गज़लों के सम्राट जगजीत सिंह की जीवनी, प्रमुख गज़लें और कहानियाँ | Jagjit Singh Biography(Birth, Education), Career and Ghazals in Hindi
जगजीत सिंह, यह एक ऐसा नाम है, जिसे पहचान की ज़रूरत नही. यह वो नाम हैं जिससे ग़ज़ल प्रेमी हो या गीत प्रेमी हर कोई पहचान रखता हैं. जगजीत सिंह को गज़लों का सम्राट कहा जाता हैं, क्योंकि इन्होंने ग़ज़लों को एक नया आयाम दिया हैं, अपनी क़ाबिलियत से उन्होंने ये मुकाम हासिल किया हैं. जगजीत सिंह अपने अलग अंदाज़ के लिए दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध थे.
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
नाम (Name) | जगजीत सिंह |
जन्म (Birth) | 8 फरवरी 1941 |
मृत्यु (Death) | 10 अक्टूम्बर 2011 |
जन्म स्थान (Birth Place) | श्री गंगानगर |
कार्यक्षेत्र (Profession) | संगीतकार, गजल गायक |
पत्नी का नाम (Wife Name) | चित्रा सिंह |
राष्ट्रीय पुरुस्कार (National Award) | पद्म भूषण (2003) |
जगजीत सिंह का जन्म व परिवार (Jagjit Singh Birth and Family)
जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर में हुआ. इनके पिता का नाम अमर सिंह धीमान व माता का नाम सरदारनी बच्चन कौर हैं.
जगजीत सिंह का पूरा नाम सरदार जगजीत सिंह धीमान हैं, तथा जन्म के समय उनका नाम जगमोहन सिंह था. जैसा कि हम जानते हैं जगजीत सिंह का उपनाम द गज़ल किंग हैं.
संगीत का सफ़र (Jagjit Singh Music Career)
जगजीत सिंह को संगीत विरासत में मिला था. श्री गंगानगर में ही उनकी पढ़ाई के साथ ही उनकी संगीत की शिक्षा भी ज़ारी रही. उनके गुरु श्री पंडित छगनलाल से उन्होंने लगभग 2 साल संगीत की शिक्षा ली. आगे जाकर सेनिया घराने के उस्ताद जमाल खान साहब से उन्होंने ख्याल, ठुमरी, ध्रुपद की बारीकियाँ सीखी. कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर सूरजभान ने जगजीत सिंह की पढ़ाई के साथ-साथ संगीत में रूचि देखी. तब उन्होंने जगजीत सिंह को संगीत के लिए कॉफी उत्साहित किया. प्रो. सूरजभान के कहने पर ही वे मुंबई आए.
जगजीत सिंह की रूचि व ख़्वाहिशें (Jagjit Singh Interest)
ग़ज़ल के साथ-साथ इन्हें शास्त्रीय संगीत में भी कॉफी रूचि थी, फिर चाहे वह ख़याल, ठुमरी या ध्रुपद हो, इन सभी विधाओं में वे निपुण थे.
जगजीत सिंह के पिता की ख्वाहिश थी कि जगजीत सिंह प्रसाशनिक सेवा में जाए लेकिन जगजीत सिंह की संगीतकार बनने की ख्वाहिश थी. अतः सन् 1965 में वे म्युज़िशियन या संगीतकार बनने की ख़्वाहिश दिल में लिए मुंबई आये. शुरुआती दिनों में जब वे अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे, तब जगजीत सिंह विज्ञापनो के लिये जिंगल गाया करते थे.
गज़ल और जीविका से गज़ल सम्राट (Jagjit Singh Become Ghazal Samrat)
जगजीत सिंह जब मुंबई आये तब वे पेइंग गेस्ट थे. उन्हें विज्ञापनों में जिंगल और शादी पार्टियों में गीत गाकर अपने भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती थी. जब जगजीत सिंह ने गज़ल की ओर रुख़ किया, तब पहले से ही कई दिग्गज ग़ज़ल गायकी में अपना लोहा मनवा चुके थे. वहां जगजीत सिंह के लिये गज़लों को अपना पेशा बनाना आसन नही था, लेकिन धीरे-धीरे जगजीत सिंह ने गज़लों में अपनी एक अलग पहचान बनायी.
जगजीत सिंह याद करते हैं- शुरूआती दिनों में उन्हें कॉलेज के लड़को को खुश करने के लिए गीत गाने पड़ते थे, क्योकिं उस समय शास्त्रीय संगीत का मज़ाक बनाया जाता था. तब की मशहूर कम्पनी एच.एम.वी.(हिज़ मास्टर वौइस्) लाईट क्लासिकल ट्रेंड पर टीके रहने की जरुरत थी. जगजीत सिंह ने वही किया और उनका पहला एल्बम “द अनफोर्गेटेबल्स” (1976) सुपर हिट रहा.
जगजीत सिंह ने गज़लों को और सरल बनाने की कोशिश की पर गज़ल के आकार(स्वरूप) को कभी नही छेड़ा. उन्होंने गज़लों को उस आयाम पर पहुँचाया, जहां से उनकी गज़लें हर ज़ुबां पर चढ़ गयी और वे गज़ल सम्राट बन गये. उनकी आवाज़ बेहद मधुर और अपने आप में कशिश लिये हुये थी.
शादी (Marriage)
जगजीत सिंह विज्ञापनो के लिये जिंगल गाया करते थे. वहीँ उनकी पहचान चित्रा सिंह से हुई और वो पहचान जीवन भर का साथ बन गया, जगजीत सिंह ने चित्रा जी से 1969 में शादी कर ली. इनके 2 बच्चे हैं विवेक सिंह और मोनिका चौधरी.
जगजीत सिंह की प्रमुख गज़ले (Jagjit Singh Ghazals)
- तेरी खुशबु में बसे ख़त में जलाता कैसे
- बड़ी नाज़ुक हैं ये मंज़िल
- आप आयें जनाब बरसो में, हमने पी हैं शराब बरसो में, (2005 जीवन क्या हैं)
- दास्तान-ए-गम-ए-दिल उनको सुने ना गई (1973 मैजिक मोमेंट)
- हज़ारो ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिशों पे दम निकले (1998 मिर्ज़ा ग़ालिब)
- ना कह सकी बहार आने के दिन हैं (1995 विजन्स)
- आँखों में जल रहा क्यों,बुझता नहीं दिया (१९९ मरासिम )
- ए ख़ुदा रेत के सेहरा को संदर कर दे,या छलकती आँखों को भी पत्थर कर दे. (ए साउंड अफेयर) आदि.
- इनकी प्रमुख गज़ले रही हैं.
फिल्में (Jagjit Singh Film Career)
जगजीत सिंह ने गज़लों के साथ-साथ कई फ़िल्मों में भी अपनी आवाज़ दी. अर्थ, प्रेमगीत, खुदाई, लीला, बिल्लू बादशाह, कानून की आवाज़, राही, लौंग दा लश्कारा, रावण, ज्वाला जैसी फिल्मों अपनी आवाज़ दी. कुछ फिल्में और उनके गीत-
फ़िल्मों के नाम | गानों के नाम |
दुश्मन | चिट्ठी ना कोई सन्देश |
प्रेमगीत | होठों से छू लो तुम |
सरफ़रोश | होंश वालों को ख़बर क्या बेखुदी क्या चीज़ हैं |
तरकीब | मेरी आँखों ने चुना हैं तुझको |
तुम बिन | कोई फरियाद तेरे दिल में दबी हो जैसे |
साथ-साथ | ये तेरा घर ये मेरा घर, प्यार मुझसे जो किया तुमने |
खलनायक | ओ माँ तुझे सलाम |
जगजीत सिंह को प्राप्त सम्मान एवम् पुरस्कार (Jagjit Singh Awards)
जगजीत सिंह को सन् 2003 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया.
जगजीत सिंह की मृत्यु (Jagjit Singh Death)
जगजीत सिंह की मृत्यु 10 अक्टूम्बर 2011 को सुबह 8 बजे मुम्बई में हुई. उन्हें ब्रेन हेमरेज होने के कारण 23 सितम्बर को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनका ऑपरेशन कराया गया, ऑपरेशन के बाद से ही उनकी हालत ख़राब रहने लगी. जगजीत सिंह को आज भी उनकी आवाज़ और बेमिसाल गजलों के लिए याद किया जाता हैं.
अंत में हम आपके लिये सिर्फ इतना ही कहेगें…
तुम जैसे गये, वैसा जाता नही कोई.”
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