स्वस्तिक चिन्ह का इतिहास और इससे जुडी रोचक जानकारी | Swastika Symbol History and Interesting Facts in Hindi | Swastik Ka Mahatva
स्वास्तिक हिंदू धर्म के पवित्र चिन्हों में से एक माना जाता हैं. और इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत स्वास्तिक का प्रतीक बनाकर ही की जाती है. और इस चिन्ह को भगवान गणेश, सूर्य और ब्रह्मांड का भी प्रतीक माना जाता हैं. लेकिन इस बात को जानकर आपको हैरानी होगी कि इस चिन्ह को भारत के अलावा अन्य देशों में भी महतवपूर्ण माना जाता हैं. संस्कृत में स्वस्तिक शब्द का अर्थ ही सौभाग्य होता है.और हजारों वर्षों से इस चिन्ह का उपयोग हिंदू, जैन, बौद्ध को मानने वाले लोग करते आ रहे हैं. चाइना में वान, जापान में मांझी, इंग्लैंड में फिल्फोट, जर्मनी में हेकेनग्रीस, ग्रीस में टीट्रकिलुस जैसे अलग-अलग नामों से यह चिन्ह जाना जाता है. कुछ देशों में इस चिन्ह को उल्टा भी उपयोग में लिया जाता है. और उसे स्वस्तिक कहा जाता है.
स्वास्तिक चिन्ह से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting Fact About Swastika)
कुछ देशों की बात अगर हम छोड़ दें तो बाकी सभी देशों में यह चिन्ह धार्मिक महत्व रखता है.
- यदि आप लोगों ने थोर (Thor) फिल्म देखी होगी तो उसमें दिखाए गए ओडिन बहुत से देशों में भगवान माने जाते है और ऑडिन स्वस्तिक रूप में घूमते हुए विश्व पर नजर बनाए रखते हैं. ऐसी वहां के देशवासियों की मान्यता है.
- तजाकिस्तान जहां की बहुसंख्यक जनसंख्या मुस्लिम है. इस देश में स्वास्तिक को राष्ट्रीय चिह्न में से एक माना जाता है.
- अमेरिका के सुप्रसिद्ध ब्रांड कोका कोला ने भी स्वस्तिक का इस्तेमाल अपने प्रोडक्ट पर किया था.
- टर्की के सुप्रसिद्ध शहर ट्रॉय (Truva or Troya or troy) में खुदाई के दौरान मिले बर्तनों पर भी स्वस्तिक के निशान मिले थे.
- 900 ई. से 1000 ई. के बीच सुप्रसिद्ध संस्कृति मिसिसिपी के अवशेषों में भी स्वस्तिक चिन्ह का इस्तेमाल देखने को मिलता है.
- एडोल्फ हिटलर ने भी अपने झंडे पर स्वास्तिक के चिन्ह का इस्तेमाल किया था. प्रेम और सौभाग्य के प्रतीक रहे स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग एडोल्फ हिटलर ने बुरे कार्यों के लिए किया था. इसलिए आज जर्मनी में इस चिन्ह पर पाबंदी लगा रखी है.
- अमेरिका के लेखक स्टीवन हेलार ने स्वास्तिक और उसके महत्व पर पूरी एक किताब लिखी है. जिसका नाम द स्वास्तिका (the swastika symbol beyond redemption) हैं.
सवाल यह उठता है कि इन देशों में स्वस्तिक को इतना महत्व कैसे प्राप्त हुआ. कुछ इतिहासकारों के अनुसार जब यूरोपीय लोग भारत आए थे तो वह इस चिन्ह के सकारात्मक प्रभाव से प्रभावित हुए थे. इस तरह वे लोग इस चिन्ह को भारत के बाहर ले गए और उपयोग करने लगे.
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