भारत देश का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? | 26 January kyu manaya jata hai | Why Republic day celebrate on 26 January in Hindi
भारत में हर वर्ष दो तारीखों 15 अगस्त और 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व (National Holiday) मनाया जाता हैं. 15 अगस्त के बारें में तो आप अच्छे से जानते होंगे कि इस दिन हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुआ था और 26 जनवरी के बारे में भी अपने पढ़ा होगा कि इस दिन हमारा संविधान लागू हुआ था लेकिन आपको शायद यह मालूम नहीं होगा कि यह केवल एक कारण नहीं हैं जिसके कारण हम 26 जनवरी मनाते हैं. चलिए तो आइए हम आपको बताते हैं कि रिपब्लिक डे के बारे में कुछ ऐसे फैक्ट्स जो शायद ही आप जानते होंगे.
26 January मनाने के कारण (Reason of 26 January Celebration)
कारण 1
26 जनवरी की पहली नीव सरदार भगत सिंह के कारण पड़ी थी. साल 1927 में भगत सिंह और हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोशियशन की भारतीय राजनीति में मांग बढ रही थी. इस दौरान भगत सिंह ने कांग्रेस से अलग पूर्ण स्वराज की बात रखी. इससे पूर्व कांग्रेस नेता डोमिनन स्टेटस के पक्ष में थे. जिसके तहत यूके का मोनार्च ही भारतीय संविधान का अध्यक्ष होने जा रहा था. भगत सिंह ने पूर्ण स्वराज की मांग रखी जिससे युवा नेता सुभाषचंद्र बोस, जवाहर लाल नेहरु प्रभावित हो गए. उन्होंने कांग्रेस से मांग की वे भी पूरी आजादी की मांग करे लेकिन उनकी ये आवाज़ सुनी नहीं गई.
कारण 2
इसी क्रम में आगे दिसंबर 1928 को कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटश की मांग करते हुए एक प्रस्ताव लाई, और ब्रिटिश सरकार को एक साल का समय दिया. ब्रिटिश ने इस विचार को नकार दिया, ये कहते हुए कि भारत डोमिनन स्टेटस के लिए अभी तैयार नहीं है. तब इससे कांग्रेस नाराज हो गई.
इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस का अधिवेशन 1929 को लाहौर में हुआ. जहाँ पर कांग्रेस ने डोमिनन स्टेटस से अलग पूर्ण स्वराज के लिए वोट किया. इसके बाद एक प्रस्ताव पारित हुआ कि 1930 में जनवरी के आखिरी रविवार को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जायेगा. जनवरी का आखिरी रविवार 1930 में 26 तारीख को पड़ा. इस दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया. इस तरह भारत ने अपना पहला स्वाधीनता दिवस मनाया.
कारण 3
15 अगस्त को जब हमें पूर्ण स्वतंत्रता मिली इसके बाद भारत का संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई और 26 नवंबर 1949 तक तैयार हो गया, लेकिन तब जो नेता थे उन्होने दो महीने और रुकने और 26 जनवरी को लागू करने का निर्णय लिया क्योंकि इसी दिन भारत ने अपनी पूर्ण स्वतंत्रता की कल्पना की थी. 26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया.
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गणतंत्र दिवस की अथिति परंपरा (Guest Tradition of 26 January)
भारत के गणतंत्र दिवस पर अथितियों की आने की परंपरा देश के पहले गणतंत्र दिवस से ही शुरू हो गयी थी. पहले गणतंत्र दिवस पर भारत की ओर से इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘सुकर्णो’ को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था. पहले गणतंत्र दिवस पर आज की तरह होने वाली परेड का आयोजन नहीं किया था. इस दिन भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और इरविन स्टेडयिम में भारतीय तिरंगा फहराया था. भारत का सविंधान लागु होने के 6 मिनिट के बाद भारत को 10:24 पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद के रूप में पहले राष्ट्रपति मिले थे.
पहली गणतंत्र दिवस परेड (First parade of 26 January )
वर्ष 1955 से पूर्व भारत के पास गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए कोई निश्चित जगह नहीं थी. शुरू में इसे लाल किला, नेशनल स्टेडियम, किंग्सवे कैंप और फिर रामलीला मैदान में आयोजित किया गया था. गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी. जिसके बाद प्रतिवर्ष यह परंपरा चलती आ रही हैं. राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे.