वह आविष्कार जो भारत ने दुनिया को दिए हैं | List of Indian Inventions and Discoveries in Hindi
भारतीय इतिहास ज्ञान, विज्ञान, कला चिकित्सा हर क्षेत्र में अग्रणी रहा है. प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों के बुद्धिमत्ता का लोहा पूरा विश्व मानता है दुनिया को भारत ने बहुत कुछ दिया है.
दुनिया के सबसे महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार कहा था कि “हम सब भारतीयों के ऋणी हैं जिन्होंने हमें गिनती करना सिखाया इसके बिना किसी भी खोज की कल्पना तक नहीं की जा सकती है.”
तो चलिए दोस्तों आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे खोजों और आविष्कारों की जो दुनिया को भारत की देन है.
शून्य और दशमलव
गणित के क्षेत्र में शून्य और दशमलव का अपना विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि शून्य का आविष्कार भारत में हुआ है. ईसा पूर्व मिले दस्तावेजों से ऐसी जानकारी मिलती है कि 1200-1600 ईसा पूर्व में शून्य और दशमलव प्रणाली भारतीयों द्वारा उपयोग की जाने लगी थी. बाद में यह अरब से होते हुए यूरोप तक पहुंची.
शतरंज
अपने बुद्धि और कौशल को दर्शाने वाला यह खेल भारत में छठी सदी में जन्मा. यूरोप में यह खेल लगभग 15 वी शताब्दी के आसपास प्रारंभ हुआ.
रेडियो वायरलेस संचार
यह माना जाता है कि वायरलेस संचार निकोलस मार्कोनी ने खोजा था लेकिन मार्कोनी के आविष्कार के 2 वर्ष पहले जे.सी. बसु ने कोलकाता में लोगों को रेडियो तरंगों से बना एक उपकरण प्रदर्शित किया था.
बटन
जब सिंधु घाटी सभ्यता में मोहनजोदड़ो की खुदाई की गई तो वहां बटनों का अस्तित्व सामने आया इसका उपयोग सजावट में होता था. इन बटनो के सेंटर में दो छेद बने हुए थे.
चांद पर पानी
बहुत कम लोगों को यह पता होगा कि चांद पर पानी है या नहीं. यह बात दुनिया को बताने वाला देश भारत है. भारत के द्वारा, भारत में बनाया गया चंद्रयान ने दुनिया को सबसे पहले यह खोज करके बताया था कि चांद में पानी का अस्तित्व है.
लौह स्तंभ दिल्ली
दुनिया का पहला लौह स्तंभ भारत की उन्नत इस्पात और धातु तकनीक का नमूना है. यह स्तंभ चंद्रगुप्त द्वितीय (375-413) के बीच बनाया गया हैं. यह इतना शुद्ध है कि इसमें एक खरोच आ गई थी जो आज तक वैसे ही स्पष्ट दिखाई दे रही है इसमें जंग नहीं लगा. उस वक्त जब दुनिया शुद्ध लोहा बनाने की तकनीक सीख रही थी, तब भारत के पास ऐसी तकनीक थी, जो दुनिया के लिए आश्चर्य की बात है.
फ्लश टॉयलेट
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई पर ऐसे बहुत से टॉयलेट मिले हैं जो यह बताते हैं कि उन सभ्यताओं द्वारा काफी उन्नत किस्म के टॉयलेट उपयोग किए जाते थे जो आज के जमाने में उपयोग होने वाले Flash टॉयलेट से काफी मिलते जुलते हैं.
बिजली का अविष्कार
जी हाँ दोस्तों, हम सब यही जानते है कि बिजली का आविष्कार थॉमस एडिसन ने किया हैं. पर क्या आप जानते है की महर्षि अगस्त्य जो एक वैदिक ॠषि थे, उन्होंने एक श्लोक के द्वारा बिजली बनाने की विधि बताई थी.
एडिसन ने एक घटना का ज्रिक करते हुए कहा था एक रात वो संस्कृत का श्लोक का मतलब सोचते-सोचते सो गए, तभी रात के सपने में उन्हें उस श्लोक का मतलब समझ आया, जिससे उन्हें बिजली बनाने में मदद मिली.
श्लोक इस प्रकार है
संस्थाप्य मृण्मये पात्रे
ताम्रपत्रं सुसंस्कृतम्. छादयेच्छिखिग्रीवेन चार्दाभि: काष्ठापांसुभि:॥
दस्तालोष्टो निधात्वय: पारदाच्छादितस्तत:. संयोगाज्जायते तेजो मित्रावरुणसंज्ञितम्॥
-अगस्त्य संहिता
अर्थात : एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper Sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा.
तो दोस्तों ये कुछ खोजे हैं जो भारत के गौरव का बखान कर रही हैं. आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके अवश्य बताएं.
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