स्टार थीं. इन्होने तमिल, कन्नड़, तेलुगू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा की फिल्मों में काम किया हैं.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
---|---|
नाम (Name) | जयराम जयललिता |
जन्म (Birth Date) | 24 फ़रवरी 1948 |
जन्म स्थान (Birth Place) | मंडीया, मैसूर राज्य |
पिता का नाम (Father Name) | जयराम |
पेशा (Profession) | अभिनेत्री, राजनेता |
मृत्यु (Death Date) | 8 दिसम्बर 2016 |
मृत्यु कारण (Death Causes) | दिल का दौरा |
जयललिता जयराम जन्म और प्रारंभिक जीवन (Jayalalithaa Birth and Early Life)
जयललिता का जन्म मैसूर (अब कर्नाटक राज्य में) में 24 फरवरी 1948 को मेलुकोट नामक एक जगह पर हुआ था. वह तमिल इयनगर परिवार से सम्बंधित हैं. इनके पिता जयराम पेशे के एक वकील थे. जब वे सिर्फ दो साल की थीं तो उनका निधन हो गया. जिसके बाद जयललिता और उनके भाई जयकुमार को अपनी मां के साथ बैंगलोर में स्थानांतरित होना पड़ा. जयललिता की प्रारंभिक शिक्षा बंगलौर में बिशप कॉटन स्कूल में हुई थी. पंद्रह वर्ष की उम्र में जयललिता ने अपनी माँ के साथ फिल्मों में काम करना शुरू किया.
जयललिता का फ़िल्मी सफ़र (Jayalalithaa Film Career)
जयललिता ने 15 साल की उम्र में फिल्मों में काम करना शुरू किया जब वह स्कूल में थीं. इनकी पहली फिल्म, ‘ए पिस्टल’, अंग्रेजी भाषा में थी और 1961 में रिलीज हुई थी.
वर्ष 1964 में बी.आर. पंथुलु के दिशा निर्देश में उन्होंने अपनी पहली कन्नड़ फिल्म ‘चिन्नादा गोम्बे’ में अभिनेत्री के रूप में अपनी शुरुआत की.
1965 में, उन्होंने पहली तमिल फिल्म ‘वेनिरा आडाई’ में की, जिसे सी.वी. श्रीधर द्वारा निर्देशित किया गया था. वर्ष 1960 के दशक के मध्य में तमिल फिल्मों में जयललिता पहली नायिका थीं जो लघु आस्तीन वाले कपड़े, स्कर्ट, गाउन और ऊनी सूट में दिखाई देती थीं.
वर्ष 1966 में जयललिता ने अपनी पहली तेलुगू फिल्म ‘मनुशूल ममथालू’ की थी.
जयललिता ने 1972 में फिल्म ‘पट्टिकादा पटनामा’ में शिवाजी गणेश के साथ अभिनय किया, जिसने तमिल में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता था.
वर्ष 1973 में, जयललिता को तीन फिल्म ‘पट्टिकादा पटनामा’, ‘सूर्यकंथी’ और ‘श्री कृष्ण सत्य’ में उनके प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए तीन फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए.
भारत की पहली तमिल फिल्म जिसे ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ श्रेणी में अकादमी पुरस्कार के लिए प्रस्तुत किया गया था, ‘दीवा मगान’ थी. इसमें जयललिता ने अभिनय किया था.
1960 और 1970 के दशक में उन्हें और एम.आर. रामचंद्रन की कई सफल फिल्में की.
जयललिता ने एक हिंदी फिल्म इज्जत में धर्मेद्र देओल के साथ अभिनय किया हैं.
भारतीय राजनीति में जयललिता का राजनैतिक सफ़र (Jayalalithaa Political Career)
1982 में, जयललिता एआईएडीएमके के सदस्य बनी. यह पार्टी एमजी रामचंद्रन द्वारा स्थापित की गयी थी. एम.जी. रामचंद्रन ने ही जयललिता का राजनीति में प्रवेश कराया था और इसी साल उन्होंने अपना पहला राजनीतिक भाषण पेनिन पेरुमाई में दिया था.
जनवरी 1983 में जयललिता को एआईएडीएमके के प्रचार का सचिव बनाया गया था.
फरवरी 1983 में पार्टी ने जयललिता को तिरुचेन्द विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया था.
1984 में पहली बार जयललिता राज्यसभा के सदस्य के रूप में चुनी गई और 1989 तक उन्होंने सीट बरकरार रखी.
1984 में, पार्टी प्रमुख पुरची थालीवार एमजीआर बीमार पड़ गए और चिकित्सा उपचार से गुजरने के लिए यू.एस.ए. गए. उनकी अनुपस्थिति में, दिसंबर 1984 में तमिलनाडु में लोकसभा और विधान सभा के चुनाव के दौरान जयललिता ने पार्टी का नेतृत्व किया. उस वर्ष, कांग्रेस (आई) और एआईएडीएमके के गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की.
पुरची थालीवार एम.जी.आर. का 1987 में निधन हो गया, जिसके बाद एआईएडीएमके को दो दलों में विभाजित हो गया. पार्टी के चुनाव प्रतीक, “दो पत्तियां”, भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा जब्त कर लिया गया.
जयललिता को 1989 में बोधिनयाकणुर निर्वाचन क्षेत्र से तमिलनाडु विधान सभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया था और वे तमिलनाडु की विधानसभा में विपक्ष की नेता बनने वाली पहली महिला थीं.
पार्टी के दो गुट जयललिता के नेतृत्व में फरवरी 1989 में फिर से एकत्र हुए, जिन्हें सर्वसम्मति से संयुक्त एआईएडीएमके के महासचिव के रूप में निर्वाचित किया गया था.
एआईएडीएमके पार्टी के चुनाव प्रतीक “दो पत्तियां” को 1989 में चुनाव आयोग द्वारा फिर से जारी कर दिया गया.
जयललिता ने 1989 के आम चुनावों में पुडुचेरी और तमिलनाडु में लोकसभा में ऐतिहासिक जीत के लिए कांग्रेस (आई) और एआईएडीएमके गठबंधन को निर्देशित किया था.
जयललिता के नेतृत्व में, एआईएडीएमके ने पेरियामल्लूर, मदुरई ईस्ट और मारुंगपुरी के तमिलनाडु विधान सभा में उपरोक्त सभी उपचुनावों में जीत हासिल की.
1991 में तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में जयललिता ने जबरदस्त जीत हासिल की, जब पार्टी और उनके गठबंधन ने कुल 234 सीटों में से 225 सीट जीती. उन्होंने दो निर्वाचन क्षेत्रों कंगयम और बरगुर से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों को व्यापक रूप से जीता था.
24 जून 1991 को, वह सबसे युवा और तमिलनाडु की दूसरी महिला मुख्यमंत्री बन गईं. उन्होंने 12 मई 1 996 तक यह पद संभाला.
1991 के आम चुनावों को पुडुचेरी और तमिलनाडु के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में एआईएडीएमके और उसके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस के लिए सभी सीट पर जीत हासिल करके इतिहास बना दिया था.
लोकसभा 1998 के आम चुनाव में एआईएडीएमके और उसके गठबंधन ने 40 सीटों में से 30 सीटें हासिल जीती थी.
2001 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में जयललिता की पार्टी और गठबंधन ने 234 में से 195 सीटों पर जीत हासिल की और उनकी पार्टी, एआईएडीएमके ने अकेले 132 सीटें हासिल कीं थी.
14 मई 2001 को, जयललिता दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनी और 21 सितंबर 2001 तक पद यह संभाला.
फरवरी 2002 को, जयललिता एंडिपट्टी के निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गई थी.
जिसके बाद वह 2 मार्च 2002 से 12 मई 2006 तक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनी रही.
एआईएडीएमके गठबंधन ने 2006 के विधानसभा चुनावों में 69 सीटें जीतीं और जयललिता ने विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया.
2011 के विधानसभा चुनावों में, एआईएडीएमके और उसके सहयोगियों ने 234 में से 203 सीटों पर जीत दर्ज की, एआईएडीएमके ने अकेले 150 सीटों पर कब्जा कर लिया. नई सरकार का गठन 16 मई 2011 को हुआ था और चौथी बार जयललिता तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बनी थी.
जयललिता को सितंबर 2014 में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पद से पद छोड़ना पड़ा था, क्योंकि कर्नाटक अदालत ने एक सुनवाई में उन्हें 18 साल पुराने असमान संपत्ति (66.65 करोड़ रुपये) और भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया था. अदालत ने उसे चार साल की जेल की अवधि के लिए 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था. लेकिन उन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती दी थी.
11 मई 2015 को, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जयललिता को असमान संपत्ति मामले में बरी कर दिया.
जयललिता ने 23 मई 2015 को पांचवें बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
उन्होंने 23 मई 2016 को छठे बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली.
जयललिता को प्राप्त पुरस्कार और सम्मान (Jayalalithaa Achievements)
- 1972 में, तमिलनाडु सरकार ने उन्हें कलाइमाणी पुरस्कार से सम्मानित किया
- 1991 में मद्रास विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) की एक डिग्री प्रदान की गई.
- 1992 में डॉ एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की एक डिग्री जयललिता को प्रदान की गई.
- 1993 में मदुरै कामराज विश्वविद्यालय ने डॉक्टर ऑफ लेटर्स की एक डिग्री प्रदान की थी.
- 2003 में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस की एक डिग्री दी गई थी.
- 2003 में भारतीदासन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ लेटर्स (ऑनोरिस कासा) की एक डिग्री प्रदान की गई थी.
- एशियाई गिल्ड अवॉर्ड्स से “दशक की महिला राजनीतिज्ञ” पुरस्कार प्राप्त करने के लिए उन्हें 2004 में लंदन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स द्वारा आमंत्रित किया गया था.
- 2004 में गोल्डन स्टार ऑफ ऑनर एंड डिग्निटी अवॉर्ड को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा समिति ने समाज के कमजोर वर्ग और तमिलनाडु और भारत में लिंग समानता के क्षेत्र में उनकी सेवाओं को पहचानने में उनकी सेवाओं को मान्यता दी थी.
जयललिता की असमान संपत्ति मामला (Disproportionate assets case against Jayalalithaa)
जयराम जयललिता को 11 मई, 2015 को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा कुख्यात 18 साल पुराने असमान संपत्ति (66.65 करोड़ रुपये) और भ्रष्टाचार के मामले में बरी कर दिया गया था. निचली अदालत में जयललिता को चार साल की जेल और 100 करोड़ रूपए का जुर्माना भी लगाया गया था. इन आरोपों के कारण जयललिता को मुख्यमंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा था. यह आरोप वर्ष 1996 में डॉ सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा लगाये गए थे. जिसमे आईपीसी 109 और 120 (बी) के तहत 13 भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 के तहत दोषी पाया गया था.
जयललिता की मृत्यु (Jayalalithaa Death)
22 सितंबर, 2016 को संक्रमण और तीव्र निर्जलीकरण के कारण जयललिता को अपोलो अस्पताल, ग्रीमे रोड, चेन्नई में भर्ती कराया गया था. जहाँ 70 दिनों तक इलाज चलने के बाद जयललिता की हालत में धीरे-धीरे सुधार हुआ. 4 दिसंबर 2016 को डॉक्टरों ने कहा कि अब इन्हें घर ले जाया जा सकता हैं. दुर्भाग्यवश, उसी दिन उन्हें लगभग 4.45 बजे कार्डियक अटैक आ गया. जयललिता को फिर से आई. सी. यू में भर्ती करना पड़ा और शाम को जयललिता का निधन हो गया.
इसे भी पढ़े :