Newborn Baby Care Tips Hindi किसी भी स्त्री के जीवन में माँ बनने का एहसास बहुत ही सुखद होता हैं और यदि किसी महिला को दोहरी खुशी मिल जाये वह जुड़वाँ शिशु को जन्म दे तो यह खुशी को दोगुना कर देती हैं. हर माँ की यह ख़्वाहिश होती हैं कि उसका शिशु पूरी तरह स्वस्थ हो वो किसी भी प्रकार की बीमारी से ग्रसित न हो.
इसलिए वो कई उपायों द्वारा अपने बच्चों को स्वस्थ रखने की कोशिश करती हैं.
अब यदि बात करे जुड़वाँ शिशुओं के देखभाल की तो यह अपने आप में एक बहुत ही ज़िम्मेदारी वाला काम हैं, क्योंकि हर पल बच्चों के पास कोई न कोई होना चाहिये.
छोटे शिशु बाहरी वातावरण के प्रति बहुत ही संवेदनशील होते हैं. कुछ छोटी-छोटी बाते भी जो बड़ो के लिए सामान्य हैं उन्हें बीमारी की ज़द में ला सकती हैं.
जुड़वाँ शिशु को हेल्दी करने के घरेलू उपाय (Newborn Baby Care Tips Hindi)
जुड़वाँ बच्चों के साथ ये समस्या कुछ बढ़ भी सकती हैं क्योंकि जुड़वाँ बच्चों में कमजोरी होने के संभावनाएं कुछ ज्यादा होती हैं. जुड़वाँ बच्चों के केस में कभी-कभी समय से पहले भी बच्चे की डिलीवरी हो जाती हैं.
जिस कारण शिशु पूर्ण रूप से विकसित नही हो पाता और कमजोर हो जाता हैं.
इन समस्याओं के समाधान हेतु आज मैं आपको कुछ ऐसे घरेलू उपाय बताऊंगा, जो शिशु को स्वास्थ्य लाभ देने में बहुत कारगर साबित होंगे
माँ के दूध (MAA KA DUDH)
1. प्रथम 6 माह तक शिशुओं को सिर्फ माँ के दूध का सेवन कराना चाहिए.
2. माँ का दूध शिशु की सारी जरूरतों को पूरी करता हैं. कुछ लोग 4 माह के बाद शिशु को ठोस आहार देना चालू कर देते हैं जो कि गलत हैं. 3-4 माह तक तो पानी भी नही पिलाना चाहिए.
3. 6 माह पश्चात शिशु को ठोस आहार देना शुरू कर सकते हैं.
यदि 6 माह बाद भी शिशु कमजोर हैं तो नीचे लिखे नियम अनुसार आप शिशु को आहार दे.
दूध फिर नाश्ता (BABY DIET CHART HINDI)
शिशु जैसे ही सुबह उठे, उसे सबसे पहले माँ का दूध पिलाये. उसके बाद आप उसे 2 घंटे बाद नाश्ता कराए.
शिशुओं का नाश्ता
1. फल
नाश्ते में उसे हर दिन अलग अलग फलों का सेवन करायें. इससे यह फायदा होता हैं कि शिशु को हर तरह के पोषक तत्व मिल जाते हैं और उसका वजन बढ़ने लगता हैं.
शिशु को निम्न फलों का सेवन करा सकते हैं
1. 1/2 केला
2. 1/2 सेब
3. 1/2 पपीता
4. 1/2 नासपाती
इसके बाद शिशु दिनभर माँ के दूध में निर्भर रह सकता हैं.
कब कब दे फल
इन सब फलों को कुछ दिनों के अंतराल में एक-एक करके दिया जा सकता हैं. फलों को पहले मिक्सर से अच्छे से पीस ले और नरम होने पर चम्मच से बच्चे को दे.
इसके अलावा दूध के बने उत्पाद जैसे घी, पनीर, गाय का दूध शिशु को दिया जा सकता हैं.
2. चावल
चावल का पानी तरह-तरह की उबली हुई सब्जी दी जा सकती हैं.
3. आलू
आलू में प्रचुर मात्रा में कार्बोहाइड्रेड पाया जाता हैं जो बच्चों को ऊर्जा प्रदान करता हैं.अतः खाने में उबला हुआ आलू देना चाहिए.
4. शकरकंद
शकरकंद में विटामिन ए,बी,सी फ़ाइबर, पोटाशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. इसे दूध में मसल-कर बच्चे को खिलाना चाहिए. बच्चे को दिन में थोड़ा थोड़ा करके कम से कम 3 – 4 बार खिलाना चाहिये, पर यदि बच्चा नही खा रहा तो ज़बरदस्ती न करे, क्यों कि उसका पेट दूध से भी भर जाता हैं.
5. दाल
दाल में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता हैं, जो कमजोर शिशु के विकास के लिए अति आवश्यक हैं. इसलिए बच्चों को दाल का पानी पिलाना चाहिए.
6. मूंगफली
मूंगफली का मक्खन वजन बढ़ाने के लिये बहुत कारगर होता हैं. लेकिन इसे 1 साल से ऊपर के बच्चे को देना चाहिये. इसको एक रोटी में लगाकर बच्चे को दिया जा सकता हैं.
7. अन्य
इसके अलावा अंडे, मटर, नासपाती, उबले हुये चावल, शिशु के वजन बढ़ाने में सहायक होते हैं.
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मालिश
इसके अलावा शिशु की मालिश का हमारे देश में बहुत प्रचलन हैं. यह शिशु के कमजोर जोड़ को मजबूती प्रदान करता हैं. मालिश के लिए यदि सबसे अच्छे तेल की बात करे तो नारियल का तेल और सरसों का तेल सबसे बेहतर माना जाता हैं. सरसों के तेल से रक्त संचार अच्छा रहता हैं.
सफाई
बच्चों के कमज़ोर होने का एक कारण सफाई भी हैं. क्योंकि बच्चे जैसे ही कुछ महीने के होते हैं तो वो चलना शुरू कर देते हैं. अब आस-पास की गंदगी उनके पाँव और हाथ में लग जाती हैं. वो उसी गन्दे हाथ को मुंह में डाल लेते हैं, जो कि एक बीमारी का कारण बन सकता हैं. इसलिए अपने आसपास की सफाई का भी ध्यान रखे .
नींद
बच्चों की नींद भी बहुत आवश्यक हैं. बच्चों की नींद का एक नियम बना ले, और उसी समय उसे सुलाए. इसके अलावा नींद में कोई बाधा न पहुचे इस बात का विशेष ध्यान रखे.
कमरे की लाइट को बंद कर दे. कोई भी आवाज का साधन हो तो उसे दूर कर दे .
जरुरी बातें
जुड़वाँ बच्चों को पालना अपने आप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी हैं. इन उपायों के अलावा कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिये.
1. कोशिश करे कि दोनों बच्चों के सोने का समय एक हो.
2. दोनों के टीकाकरण का बिल्कुल ध्यान रखे.
3. माँ के शरीर में दो बच्चों के लायक दूध बनने लगता हैं. इसलिए दूध की फिक्र नही करना चाहिये. कम से कम दोनों बच्चों को
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