टीकाकरण क्या है? क्यों है इतना जरुरी ? | Tikakaran Information In Hindi

टीकाकरण | Tikakaran Information In Hindi

संक्रमण रोगों की रोकथाम के लिए टीकाकरण सबसे अधिक प्रभावी और सस्ती विधि मानी जाती हैं. टीकाकरण को वैक्सीनेशन के नाम से भी जाना जाता हैं. टीकाकरण लोगों को रोगों से बचाता हैं. टीकाकरण एक प्रकार की दवाई हैं, जो सामान्यतः सुई (इंजेक्शन) के माध्यम से लगाया जाता हैं. गाँवों में आज भी टीके को लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिससे कई नवजात शिशुओं को टीका नही लगवाया जाता हैं. और बच्चे बीमारियों के शिकार हो जाते हैं जिसके कारण बच्चों की मृत्यु भी हो जाती हैं. इसके लिए हमें जानना होगा कि टीकाकरण क्यों आवश्यक हैं? तथा इसको लगवाने के क्या फायदे हैं.

Tikakaran Information In Hindi

टीकाकरण क्या होता हैं ? | What is Tikakaran(Vaccination)?

सामान्य शब्दों में टीकाकरण एक जीवन रक्षक औषधि हैं, जो बच्चे का रक्षा कवच बनकर उसकी रक्षा करती हैं. ‘किसी बीमारी के विरुद्ध प्रतिरोधात्मक क्षमता (immunity) को विकसित करने के लिए जो दवा खिलाई-पिलाई या अन्य किसी रूप में दी जाती हैं, उसे टीका कहते हैं, तथा इस क्रिया को टीकाकरण कहते हैं.

टीके एन्टीजनिक पदार्थ होते हैं. टीके के रूप में दी जाने वाली दवा या तो जीवाणु की जीवित लेकिन क्षीण मात्रा होती हैं या इन को मारकर या अप्रभावी करके या फिर कोई शुद्ध किया गया पदार्थ, जैसे प्रोटीन आदि हो सकते हैं. सबसे पहले चेचक का टीका आज़माया गया, जो कि भारत या चीन में 200 ईसा पूर्व हुआ.

टीकाकरण क्यों आवश्यक हैं ?| Importance of Tikakaran (Vaccination)

टीका बच्चे के शरीर को संक्रामक रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता हैं, ताकि नवजात शिशु को कोई रोग ना लगे. बच्चों को टीका लगवाने की इसी क्रिया को वैक्सीनेशन कहते हैं. सामान्य शब्दों में टीकाकरण, आगे कोई रोग पैदा ना हो इसलिए किया जाता हैं.

टीकाकरण के प्रकार | Type of Tikakaran (Vaccination)

टीकाकरण 3 प्रकार के होते हैं.

  1. प्राथमिक टीकाकरण
  2. बूस्टर टीकाकरण
  3. सार्वजनिक टीकाकरण

टीके का इतिहास | Tika Ki khoj Kisne Ki

यदि एडवर्ड नही होते तो आज पूरी दुनिया में 1.5 करोड़ लोग प्रतिवर्ष सिर्फ चेचक की बीमारी से पीड़ित होकर मर जाते. जेनर ने ही पहले टीके की खोज की थी. तथा उन्हीं के समय से अब तक के सभी टीके उनकी खोज पर आधारित हैं.
17 मई 1749 में इंग्लेंड में जन्मे एडवर्ड जेनर मेडिकल के इतिहास में सबसे प्रसिद्ध फिजिशियनों में से एक हैं, क्योंकि जेनर ने एक अवधारणा का परीक्षण किया कि काउपॉक्स का संक्रमण किसी व्यक्ति को चेचक के संक्रमण से बचा सकता हैं. उट्टन में अपनी प्रारंभिक शिक्षा समाप्त करके सन् 1970 में लन्दन गये.

अपने विद्यार्थी काल में जेनर ने केप्टन कुक की समुद्री यात्रा से प्राप्त प्राणिशास्त्रिय नमूनों को व्यवस्थित करना शुरू कर दिया और अपनी खोज में लग गये. 1775 में जेनर ने सिद्ध किया की ‘गोमसुत्र’ में दो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हैं जिनमे से एक चेचक से रक्षा करती हैं. यह भी बताया कि ‘गोमसुरी’, ‘चेचक’ और ‘घोड़े के पैर की ग्रीज़’ नामक बीमारियाँ अनुषंगी (एक ही जैसी) हैं.

चेचक क्या हैं? | What is Chicken Pox

चेचक मानव में पाया जाने वाला एक रोग हैं. इस रोग से ज्यादातर बच्चे ग्रसित होते हैं. यह रोग जब किसी व्यक्ति को हो जाता हैं तो उसे ठीक होने में 10 से 15 दिन लग जाते हैं, किन्तु इस रोग के कारण चेहरे व शरीर पर निशान पड़ जाते हैं, जिन्हें ठीक होने में 5 से 6 महीने लग जाते हैं. यह रोग बसंत और ग्रीष्म काल में अधिकतर होता हैं. यदि इस बीमारी का इलाज समय पर नही किया जाता हैं, तो उससे उस व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती हैं.

1803 में चेचक के टीके के प्रसार के लिये ‘रॉयल जेनेरियन’ संस्था की स्थापना की गई. एडवर्ड जेनर के कार्यो के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने एम.डी. की उपाधि से सम्मानित किया. 26 जनवरी 1823 में बर्कले में एडवर्ड की मृत्यु हो गई.

टीके व उनके आविष्कारकों के नाम

  • जोनस साल्क द्वारा पोलियों
  • जॉन फ्रैंकलिन एंडर्स द्वारा खसरे
  • एडवर्ड जेनर द्वारा श्लोक
  • लुई पाश्चर और एमिल रौक्स द्वारा रेबीज़
  • इयान फ्रेज़र और जियान झोउ द्वारा एचपीवी

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