Bhopal Gas Tragedy Information in Hindi आज हम आपको भारत के इतिहास की ऐसी त्रासदी के बारे में आपको रूबरू करवाएंगे जिसने पूरी दुनिया को एक ही रात में पूरी दुनिया को हिलाकर हजारों लोगों को मौत के आगोश में ले लिया. हम बात कर रहे हैं भोपाल गैस त्रासदी के बारे में. भोपाल गैस त्रासदी या फिर कहे भोपाल गैस कांड ऐसी घटना थी जिसके निशान आज तक लोगों में देखे जाते हैं और उस मंजर को याद करके लोगों की नीद उड़ जाती हैं. आज हम आपको उस घटना के बारें में विस्तार से जानकारी देंगे आखिर क्या हुआ था उस त्रासदी के पहले और बाद में.
भोपाल मध्यप्रदेश की राजधानी हैं भोपाल को राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय भी हैं. इस शहर को झीलों की नगरी भी कहा जाता हैं. इतना खुबसूरत शहर होने के बाद भी इस शहर को गैस त्रासदी से जूझना पड़ा. इसके पीछे की वजह बनी जय प्रकाश नगर जिसे जेपी नगर भी कहा जाता हैं में स्थित एक फैक्ट्री “यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड”. जिसमे 33 साल पहले अचानक 2-3 दिसम्बर ही मध्य रात्रि प्लाट नंबर सी में फिट मिथाइल आइसो साइनाइट (मिक) लीक होने लग गयी. जैसे जैसे यह रसायन हवा में मिल रहा था वैसे वैसे जहर बनता जा रहा था. एक रिपोर्ट के अनुसार 2 दिसम्बर तक टैंक में कुल 40 टन मिथाइल आइसो साइनाइट भरी हुयी थी. जो कि तय मानकों से 10 गुना थी. यह रिसाव आधी रात को होना शुरू हुआ. रात का समय होने के साथ शहर के अधिकांश लोग घरों के अन्दर सो रहे थे. जैसे जैसे मिथाइल आइसो साइनाइट हवा में मिलते जा रहा था हवा के झोंके उसे लोगों के घरों तक पहुँच रहे थे. एकाएक लोग मौत की नीद में सोते जा रहे थे.
जैसे जैसे यह गैस लोगों के फेफड़ों में जा रही थी लोगों को को साँस लेने और आँखों में तीव्र जलन होने लग गयी. जब बड़ी संख्या में लोग गैस से प्रभावित होकर आंखों में और सांस में तकलीफ की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों को भी पता नहीं था कि इस आपदा का कैसे इलाज किया जाए? संख्या भी इतनी अधिक कि लोगों को भर्ती करने की जगह नहीं रही.
इस गैस के सबसे आसन शिकार वह लोग बने जो लोग यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के आस पास के इलाके में झुग्गी बस्तियों में रहते थे. यह लोग फैक्ट्रीयों में काम करने वाले वह मजदूर थे जो दो वक़्त की रोटी के लिए छोटे-छोटे गाँव से आकर यहाँ बस गए थे. ऐसा कहा जाता हैं कि यह लोग गैस रिसाव के मात्र 3 मिनिट के अन्दर मौत की नीद सो गए थे.
जैसे-जैसे यह खबर शहर में फैलते जा रही थी वैसे-वैसे फैक्ट्री से दूर ऊँची जगह जाने लग गए. क्योंकि मिथाइल आइसो साइनाइट भारी होने की वजह से ऊँची जगह नहीं पहुँच पाती.
मध्यप्रदेश सरकार की अधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार एक ही रात में मिथाइल आइसो साइनाइट से 2259 लोगों की मौत हो गयी थी. (bhopal gas tragedy death numbers) अन्य दस्तावेजों के अनुसार लगभग 8000 लोग दो सप्ताह के अन्दर हुई. इसके अलावा 558,125 लोग सीधे तौर पर प्रभावित इससे हुए.
कैसे हुई थी गैस लीक ( Bhopal gas tragedy gas Leaked )
सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे के अनुसार जीपी नगर स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्टरी के टैंक नंबर 610 जिसमे मिथाइल आइसोसाइनेट गैस रखी जाती थी. में पानी मिल गया था. जिससे इसमें रासायनिक प्रक्रिया हुई और टैंक के भीतर दबाव बना और अंतत: टैंक में लीकेज हो गया. फैक्ट्री में एक सुरक्षा उपकरण भी लगा हुआ था लेकिन वह ख़राब हो गया और मिथाइल आइसोसाइनेट हवा में घुल गई.
क्या उपयोग होता हैं मिथाइल आइसोसाइनेट का ( Bhopal gas tragedy caused by which gas)
मिथाइल आइसोसाइनेट एक आर्गेनिक कंपाउंड हैं जिसे मिक भी कहा जाता हैं. इस केमिकल का उपयोग रबर बनाने और कीटनाशकों को बनाने के लिए किया जाता हैं. इन कीटनाशकों का उपयोग कृषि में किया जाता हैं. हवा में इसकी मात्रा ज्यादा होने के बाद आँखों में जलन और साँस लेने में दिक्कत होती हैं. मिथाइल आइसोसाइनेट मनुष्यों के फेफड़े में संचित ओक्सीजन को बाहर निकल देता हैं जो कि जानलेवा साबित होता हैं.
यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के बारे में जानकारी ( Bhopal gas tragedy factory name )
यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन (यूनियन कार्बाइड) की स्थापना वर्ष 1917 को की गयी थी. यह संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की एक बड़ी रसायन और बहुलक बनाने वाली कंपनी हैं. यह कंपनी आज तक कार्यरत हैं. और मौजूदा समय में इसमें 3800 कर्मचारी कार्यरत हैं. भोपाल गैस त्रासदी में जिस फैक्ट्री से गैस रिसाव हुआ था वह इसी कंपनी की थी. जो कि वहाँ कीटनाशक बनाने का कार्य करती थी. गैस कांड के बाद इस फैक्ट्री में काम बंद हो गया. वर्ष 2001 में यूनियन कार्बाइड ने भोपाल गैस त्रासदी में मारे गए लोगों की याद में भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की स्थापना की. जिसके बाद इस कंपनी ने भारत में अपना व्यापार करना बंद कर दिया.
घटना पश्चात् की स्थिति ( Bhopal gas tragedy causes and effects )
भोपाल गैस त्रासदी हुए आज लगभग 34 साल हो चुके हैं लेकिन इस क्षति की भरपाई आज तक कोई सरकार नहीं कर सकी हैं. यहीं नहीं घटना में मारे गए लोगों की संख्या में बड़ा विवाद हैं. जहरीली गैस के अंश आज तक लोगों और उनकी नई पीढ़ी में दिखाई दे रहे हैं. लंगड़े-लूले, अपंग बच्चे पैदा हो रहे हैं. कम उम्र में ही दिल की बीमारी लग रही है. जेपी नगर में उस समय रहने वाले नूर हसन के अनुसार घटना के समय उनकी आयु 14 वर्ष थी. वह द्रश्य इतना भयानक था कि उस मंजर को याद करके आज भी उनकी रूह सिहर जाती हैं. हालात सामान्य हुए तो देखा पेड़ के पत्ते और फल काले पड़ चुके थे. सड़कों पर जानवर मरे पड़े थे. हर घर में मातम पसरा था. तब हर घर से एक मय्यत निकली थी.
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वर्ष 2014 को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रतीक शर्मा लामिचन्ने द्वारा एक रिसर्च वर्क किया गया जिसमे पाया गया कि जेपी नगर के सभी लोगों में किसी न किसी प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्या पाई गई. इन समस्याओं में सांस फूलना, खांसी, सीने में दर्द, थकान, बदन दर्द, पेट दर्द, अंग सुन्न होना, हाथ-पैर में झुरझुरी, उच्च रक्तचाप, घबराहट, मानसिक अस्वस्थता मुख्य थीं.
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