Historical Significance of Uttarpradesh City Shahjahanpur in Hindi| शाहजहाँपुर का इतिहास, ऐतिहासिक महत्व और प्रसिद्ध चीजें
शाहजहाँपुर भारत के उत्तरप्रदेश का एक जिला है. जिसे “शहीदगढ़ या शहीदों की नगरी” के नाम से भी जाना जाता हैं. यह वही जगह है जहां भारत छोड़ो आन्दोलन और काकोरी कांड के शूरवीरो का लहू आज भी यहाँ की धरती में समाहित हैं. यह एक एतिहासिक क्षेत्र भी हैं. क्योंकि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग को यहाँ किये गए उत्खनन में सिक्के, बर्तन व अन्य वस्तुएं मिली थी. शाहजहाँपुर की भूमि वैदिक काल से लेकर वर्तमान समय तक चर्चा में रही हैं. शाहजहांपुर को 2018 में उत्तर प्रदेश का 17 वां नगर निगम का दर्जा मिला है.
शाहजहाँपुर का इतिहास (Shahjahanpur History)
पुराण के अनुसार राजा हर्यश्व के पांच पुत्रों में राज्य को बांटा गया था. सनातन काल की कई कथाएँ यहाँ प्रचलित हैं. हिन्दू धर्म के अनुसार इस जिले की पुवायाँ तहसील की नदी के सुनासर घाट पर राजा इंद्रा ने कई वर्षो तक ताप किया था. जिसके बाद भगवान् शिव और माता पार्वती ने उन्हें एक साथ दर्शन दिए थे. और इसी स्थान पर शिव पार्वती की मूर्ती विराजमान हैं. शाहजहाँपुर जिले की जलालाबाद तहसील में भगवान परशुराम का मंदिर है. जहां उनका फरसा आज भी देखा जा सकता हैं. शाहजहाँपुर में स्थित गोला गोकर्णनाथ का मन्दिर त्रेतायुग में बनाया गया था. महाभारत के समय पाण्डवों ने कुछ दिन यहीं पर बिताये थे.
किसी समय शाहजहांपुर शहर का नाम अंगदीया था. मुस्लिम शासक शाहजहांपुर के कार्यकाल में यह क्षेत्र गंगा दुर्गा कटेहर के नाम से जाना जाता था. उस समय इस क्षेत्र पर राजपूतों का राज था. वर्ष 1646 में नबाव बहादुर खां ने अंगदीया का नाम बदलकर शाहजहांपुर कर दिया था.
शाहजहाँपुर का भूगोल (Shahjahanpur Geography)
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
समुद्रतल से ऊँचाई | 194 मीटर (600 फुट) |
मुख्यालय | राजनेता |
कुल जनसंख्या(2011 तक) | 30,02,376 |
साक्षरता (2011) | 61.6 |
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शाहजहाँपुर ऐतिहासिक व्यक्ति एवं स्थान (Shahjahanpur Historical Places)
शाहजहांपुर शहर में दो महान क्रांतिकारियों शहीद “अहमद उल्लाह शाह” और “शहीद अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ ” की मजार भी हैं.
अहमद उल्लाह शाह 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जिसके कारण अंग्रेजो ने उनका सिर काटकर शहर के बीचो-बीच कोतवाली पर बहुत ऊँचाई पर इसलिये टाँग दिया गया था ताकि कोई बगावत करने की हिम्मत न कर सके. इसके बावजूद क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो का कत्लेआम जारी रखा. कुछ अंग्रेजो ने क्रांतिकारियों के इस रूप के कारण डरकर घण्टाघर रोड पर स्थित एक नवाब की कोठी में शरण ली थी. परन्तु अपने साथी की मौत के कारण उग्र क्रांतिकारियों ने उस कोठी में आग लगा दी थी. जिसमें इस कोठी में छुपे सभी अंग्रेजो की मौत हो गई थी. वह कोठी आज भी जली कोठी के नाम से महशूर हैं.
काकोरी कांड जिसने ब्रिटिश सरकार के लिये एक बहुत बड़ी क्षति थी. इस काकोरी कांड की योजना के लिए बैठक का आयोजन शाहजहाँपुर में रामप्रसाद बिस्मिल की अध्यक्षता में हुआ था और 9 अगस्त 1925 को शाहजहाँपुर शहर के रेलवे स्टेशन से बिस्मिल के नेतृत्व में कुल 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी ट्रेन को लूट लिया था.
इनके अलावा क्रान्तिकारी पण्डित रामप्रसाद बिस्मिल, उनके प्रमुख सहयोगी व एक साथ फाँसी पर झूलने वाले अशफाक उल्ला खाँ व ठाकुर रोशन सिंह ने भी इस जिले का नाम पूरे विश्व में रोशन किया हैं.
शाहजहाँपुर की अन्य बातें (Some Interesting Facts About Shahjahanpur)
उत्तर रेलवे का प्रमुख जंक्शन शाहजहाँपुर हैं. यहाँ ब्रिटिश शासन के समय से ही दो रेलवे जंक्शन हैं. यहाँ एक कपडे की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री भी हैं जो सेना के लिए कपडे और पैराशूट बनाती हैं.
Pranam maharana ki virtako
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