History of Chess Game and Interesting Facts in Hindi | शतरंज खेल का इतिहास और उससे जुड़े रोचक तथ्य
आज के दौर में रणनीति वाले खेलों का सरताज “शतरंज” को कहा जाता हैं. शतरंज के खेल का उल्लेख हमे महाकाव्य रामायण में भी मिलता हैं. लंकापति रावण ने अपनी पत्नी मंदोदरी का मन रखने के लिए शतरंज के खेल को बनाया था. प्राचीन भारत में यह खेल सिर्फ मजे और मस्ती के लिए ही नहीं खेले जाते थे. बल्कि इन खेलों में कई जिंदगियां दांव पर लग जाती थी.
शतरंज का जन्म भारत में चन्द्रगुप्त वंश के शासन के दौरान करीब (280-250 BC) हुआ ऐसा प्रमाण मिलता है. लोगो का मानना यह हैं कि शतरंज का खेल पर्शिया(PERSHIA) से उभरा हैं. प्राचीन भारत में यह खेल “चतुरंगा (Chaturanga)” के नाम से जाना था. चतुरंगा का खेल भारत में चौथी शताब्दी में खोजा गया था. वैसे तो शतरंज के खेल दो विरोधियों के बीच में खेला जाता हैं. परन्तु चतुरंगा का खेल चार लोगो के बीच में खेला जाता था.
शतरंज में प्रत्येक खिलाडी के पास 16 गोटी होती हैं. जबकि चतुरंगा में हर एक खिलाडी के पास 8 गोटी होती थी. चतुरंगा में दो लोगों का गठबंधन होता था और मर्जी के अनुरूप गुटबंदी तो तोड़ा जा सकता था. शतरंज में आमने-सामने की टक्कर होती है. जबकि चतुरंगा में साइडवाइज (SIDEWISE) लड़ाई होती हैं.
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एक महत्वपूर्ण बात यह हैं कि चतुरंगा का यह खेल पांसो से खेला जाता था इसलिए यह किस्मत का भी खेल था. जबकि शतरंज के खेल में पांसो का उपयोग नहीं होता है. चतुरंगा में रानी या वजीर नहीं होता हैं क्योंकि प्राचीन भारत में रानियाँ युद्ध में नहीं जाया करती थी.
चतुरंगा के पांसो की गिनती के अनुसार गोटियो को आगे बढाया जाता हैं. यदि आपको एक आया तो प्यादा, तीन आने पर घोडा, चार आने पर हाथी और छह आने पर राजा या सिपाही को बढाया जाता हैं. चतुरंगा की इसी रचना को संशोधित किया गया हैं चेस(chess) के खेल में. हमारे देश में बने इन खेलों को पूरी दुनिया में विविधता के साथ खेला जाता हैं.
शतरंज से जुड़े रोचक तथ्य(Interesting Facts about Chess in Hindi)
- विश्व में अंग्रेजी भाषा में जो दूसरी किताब छपी थी. वह शतरंग के बारे में ही थी.
- शतरंज के एक खेल में अधिकतम 5949 चाले चल सकते थे.
- खेल शुरू होने के बाद दोनों तरफ से केवल चार चाल को 318,979,564,000 तरीको से चला जा सकता हैं.
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