Moral stories in hindi
हमारी रोजमर्रा के ज़िन्दगी में हम कई बार अपने शब्दों से लोगो को नाराज कर देते है, ये सब हमसे कई बार गुस्से में होता है जो की हमें कभी नहीं करना चाहिए, आज में आपके साथ एक ऐसी ही कहानी लेकर आया हु जो मेने मशहूर लेखक शिव खेड़ा जी की किताब में पड़ी थी. इसे पढ़कर अपने जीवन में जरुर उतारियेगा, यक़ीनन आपकी ज़िन्दगी में बदलाव दिखने लगेंगे.
एक गाँव में एक रहता था वो भी आम लोगो की तरह अपने काम किया करता था, एक दिन उसकी अपने पड़ोसी से किसी बात को लेकर नोक-झौंक हो गयी और उस नौंक-झौंक में उस किसान ने अपने पड़ोसी कुछ भला बुरा कह दिया, पर कहते है न गुस्से में किये गया हर कार्य सही नहीं होता तो उस किसान को भी गुस्सा खत्म हो जाने के बाद लगा की मेने कुछ ज्यादा ही बोल दिया जो उसे नहीं बोलना चाहिए था.
जब उस किसान को इस बात का अहसास हुआ तो वो इस बात के निवारण के लिए गाँव के ही एक संत के पास गया, उसने उन संत से कहा मेने अपने पड़ोसी को कुछ गलत शब्द कह दिए है कृपया करके मुझे उन शब्दो को वापस लेने का उपाय बताइए.
संत ने किसान की पूरी बात सुनकर जवाब दिया कहा “ तुम एक काम करो पुरे गाँव में जितने भी कबूतर के पंख तुम्हे मिले उन्हें इक्कट्ठा करके पंखो को गाँव के बीचो बीच रखकर मेरे पास आओ”.
short stories in hindi
किसान ने वेसा ही किया उसने सारे पंख इकठ्ठा करके उन्हें गाँव के बीच रखकर संत के पास वापस आ गया. संत फिर उससे वो सारे पंख वापस उनके पास लाने को कहा. किसान उन पंखो को वापस लेने गया पर उसे वहां कोई पंख नहीं मिला सारे हवा की वजह से उड़ चुके थे.
किसान वापस संत के पास गया और बोला : “ वहां तो कोई पंख नहीं मिला मुझे और उन्हें वापस लाना ना मुमकिन है अब वो सब उड़ चुके है”
किसान के ये कहते ही संत ने उसे कहा : “बेटा जिस तरह उड़ चुके पंख को वापस लाना मुमकिन नहीं है उसी तरह ही अपनी ज़बान से निकले हुए शब्दों को वापस लाना नामुमकिन है”.
इस बात को सुनकर किसान समझ गया की अगली बार उसे किन बातो का खयाल रखना है.
short stories in hindi
“तो दोस्तों केसी लगी हमारी कहानी. इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी कड़वे शब्दों का प्रयोग किसी के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकि कड़वाहट फ़ैलाने से कोई खुश नहीं रहता है. और हमारे कहे हुए शब्द वापस भी नहीं आ सकते.”
अगर आपने किसी को कुछ गलत कहा है तो उससे माफ़ी मांग लेना चाहिए, क्योंकि वो शब्द बाद में हमें सामने वाले से ज्यादा बुरे लगते है.