List of Beautiful and Historical Places to Visit in Capital Delhi in Hindi | भारत की राजधानी दिल्ली की प्रमुख दर्शनीय स्थल की सूची
हमारे देश की राजधानी दिल्ली हैं. हर कोई ज़िन्दगी में एक बार यहाँ घुमने जरुर जाता हैं. दिल्ली एक बहुत ही अद्भुत जगह हैं यह शहर सुन्दर होने के साथ काफी ऐतिहासिक महत्त्व रखता हैं. यह शहर पुरे देश की सत्ता का केंद्र रहा हैं. जितने भी शासकों ने भारत में राज किया हैं उन्होंने दिल्ली से ही राज किया हैं. आज भी देश की सत्ता का प्रमुख केंद्र दिल्ली ही हैं. जब भी कोई नया व्यक्ति दिल्ली जाता हैं तो उसे दिल्ली की प्रमुख जगहों की जानकारी नहीं होती हैं. इसीकारण दिल्ली की पूरी सुन्दरता देखने से वांछित रह जाता हैं लेकिन हम आपके लिए दिल्ली के महत्वपूर्ण जगहों और उनके खुलने के समय की जानकारी लेकर आये हैं. जिससे आपको कभी भी इस दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा.
लाल किला (Red Fort)
शाहजहां द्वारा लाल पत्थर से बनवाया गया यह किला देश के सर्वोत्तम किलो में से एक है. 17 वीं सदी में यह किला उस समय बनाया गया था जब उसने अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली स्थानांतरित की थी. असामान्य अष्टकोणीय आकार का यह किला 2 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है. किले के चारों ओर 75 फुट चौड़ी और 30 फुट गहरी खाई बनी हुई है जो कि युद्ध के समय पानी से भर दी जाती थी इसके 3 दरवाजे हैं लाहौर दरवाजा, दिल्ली दरवाजा एवं हाथी दरवाजा. वास्तुकार के हुनर के उत्तम नमूने है. इस किले में आजकल पैवेलियन, बगीचे, टैंक, मार्बल से बनी मोती मस्जिद, दुकानें, दो संग्रहालय और युद्ध स्मारक आदि स्थित है. किले के दर्शनीय अन्य स्थलों में नौबत खाना, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंगमहल एवं खासमहल आदि है. भारत की आजादी के शुभ दिवस 15 अगस्त 1947 को यहां पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था तब से यह परंपरा आज तक चल रही है और हर साल प्रधानमंत्री यहां तिरंगा फहराते हैं
OPEN : 10AM to 8PM
कुतुबमीनार (Qutub Minar)
लालकोट स्मारक के ऊपर बहुत ऊंची यह मीनार दिल्ली के सर्वाधिक प्रसिद्ध स्थलों में से एक है. 92.5 मीटर ऊँचे इस मीनार का जमीन पर व्यास 14.4 मीटर है एवं ऊंचाई पर इसका व्यास 2.4 मीटर है. 5 मंजिला इस इमारत की 3 मंजिले लाल पत्थरों से एवं दो मंजिले मार्बल एवं लाल पत्थर से निर्मित है. इस इमारत का प्रथम खंड महाराजा पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था जो कि पृथ्वी लाट के कहलाया परंतु मुस्लिमों के शासन के बाद इस पर 1193 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने दूसरी मंजिलों का निर्माण शुरू करवाया था. इसी वजह से इसका नाम कुतुबमीनार कर दिया गया उसकी मृत्यु के पश्चात उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमसुद्दीन इल्तुतमिश ने इसे पूरा करवाया. मीनार में देवनागरी भाषा के शिलालेख के अनुसार यह मीनार 1326 में क्षतिग्रस्त हो गई थी और इसे मोहम्मद बिन तुगलक ने ठीक करवाया था. बाद में 1367 में फिरोज शाह ने इसकी ऊपरी मंजिल को हटवाकर इसमें दो मंजिले जुड़वा दी. इस मीनार के प्रत्येक खंड को छज्जे से अलग किया हुआ है इसके पास सुल्तान इल्तुतमिश अलाउद्दीन, बलबन एवं अकबर की धाय माँ के पुत्र अधम खां के मकबरे स्थित है.
OPEN : 10AM to 8PM
बिरला मंदिर (Birla Temple)
यह शहर का सबसे विख्यात हिंदू मंदिर है कनॉट प्लेस के पश्चिम में स्थित यह मंदिर 1938 में उद्योगपति राजा बलदेव बिरला द्वारा बनवाया गया था और महात्मा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था. मुख्य मंदिर के अंदर भिन्न-भिन्न मंदिर बने हुए हैं. जिनमें लक्ष्मीनारायण का मंदिर मध्य में है. शिव जी का मंदिर दाहिनी ओर और दुर्गा जी का मंदिर बाई ओर है. यहां हिंदू धर्म की सभी शाखाओं के दर्शन किए जा सकते हैं. मंदिर के पिछले हिस्से में यज्ञशाला के साथ कृत्रिम पहाड़ी, गुफाएं, झरने इत्यादि बनाए गए हैं. मंदिर के साथ ही गीता भवन स्थित है जहां भगवान कृष्ण की विशाल प्रतिमा एवं महाभारतकालीन चित्र है. एक तरफ भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन की झांकी देखी जा सकती है इसके अतिरिक्त अतिथिशाला पुस्तकालय एवं वाचनालय भी है.
OPEN : 6AM to 10PM
जामा मस्जिद (Jama Masjid)
लाल पत्थरों से निर्मित यह मुगलकाल की विश्व की उम्दा मस्जिदों में से एक है यह भारत की सबसे प्रसिद्ध मस्जिद है 1644 में इस मस्जिद का निर्माण शाहजहां द्वारा कराया गया था और 1650 में यह बनकर तैयार हुई इस पर तत्कालीन दस लाख रुपए की लागत आई थी. इसके बीच एक चबूतरा है जहां पर पूर्व, उत्तर एवं दक्षिण में बनी सीढ़ियों से जाया जा सकता है, यह लाल पत्थर और सफेद संगमरमर से बनी हुई है, इसकी लंबाई 201 फुट चौड़ाई 120 फुट है. इसके मुख्य गुंबद की ऊंचाई 201 फुट है और इसके साथ ही 2 मीनारे भी है जिनकी ऊंचाई 160 फुट है. इनमें तीन मार्ग है. पूर्वी द्वार मार्ग सबसे विशाल है इसे बादशाही द्वार कहा जाता है. आंगन के मध्य में एक तालाब है जिसमें एक सुंदर झरना है.
OPEN : 7AM to 5PM
इंडिया गेट (India Gate)
1931 में प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए भारतीय सेना के जवानों की याद में इस स्मारक को बनवाया गया था. पहले इसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के नाम से जाना जाता था. इसकी आधारशिला 1921 में ड्युक ऑफ कनॉट एच.आर.एच द्वारा रखी गई थी और लेडी इरविन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था. प्रथम विश्वयुद्ध में शहीद हुए 13,516 जवानों के नाम इस पर खुदे हुए हैं. 42 मीटर की ऊंचाई के तोरण द्वार को ल्युटन्स ने डिजाइन किया था. 1971 में यहां पर अमर जवान ज्योति प्रज्वलित की गई थी जो लगातार जलती रहती है रात में यहां लगाई गई फ्लड लाइट से स्मारक का नजारा अतभुत होता है. इसके साथ ही नजदीक में रंगीन लाइट से सजा एक फव्वारा दर्शनीय है.
OPEN : All time, Every day
हुमायूँ का मकबरा (Humayun’s Tomb)
सम्राट हुमायूं ने खुद ही अपनी कब्र के लिए स्थान चुना था उनकी मृत्यु के बाद विधवा बेगम हमीदा बानो जो कि नवाब हाजी बेगम के नाम से प्रसिद्ध है ने अपने शोहर की याद में इसे 1565 में हुमायूं की मृत्यु के 8 साल बाद बनवाया था. वही महान अकबर की जननी थी. इस समाधि पर उस समय 15 लाख रुपए की लागत आई थी. यह पहली जगह है जहां मकबरे के साथ-साथ एक पार्क भी स्थित है. यहां भारतीय परंपरा एवं भारतीय शैली की वास्तुकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है बाद में मुगलों के शाही परिवार के कई सदस्यों को यहाँ दफनाया गया जिनमें हुमायूं की विधवा हमीदा बानो ,जहांदारशाह, फारुख शायर, आलमगीर द्वितीय और शाहजहां का पुत्र दाराशिकोह शामिल है. यही मकबरा विश्वविख्यात ताजमहल के निर्माण की प्रेरणा बना.
OPEN : 10AM to 8PM Daily
राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan)
यह भारत के राष्ट्रपति का राजकीय निवास है यह अद्भुत एवं विशाल भवन रायसीना पहाड़ी पर स्थित है. यह दुनिया के विशालतम इमारतों में से एक है. 1330 एकड़ में फैली इस इमारत की डिजाइन सर एडविन ल्युटन्स द्वारा तैयार किया गया था. इस इमारत में 340 कमरे, 74 बरामदे, 37 सभाग्रह, करीब 1 किलोमीटर का गलियारा, 18 सोपान मार्ग, 227 खंबे एवं 37 फुंवारे हैं. इस इमारत के पीछे विशाल मुगल गार्डन स्थित है. जिसे हर साल फरवरी में आम जनता के लिए खोला जाता है दरबार हॉल के अधिकतम कमरे मुख्य गुंबद के नीचे खुलते हैं राष्ट्रपति के सारे राष्ट्रीय कार्यक्रम यही आयोजित किए जाते हैं.
सफदरजंग का मकबरा (Safdarjung Tomb)
यह समाधि सफदरगंज के पुत्र नवाब शिराजुद्दौला द्वारा ताज के आधार पर 1735 में सफदरगंज की मृत्यु के बाद बनवाई गई थी. यह एक सुंदर बगीचे में स्थित है जो कुतुबमीनार जाने वाले रास्ते के बीच में आती है. ऐतिहासिक दृष्टि से इसका विशेष महत्व यही है कि यह मुस्लिम समाधियों में अंतिम है. यह स्मारक एक चबूतरे पर खड़ा है जो कि बगीचे के धरातल से 10 फुट की ऊंचाई पर है. मध्य सभाभवन पर एक ऊंचा गुंबद विद्यमान है जिसमें सफदरगंज की कब्र है. यह 40 फुट ऊंची है इस भवन से 8 कमरे में प्रवेश किया जा सकता है समाधि बड़े उत्तम ढंग से पत्थरों को तराश कर बनाई गई है और इस पर एक उच्च भावनाओं वाला शिलालेख भी है. जिस पर लिखा है
“मनुष्य चाहे अपने साथियों के सामने कितना बड़ा और पता भी क्यों ना हो जाए परंतु भगवान के सम्मुख छोटा और विनम्र है”
OPEN : Sunset to Sunset
छतरपुर मंदिर (Chhatarpur Temple)
इस मंदिर का निर्माण 1981 में हुआ था तथा इसका निर्माण कार्य संत बाबा नागपाल सिंह जी ने शुरू करवाया था. यह महरौली से नजदीक डेरा गांव में है यह दुर्गा माता से संबंधित मंदिर है. इसी वजह से उनकी मूर्ति सबसे ज्यादा आकर्षक है जो कि सोने से बनी हुई है. परंतु अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी देखने योग्य है. नवरात्रि के पावन पर्व पर इस मंदिर में काफी चहल-पहल हुआ भीड़ रहती है. उन दिनों में यहां पूजा के बाद खाने की व्यवस्था होती है यह मंदिर सफेद संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है.
राजघाट (Rajghat)
यह स्थल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि के रूप में प्रसिद्ध है यहां पर 31 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की अंत्येष्टि की गई थी. इस समाधि के आसपास के स्थल को उपवन में परिवर्तित कर दिया गया है यहां हर शुक्रवार को एक प्रार्थना सभा आयोजित की जाती है. राजघाट के समीप ही गांधी संग्रहालय स्थित है. जिनमें महात्मा गांधी द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं एवं उनके जीवन की स्मृतियों के चित्र एवं लेख है. संग्रहालय के साथ ही गांधी साहित्य पर एक पुस्तकालय भी है. यह संग्रहालय सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन सुबह 9:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक खुला रहता है.
OPEN : Sunrise to Sunset
फिरोजशाह कोटला (Firozshah Kotla)
गोलाकार पत्थर का अशोक स्तंभ कोटला फिरोजशाह के पूर्वी किनारे पर एक विशाल भवन की मंजिल पर एक वृत्ताकार चबूतरे के ऊपर स्थित है. इस आश्चर्यजनक स्मारक पर संस्कृत से निकली हुई पाली एवं ब्राह्मी भाषा में 7 राज्य आदेश लिखे हुए हैं यह महान बौद्ध सम्राट अशोक का एक अवशेष है जिसने अपने राज्य आदेश अपने बड़े साम्राज्य के विभिन्न स्थानों पर इससे स्तंभों पर लिखवाए थे. यह स्तंभ अंबाला जिले के तोपड़ा नामक गांव से इस स्थान पर सन 1356 में फिरोजशाह तुगलक द्वारा लाया गया था. यह स्थान पुराने स्मारक तथा आकर्षक उधान सहित आनंद में विहार करने एवं अवकाश बिताने के लिए आदर्श स्थान है. यह 36 फुट 5 इंच ऊंचा है और भार में लगभग 27 मन है.
इस्कॉन मंदिर(Iskcon Temple)
इस्कॉन मंदिर पहाड़ी रास्ते पर “हरे रामा हरे कृष्णा” संस्था के अनुयायियों द्वारा सन 1998 ने बनाया गया यह मंदिर हरि कृष्णा हिल, संत नगर मेनरोड ईस्ट ऑफ कैलाश दिल्ली में स्थित है इस मंदिर के शिखर जमीन सतह से 90 फीट की ऊंचाई पर है. इसका मेन हॉल वातानुकूलित है जो करीब 1500 भक्तों की क्षमता रखता है इस मंदिर के मुख्य द्वार पर दो द्वारपाल वैकुंठ स्तंभ स्थित है. इसमें रशियन पेंटर द्वारा बनाई गई पेंटिंग जिसमें राधा-कृष्ण, सीता, राम, लक्ष्मण, हनुमान और चैतन्य महाप्रभु की आकृतियां दर्शाई गई है यहां पर हर रविवार दोपहर 12:00 से 3:00 के बीच मुख्य कार्यक्रम जैसे कीर्तन, आरती, प्रवचन और प्रसादम होता है
बहाई मंदिर (Lotus Temple)
कालकाजी मार्ग पर स्थित कमल के फूल के आकार का यह मंदिर बहाई अर्चना स्थलों की कढ़ी का सातवां मंदिर है. 5.9 करोड रुपए की लागत से निर्मित यह मंदिर सफेद मार्बल से बना हुआ है. इस मंदिर को आधुनिक भारत का ताज भी कहा जाता है. 40 मीटर ऊंची इस इमारत में नौ फलक है जो सफेद संगमरमर से बने हुए हैं और ताजगी एवं पारदर्शिता का अनुभव कराते हैं. खिलती पत्तियों के बीच में से गलियारा निकला हुआ है यहां मुख्य प्रार्थना कक्ष, स्वागत कक्ष एवं प्रबंध कक्ष भी बने हैं. यहां सफेद संगमरमर का बना हुआ एक सभाग्रह है जो बाहर से लाल पत्थर से बनी चौकी पर खत्म होता है और एक वाचनालय भी है इसका कमल के फूल के आकार को चुनने का कारण यही है कि कमल का फूल भारतीय परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है यहां इस्तेमाल किया गया मार्बल ग्रीस से मंगवाया गया था. पत्तियों के आकार की कटाई इटली से करवाई गई थी. बहाई प्रार्थना भवन, ईश्वर, राष्ट्र, धर्म को समर्पित है और सभी धर्मावलंबियों के लिए खुला है सभी धर्मों के अनुयाई यहां कथा करते हैं क्योंकि बहाई का विश्वास एक स्वतंत्र विश्वधर्म था
OPEN : 9AM to 5:30PM Tues-sun.
Maditation : 10AM to noon,3 PM to 5 PM Tues-Sun.
जंतर मंतर (Jantar Mantar)
यह अविश्वसनीय स्थल जयपुर के महाराज जयसिंह द्वितीय द्वारा 1719 में बनवाया गया था. यह नई दिल्ली के कनॉट प्लेस के समीप ही स्थित है यहां पत्थरों की इमारतों के यंत्रों से तारों एवं तारामंडल की गति के बारे में अध्ययन किया जाता है यहां छः यंत्र है जिनमें से सम्राट यंत्र सबसे बड़ा है जो सूर्य की गति की गणना के लिए प्रयुक्त होता है. अन्य पांच यंत्र चंद्र, खगोलीय, ग्रहों एवं नक्षत्रों की घटना में प्रयुक्त होते हैं. इनमें दो राम यंत्र, दो जयप्रकाश यंत्र और एक मिश्र यंत्र है वेदशाला नई दिल्ली में अपना विशेष स्थान रखती है. इसके आसपास हरा घास युक्त विशेष क्षेत्र है यह विहार स्थल मनोरंजन का लोकप्रिय स्थान है.
OPEN : 8AM to 8PM
संसद भवन (Parliament House)
संसद भवन कनॉट प्लेस से लगभग 1 मील की दूरी पर है यह भवन पूर्णतया गोलाकार है जिसका घेरा लगभग आधा मील है. जिसकी बाहरी गोलाई में खंबों की एक लंबी कतार है. सन 1921 में मानवीय ड्यूक कनॉट ने इसकी आधारशिला रखी थी. इसके बनने में 5 वर्ष लगे थे और 6 जनवरी 1920 को जिसका उद्घाटन लॉर्ड इरविन द्वारा किया गया था. 140 खंभों की विशाल इमारत 70 मीटर व्यास में फैली हुई है हर कमरे की ऊंचाई 8.3 मीटर है. यह भारतीय विधानमंडल का घर है इसमें तीन मुख्य कमरे हैं एक विधान सभा भवन है जिनमें 400 सदस्यों की बैठने की की क्षमता है दूसरा राज्य परिषद का कमरा है जिनमें 200 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था है मनमोहक बगीचे कमरों को एक दूसरे से अलग करते हैं दर्शकों को अंदर जाने के लिए विशेष आज्ञा लेनी पड़ती है.
तीनमूर्ति भवन (Teen Murti Bhavan)
यह भवन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू का 16 वर्षों तक निवास स्थान रहा था जिसे अब उनकी याद में संग्रहालय एवं शोध पुस्तकालय में बदल दिया गया है इसका स्वरूप नेहरूकालीन ही रखा गया है. इसके पिछवाड़े में लगा गुलाबों के फूलों का बगीचा दर्शनीय है. पर्यटन के लिए यहां ट्रस्ट विथ डेस्टिनी नामक लाइट एंड साउंड शो आयोजित किया जाता है जिसमें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं श्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन की झलक दिखाई जाती है
OPEN : 10AM to 5PM
मोती मस्जिद (Moti Masjid)
हमाम के उत्तर में यह मस्जिद औरंगजेब ने शाही कुटुम के लिए 1 लाख 60 हजार रुपए की लागत से बनवाई थी यह मस्जिद 40 फीट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फीट ऊंची है भूमि से 3.5 फीट ऊंचाई पर सफेद संगमरमर से बनी हुई है. इसके सुंदर दृद दरवाजे चमकदार पीतल के बने हुए हैं. पहले इस मस्जिद के गुम्बज तांबे के बने हुए थे जो ग़दर में टूट गए तत्पश्चात यह सफेद संगमरमर के गुंबज के बनावा दिए गए.
लौह स्तंभ (Iron Pillar)
यह अपूर्व लौह स्तंभ दिल्ली का सबसे अलौकिक स्मारक है और इससे प्राचीन भारतीय सभ्यता का अद्भुत आदर्श प्रतीत होता है यह स्तम्ब 32 फुट 8 इंच ऊंचा है इस का वजन 500 मन है इसके नीचे का व्यास 6.4 फुट और ऊपर का व्यास 2.4 फुट है. विश्व के बुद्धिमान मनुष्य इस आश्चर्य में है कि 500 मन वजन का शुद्ध अखंड लौह रस का यह स्तम्भ जमीन में किस प्रकार गडवाया गया होगा. प्राचीन वस्तु अन्वेंषकों का कथन है कि यह स्तंभ जमीन में 3 फुट गहरी आठ मजबूत कीलों द्वारा गाढ़ा गया है इस स्तंभ का मध्य भाग चिकना है और उस पर संस्कृत लेख खुदा हुआ है इस स्तंभ को यवनों ने नष्ट-भ्रष्ट करने की अनेक बार कोशिश की परंतु वह ऐसा करने में असफल रहे जब नादिरशाह ने इसको देखा तो उसके मन में ईर्ष्या हो आई उसने स्तंभ पर तोप तक चलवाई जिसके निशान अब भी दिखाई देते हैं.
OPEN : 8AM to 8PM
अक्षरधाम (Akshardham)
पूर्वी दिल्ली के यमुना तट पर निजामुद्दीन पुल से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-24 के किनारे बने इस मंदिर को बनवाने में 5 सालों तक दिन-रात चले काम के बाद 200 करोड़ रुपए की लागत से 100 एकड़ भूमि पर बनवाया गया है. इस विशालकाय मंदिर में लोगों को सदियों पुरानी भारतीय कला विज्ञान साहित्य दर्शन की एक अद्वितीय छटा देखने को मिलती है. मंदिर में प्रवेश मयूर द्वार के जरिए होता है. मुख्य मंदिर 141 फीट ऊंचा, 316 फीट चौड़ा एवं 370 फीट लंबा है. मंदिर के पूरे भवन की बारीकी नक्काशी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित करती है. पूरा स्मारक 234 खंभों पर खड़ा हुआ है और 20000 से भी अधिक जीवंत मूर्तियां दर्शकों को भाव विभोर कर देती है. मुख्य स्मारक के चारों ओर दो स्तरीय परिक्रमा मार्ग भी निर्माण किया गया है मंदिर में स्थापित की गई भगवान स्वामी नारायण जी महाराज एवं उनके पांच अनुयाई की विशालकाय मूर्ति पंच धातु से बनी हुई है. मुख्य मंदिर चारों ओर से सरोवर से घिरा हुआ है. इस मंदिर की प्रदर्शनियों हाथी को देखने के लिए टिकट दर 125 प्रति व्यक्ति और सीनियर सिटीजन एवं बच्चों के लिए ₹75 रखा गया है.
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