जग्गी वासुदेव की जीवनी, प्रसिद्ध योग कार्य, ईशा फाउंडेशन की स्थापना और परिवार | Jaggi Vasudev Biography, Major Works, Isha Foundation Establishment and Family Details in Hindi
जग्गी वासुदेव एक भारतीय योगी और रहस्यवादी हैं. जिन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की हैं. जो एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर में योग कार्यक्रम करता है. एक बहुआयामी व्यक्तित्व, आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ एक लेखक, प्रेरक वक्ता और परोपकारी भी हैं. भारतीय रेलवे के साथ काम करने वाले एक नेत्र रोग विशेषज्ञ के बेटे के रूप में जन्मे, वासुदेव को पिताजी की नौकरी के कारण उन्हें एक शहर से दूसरे शहर में लगातार जाना पड़ता था. बचपन में उन्हें प्रकृति से मोह हो गया था और अक्सर अपने घर के पास जंगल में भाग जाते थे और घंटों-यहाँ तक कि एक-एक दिन वहां बिताते थे.
जवानी में उन्हें मोटरसाइकिल से प्यार हो गया और उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल पर देश के विभिन्न स्थानों की यात्रा की. एक मज़ेदार प्यार करने वाले युवा होने के साथ-साथ वे एक उज्ज्वल युवा व्यक्ति भी थे जो एक सफल व्यवसायी के रूप में परिपक्व हुए.
25 साल की उम्र में एक आध्यात्मिक अनुभव ने उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य पर पुनर्विचार कर दिया और आखिरकार उन्होंने महसूस किया कि उनकी मंजिल एक योग शिक्षक बनना हैं. उन्होंने योग सिखाने के लिए ईशा फाउंडेशन खोला और फाउंडेशन समय के साथ विभिन्न सामाजिक और सामुदायिक विकास गतिविधियों में भी शामिल हो गया.
बिंदु (Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | जग्गी वासुदेव |
असली नाम (Real Name) | जगदीश वासुदेव |
जन्म (Date of Birth) | 3 सितंबर 1957 |
जन्म स्थान (Birth Place) | मैसूर, कर्नाटक |
पिता का नाम (Father Name) | (नेत्र रोग विशेषज्ञ) |
संस्थापक (Founder) | ईशा फाउंडेशन |
पत्नी का नाम (Wife Name) | विजयकुमारी |
बेटी का नाम (Daughter Name) | राधे |
जग्गी वासुदेव का प्रारंभिक जीवन (Jaggi Vasudev Early Life)
जग्गी वासुदेव का जन्म जगदीश वासुदेव के रूप में 3 सितंबर 1957 को मैसूर, कर्नाटक में सुशीला और डॉ. वासुदेव के यहाँ हुआ था. वासुदेव का एक भाई और दो बहनें हैं. उनके पिता भारतीय रेलवे के एक नेत्र रोग विशेषज्ञ थे और परिवार उनके पिता की नौकरी के कारण अक्सर अलग अलग जगह पर रहता जाता था.
वह एक सक्रिय, जिज्ञासु और बुद्धिमान बच्चे थे जिसने प्रकृति और रोमांच के लिए एक शुरुआती प्यार विकसित किया. बचपन में वह अक्सर पास के जंगलों में घूमते थे और वहां घंटों बिताता थे, वन्यजीवों को देखते थे.
जब वे 11 वर्ष के थे, तब वे एक प्रमुख योग शिक्षक, मल्लादिहल्ली श्री राघवेंद्र स्वामीजी से परिचित हो गए. स्वामीजी ने उन्हें सरल योग आसनों की एक श्रंखला सिखाई, जिसे उन्होंने नियमित रूप से एक भी दिन के ब्रेक के बिना अभ्यास किया.
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद जग्गी वासुदेव ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री के साथ स्नातक, मैसूर विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. कॉलेज में रहते हुए भी उन्हें मोटरसाइकिल का शौक था और उन्होंने अपने दोस्तों के साथ खूब यात्रा की.
व्यक्तिगत जीवन (Personal Life)
जग्गी वासुदेव ने 1984 में विजयकुमारी से शादी की और उनकी एक बेटी राधे है. 1996 में उनकी पत्नी का निधन हो गया था.
जग्गी वासुदेव का करियर (Jaggi Vasudev Career)
अपनी कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद जग्गी वासुदेव ने एक व्यवसायी के रूप में अपना करियर बनाया. स्मार्ट, बुद्धिमान और कड़ी मेहनत करने वाले सद्गुरु ने जल्द ही पोल्ट्री फार्म, एक ईंटवर्क और एक निर्माण व्यवसाय सहित कई व्यवसाय खोले. वह उस समय तक एक सफल व्यवसायी थे.
23 सितंबर 1982 की दोपहर को जग्गी वासुदेव का जीवन पूरी तरह से बदल गया, जब उन्हें एक आध्यात्मिक अनुभव हुआ. जिससे उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपने जीवन और प्राथमिकताओं का पुनर्मूल्यांकन करना है. वह चामुंडी हिल में एक चट्टान पर बैठे थे जब उन्हें एक बहुत ही गहन आध्यात्मिक अनुभव हुआ जो लगभग साढ़े चार घंटे तक चला.
इस अनुभव के कुछ हफ़्तों के भीतर उन्होंने अपने दोस्त के लिए अपना व्यवसाय छोड़ दिया और अपने रहस्यमय अनुभव में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए एक व्यापक यात्रा शुरू की. लगभग एक वर्ष की अवधि के बाद वह अहसास उन पर हावी हो गया.
जग्गी वासुदेव ने 1983 में मैसूर में योग कक्षाएं आयोजित करना शुरू किया. अपनी पहली कक्षा में सिर्फ सात प्रतिभागी थे. समय के साथ उन्होंने कर्नाटक और हैदराबाद में योग कक्षाएं आयोजित करना शुरू कर दिया. उन्होंने कक्षाओं के लिए भुगतान से इनकार कर दिया और अपने पोल्ट्री फार्म से प्राप्त आय से अपने खर्चों को प्रबंधित किया.
1992 में उन्होंने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की, जो एक गैर-लाभकारी संस्था थी. ईशा योग नाम से योग कार्यक्रमों की पेशकश के लिए आध्यात्मिक संगठन. कोयंबटूर के पास स्थापित संगठन वर्षों में बहुत लोकप्रिय हो गया और आज न केवल भारत में बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर, कनाडा, मलेशिया, युगांडा, चीन, नेपाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी योग कार्यक्रम प्रस्तुत करता है.
ईशा फाउंडेशन विभिन्न सामाजिक और सामुदायिक विकास गतिविधियों में भी शामिल है. 2003 में, इसने ग्रामीण गरीबों के जीवन के समग्र स्वास्थ्य और गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से एक्शन फॉर रूरल कायाकल्प (एआरआर) की स्थापना की. कार्यक्रम का उद्देश्य तमिलनाडु, दक्षिण भारत के 54,000 गांवों में 70 मिलियन लोगों को लाभान्वित करना है.
फाउंडेशन ने 2004 में तमिलनाडु में एक जमीनी स्तर पर पारिस्थितिक पहल प्रोजेक्ट ग्रीन हैंड्स (PGH) की स्थापना की. परियोजना का उद्देश्य जल्द से जल्द पूरे तमिलनाडु में 114 मिलियन पेड़ लगाना और राज्य में वन कवर को 33 तक बढ़ाना था.
जग्गी वासुदेव एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और उन्होंने वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र मिलेनियम वर्ल्ड पीस समिट में बात की है. उनकी बोलने की व्यस्तता उन्हें दुनिया भर में ले जाती है और उन्होंने 2006, 2007, 2008 और 2009 में विश्व आर्थिक मंच को भी संबोधित किया.
एक विपुल लेखक सद्गुरु ने आठ अलग-अलग भाषाओं में 100 से अधिक खिताब हासिल किए हैं. वह एक प्रतिभाशाली कवि भी हैं जो अपने ख़ाली समय में कविताएँ लिखना पसंद करते हैं.
प्रमुख कार्य (Major Works)
जग्गी वासुदेव ने ईशा फाउंडेशन की स्थापना की. जिसके माध्यम से वे अपने सभी योग संबंधी कार्यक्रमों का संचालन करते हैं और सामाजिक और सामुदायिक पहल करते हैं. पांच मिलियन से अधिक स्वयंसेवकों के साथ संगठन संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक और सामाजिक परिषद जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है. दुनिया भर के कई देशों में इसकी उपस्थिति महसूस की गई है.
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