मशहूर वशिष्ठ नारायण सिंह की जीवनी और उनसे जुडी रोचक जानकारियां |Indian Mathematician Vashishtha Narayan Singh Biography (Birth, Education, Wife, Life History), challenged to einstein and Interesting Fact in Hindi
दुनिया के महान गणितज्ञों में वशिष्ठ नारायण सिंह का भी नाम शामिल हैं. बेहद गरीब होने के बावजूद कभी गरीबी का प्रभाव इनकी प्रतिभा पर नहीं पड़ा.
Vashishtha Narayan Singh Biography | ||
क्र. म. | बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
1. | जन्म(Birth) | 2 अप्रैल 1942 |
2. | पत्नी(Wife) | वंदना रानी |
3. | कास्ट(Caste) | राजपूत |
4. | जन्म स्थान(Birth Place) | बसंतपुर गाँव |
5. | डिग्री(Degree) | पी.एच.डी |
6. | मृत्यु(Death) | 14 नवम्बर 2019 |
वशिष्ठ नारायण सिंह का जन्म 2 अप्रैल 1942 को बिहार के भोजपुर जिले के बसंतपुर गाँव में हुआ था. इनका परिवार आर्थिक रूप से गरीब था. इनके पिताजी पुलिस विभाग में कार्यरत थे. बचपन से वशिष्ठ नारायण सिंह में विलक्षण प्रतिभा थी. वशिष्ठ जी ने प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही पूरी की. वर्ष 1962 में इन्होनें नेत्राहत स्कूल में मेंट्रिक की परीक्षा में पूरे बिहार में टॉप किया था. जिसके बाद साइंस कॉलेज से इन्टरमीडिएट की परीक्षा में भी पूरे बिहार में टॉप किया.
वशिष्ठ जी शुरू से बेबाक प्रवृति के थे. जब ये पटना साइंस कॉलेज में पढाई कर रह थे तो उन्होंने अपने शिक्षकों को गलत पढ़ाने के कारण बीच में ही टोक दिया था. जब यह बात उनके प्रिंसिपल को पता चली तो इनकी अलग से परीक्षा ली गयी जिसमे उन्होंने सारे एकेडमिक रिकॉर्ड तोड़ दिए. पढाई के दौरान उनकी मुलाकात अम्मेरिचा से पटना आये प्रोफ़ेसर केली से हुई. जिसके बाद वे 1963 में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय में शोध के लिए गए और वर्ष 1969 में अपनी पी.एच.डी पूरी करने के साथ-साथ वाशिंगटन में गणित के प्रोफ़ेसर के रूप में भी काम किया. वशिष्ठ जी को विदेश में काम करना पसंद नहीं आया और वर्ष 1971 में भारत लौट आये. भारत आने के बाद उन्होंने आई.आई.टी. कानपूर और भारतीय सांख्यकीय संस्थान, कलकत्ता में काम किया.
चक्रीय सदिश समष्टि सिद्धांत पर किये गए उनके शोध कार्य ने उन्हें भारत और विश्व में भी प्रसिद्ध कर दिया. वर्ष 1973 में उनका विवाह वंदना रानी से हुआ. 1974 में उन्हें मानसिक बीमारी के कारण दौरे आने लगे. उनके अजीब व्यवहार के कारण उनकी पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया. फिर बिहार सरकार ने इलाज के लिए उन्हें बेंगलुरु भेजा. 12 फ़रवरी 2009 को बिहार विधान परिषद् में हुई बैठक में वशिष्ठ जी को इलाज के लिए दिल्ली भेजने का निर्णय लिया. अभी वशिष्ठ जी अपने गाँव बसंतपुर में एक सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
वशिष्ठ नारायण सिंह से जुडी रोचक जानकारी (Interesting Fact About Vashishtha Narayan Singh)
- वशिष्ठ नारायण सिंह ने अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्ष के नियम और गौस की थ्योरी को चुनौती दी थी लेकिन बीमारी की वजह से कुछ भी साबित नहीं कर पाए.
- अपोलो मिशन के दौरान वशिष्ट जी नासा में मौजूद थे तभी गिनती करने वाले कंप्यूटर में खराबी आ गयी थी और उन्होंने ऊँगली पर गिनती करना शुरू कर दी थी. बाद में साथी वैज्ञानिकों ने उनकी गिनती को सही माना था लेकिन इस बात की आधिकारिक पुष्टि कहीं मौजूद नहीं हैं.
- जब वशिष्ठ जी को विदेश में शोध करने का मौका मिला तब उन्होंने अपने ग्रेजुएशन के तीन साल के कोर्स को महज एक साल में ही पूरा कर लिया.
- वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपने जीवन काल में कंप्यूटर को मात दी थी. गणित की जो गणना कंप्यूटर करता था उसे ये कम समय में सबके सामने कर के रख देते हैं.
- कई लोग इन्हें अल्बर्ट आइंस्टीन से भी ज्यादा प्रखर और विद्वान् मानते थे.
- अमेरिकी नासा को जब इनकी प्रतिभा का पता चला तो नासा ने उन्हे न्यूयॉर्क में गाड़ी, बंगला और एक अच्छी सैलरी देने का प्रस्ताव रखा. जिसे वशिष्ठ जी ने देश की सेवा करने के उद्देश्य से अस्वीकार कर दिया.
- वशिष्ठ जी ने अपने सूत्रों से वैश्विक धरातल पर भारत की छवि को स्थापित किया हैं. इन्हें भले ही भारत में ज्यादा पहचान नहीं मिली हो परन्तु बाहरी देशों ने इन्हें बहुत ही सम्मान के साथ देखा जाता है.
- अमेरिका में आज भी इनके शोध किये हुए विषयों को पढ़ाया जाता हैं.
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