भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध (कारण और उपाय) हिंदी में | Essay on Unemployment (Problem, Causes and Solution) in Hindi
महाविद्यालय की डिग्री लेकर रोजगार की तलाश में भटकते हुए नवयुवक के चेहरे पर निराशा और चिंता का भाव होना आजकल देखना सामान्य सी बात हो गई है. कभी-कभी रोजगार की तलाश में भटकता हुआ युवक अपनी डिग्रियां फाड़ने अथवा जलाने के लिए विवश दिखाई देता है. वह रात को देर तक बैठकर अखबारों के विज्ञापनों को पड़ता है. आवेदन पत्र लिखता है साक्षात्कार लेता है और नौकरी ना मिले पर पुनः रोजगार की तलाश में भटकता रहता है. युवक अपनी योग्यता के अनुरूप नौकरी खोजता रहता है. घर के लोग उसे निकम्मा समझते हैं समाज के लोग आवारा कहते हैं. निराशा की नींद सोता है और आंसुओं के खारे पानी को पीकर समाज को अपनी मौन व्यथा का सुनाता है.
बेरोजगारी का अर्थ (Unemployment Definition)
बेरोजगारी का अभिप्राय उस स्थिति से है जब कोई योग्यता काम करने के लिए इच्छुक व्यक्ति प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के लिए तैयार हो और उसे काम ना मिलता हो. बालक, वृद्ध, रोगी, अक्षम एवं अपंग व्यक्तियों को बेरोजगार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता हैं. जो व्यक्ति काम करने के इच्छुक नहीं है और परजीवी भी है बेरोजगारी की श्रेणी में नहीं आते हैं.
बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या (Unemployment Problem)
भारत की आर्थिक समस्याओं के अंतर्गत बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या है. वस्तुतः यह एक ऐसी बुराई है जिसके कारण केवल उत्पादक मानव शक्ति नष्ट नहीं होती वरन देश का भावी आर्थिक विकास अवरुद्ध हो जाता है. जो श्रमिक अपने कार्य द्वारा देश के आर्थिक विकास में सक्रिय सहयोग दे सकते हैं. वह कार्य के अभाव में बेरोजगार रह जाते हैं. यह स्थिति हमारे विकास में बाधक है.
बेरोजगारी एक अभिशाप
बेरोजगारी किसी भी देश या समाज के लिए अभिशाप है. इससे एक और निर्धनता भुखमरी तथा मानसिक अशांति फैलती है तो दूसरी ओर युवाओं में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता बढ़ती है. चोरी, डकैती, हिंसा, अपराध एवं आत्महत्या अधिक समस्याओं के मूल में एक बड़ी सीमा तक बेरोजगारी ही विद्यमान है. बेरोजगारी एक ऐसा भयंकर विष हैं. जो संपूर्ण देश के आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन को दूषित कर देता है तो उसके कारणों को खोजकर उसका निराकरण अत्यधिक आवश्यक है.
बेरोजगारी के कारण (Unemployment Cause)
भारत में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं. जिनमें प्रमुख निम्न हैं.
जनसंख्या में वृद्धि
बेरोजगारी का प्रमुख कारण है जनसंख्या में तीव्र वृद्धि विगत कुछ दशकों में भारत में जनसंख्या का विस्फोट हुआ है. हमारे देश में जनसंख्या में प्रतिवर्ष 3.50 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है. जबकि हमारे देश में इस दर से बेरोजगार व्यक्तियों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं है.
दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली
भारतीय शिक्षा सैद्धांतिक अधिक है. वह व्यवहारिकता से शून्य है. इसमें पुस्तकीय ज्ञान पर ही विशेष ध्यान दिया जाता हैं. इसी कारण यहाँ के कॉलेजों से निकलने वाले छात्र दफ्तर के लिपिक ही बन पाते हैं. वे निजी उद्योग धंधे स्थापित करने योग्य नहीं बनते हैं.
औद्योगीकरण की मंद प्रक्रिया
विगत पंचवर्षीय योजनाओं में देश के औद्योगिक विकास के लिए प्रशंसनीय कदम नहीं उठाए गए किंतु समुचित रुप से देश का औद्योगिकीकरण नहीं किया जा सका.
कृषि का पिछड़ापन
भारत की लगभग 70% जनता कृषि पर निर्भर है कृषि के क्षेत्र में अत्यंत पिछड़ी हुए दशा के कारण कृषि बेरोजगारी व्यापक हो गई है.
कुशल एवं प्रशिक्षितों की कमी
हमारे देश में कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी है अतः उद्योगों के संचालन के लिए विदेशों से प्रशिक्षित कर्मचारी बुलाने पड़ते हैं. इस कारण से भारतीय कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों के बेकार हो जाने की भी समस्या होती है.
इसके अतिरिक्त मानसून की अनियमितता, भारी संख्या में शरणार्थियों का आगमन, मशीनीकरण के कारण होने वाली श्रमिकों की छटनी, श्रम की मांग एवं पूर्ति में असंतुलन आर्थिक साधनों की कमी से ही बेरोजगारी में वृद्धि हुई है. देश को बेरोजगारी से उभारने के लिए इनका समुचित समाधान नितांत आवश्यक है.
बेरोजगारी दूर करने के उपाय (Unemployment Solutions)
बेरोजगारी दूर करने के निम्नलिखित उपाय सहायक सिद्ध हो सकते हैं
जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण
जनसंख्या में अत्यधिक वृद्धि ही बेरोजगारी का मूल कारण है. अतः इस पर नियंत्रण बहुत आवश्यक है. जनता को परिवार नियोजन का महत्व समझाते हुए उसमें छोटे परिवार के प्रति चेतना जागृत करनी चाहिए.
शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन
शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन शिक्षा को व्यवसाय प्रधान बनाकर शारीरिक श्रम और खेलों को भी महत्व दिया जाना चाहिए.
कुटीर उद्योगों का विकास
सरकार द्वारा कुटीर उद्योगों के विकास की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए.
औद्योगिकरण
देश में व्यापक स्तर पर औद्योगिकरण किया जाना चाहिए. इसके लिए विशाल उद्योगों की अपेक्षा लघुस्तरीय उद्योगों का अधिक विकास करना चाहिए.
सहकारी खेती
कृषि के क्षेत्र में अधिकाधिक व्यक्तियों को रोजगार देने के लिए सहकारी खेती को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.
सहायक उद्योगों का विकास
मुख्य उद्योगों के साथ-साथ सहायक उद्योगों का भी विकास किया जाना चाहिए जैसे कृषि के साथ पशुपालन तथा मुर्गी पालन आदि. सहायक उद्योगों का विकास करके ग्रामीण जनों को बेरोजगारी से मुक्त किया जा सकता है.
राष्ट्र निर्माण संबंधी विविध कार्य
देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए राष्ट्र निर्माण संबंधी विविध कार्यों का विस्तार किया जाना चाहिए. जैसे सड़कों का निर्माण, रेल परिवहन का विकास, पुल निर्माण, बांध निर्माण तथा वृक्षारोपण आदि.
उपसंहार (Conclusion)
भारत सरकार बेरोजगारी के प्रति जागरुक है तथा इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठा रही है. परिवार नियोजन, बैंकों का राष्ट्रीयकरण, कच्चा माल एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सुविधा, कृषि भूमि की हदबंदी, नए उद्योगों की स्थापना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना, नेशनल स्किल डेवलपमेंट संस्थान आदि जो बेरोजगारी को दूर करने में एक सीमा तक सहायक सिद्ध हुए हैं. इनको ओर अधिक विस्तृत एवं प्रभावी बनाने की आवश्यकता है.
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