नमस्कार दोस्तों ..
जैसा की आप लोग जानते है हमारे देश में कोई न कोई लड़ायी या कोई न कोई मुद्दा चलता रहता है जिससे राजनितिक गलियारों में हडकंप मच जाता है. वेसे तो कोई भी विषय हो बिना राजनीती के शुरू ही नहीं होता या उसका राजनीती से कोई सम्बन्ध न हो ऐसा भी नहीं होता है.
What is the case of supreme court judges
चलिए मुद्दे की बात करते है अभी कुछ दिनों पहले आप लोगो ने एक खबर पड़ी होगी की सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने मीडिया के सामने अपनी कोई बात रखी है. देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट के सबसे बड़े 4 जजों ने इस तरह आकर प्रेस कांफ्रेस की है आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ है.
आपको बता दे सुप्रीम कोर्ट के 4 सबसे सीनियर जज जस्टिस गुगोई, जस्टिस लोकुर, जस्टिस जोसफ, जस्टिस चेलामेश्वर इनकी ऐसी क्या मज़बूरी थी की इन्हें मीडिया के सामने आना पड़ा और एक ऐसी चीज करना पड़ी जो देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुई है. इनके खिलाफ एक प्रोपोगेन्डा कैम्पियन चलाया जा रहा है, इनके ऊपर कीचड़ उछाला जा रहा है, इन्हें बदनाम किया जा रहा है, इनके खिलाफ दुनिया भर की बाते की जा रही है. पर इसके पीछे आखिर कारण क्या है आइये जानते है ….
Supreme court 4 judges
इन 4 जजों ने प्रेस कांफ्रेस में कहा की देश की डेमोक्रेसी खतरे में है, जस्टिस पर कब्ज़ा करने की कोशिश की जा रही है इन्होने इल्जाम लगाया भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर, कहा की इन्होने BANCH-FIXING करते है, यानि जो भी राजनितिक मुद्दों पर या किसी नेता के केस इनके पास आते है ये उन्हें चुन-चुन के बार-बार ऐसे जज को देते है जो फेवरेबल जजमेंट देता हो. ये एक बार नहीं बहुत बार हो चूका है.
जजो ने कहा की जस्टिस लोया का जो केस था वो एक टिपिंग पॉइंट था यानि हद पर हो गयी थी ये मजबूर हो गये थे प्रेस कांफ्रेस करने के लिए .इन्होने पहले बहुत प्रयास करे इन्होने भारत के चीफ जस्टिस से बात करने की कोशिश करी , ख़त लिखने की भी कोशिश करी लेकिन कोई संतुष्टि से भरा रिप्लाई नहीं आया, जिसकी वजह से ये कम करने पर मजबूर हो गये.
कौन-कौन से ऐसे केसेस थे जिनकी वजह से इतना बड़ा मुद्दा उठ गया आइये जानते है ,…
Justice Loya Case
सबसे पहला केस था जस्टिस लोया का जो अमित शाह से सम्बंधित केस को संभाल रहे थे जो बहुत ही हाई प्रोफाइल केस में से एक था. यदि आप इस केस के बारे में नहीं जानते है तो हम थोड़ा संक्षिप्त में बता देते है.
2010 में अमित शाह फेक एनकाउंटर के केस में जेल गये थे, जिसके बाद उन्हें बेल मिल गयी थी. 2014 में CVI कोर्ट में इनके इसी विषय को लेकर सुनवाई चल रही थी. इस केस के पहले जज जो सुनवाई कर रहे थे उनको तो ट्रान्सफर कर दिया गया. दुसरे जज थे जस्टिस लोया जी जिन्होंने काफी सारी डेट्स रखी की उस दिन सुनवाई होगी, पर किसी भी तारीख पर अमित शाह नहीं आये और ऐसा बार-बार होता रहा.
What is the reality of four judges
इसके बाद जस्टिस लोया ने एक फाइनल डेट रखी 28 दिसम्बर 2014 की अब तो अमित शाह को आना ही पड़ेगा एक केस की सुनवाई के लिए, पर इत्तेफाक की बात है की 30 नवम्बर 2014 को यानि फैसले की तारीख से पहले जस्टिस लोया की मौत हो गयी. रिपोर्ट में कहा गया की इनकी मौत हार्ट-अटैक से हुई है, जो की अचानक आने वाला हार्ट अटैक है. ये चौंका देने वाली इसलिए है क्योंकि इनकी फैमिली के इतिहास में कभी भी किसी को हार्ट-अटैक नहीं आया है. पापा मम्मी 85 साल के हो चुके है दोनों इस वक्त जिंदा है कोई भी घर में हार्ट अटैक का मरीज नहीं है. इनकी खुद की हेल्थ भी बहुत अच्छी थी, किसी को अचानक से हार्ट अटैक आना बहुत सवाल उठता है. इसके बाद जो तीसरे जज आए, उन्होंने एक महीने के अन्दर ही इस केस की सुनवाई कर अमित शाह को बा-इज्जत बरी कर दिया.
2017 में CARAVAN Magazine ने जस्टिस लोया की फैमिली का इंटरव्यू लिया. जिसमे उन्होंने बताया की इनकी फैमिली को नहीं लगता की जस्टिस लोया की मौत हार्ट-अटैक से हुई है. उन्होंने ये भी बताया की उन्हें 100 करोड़ की रिश्वत ऑफर की गयी थी की यदि वो इस केस में अमित शाह के पक्ष में अपना फैसला सुनाते तो उन्हें 100 करोड़ रुपए दिए जाएँगे. यहाँ तक की जस्टिस लोया ने खुद भी कहा था की उन पर इस केस को लेकर बहोत प्रेशर डाला जा रहा है.
CARAVAN Magazine की इस स्टोरी के बाद उनकी मौत को लेकर बहुत सवाल उठे. जिसके बाद तहसीन पूनावाला ने एक कोर्ट में फाइल दायर की जिसमे लिखा था की जस्टिस लोया की मौत एक जाँच होना चाहिए. अब सुप्रीम कोर्ट को 12 जनवरी 2018 के दिन फैसला लेना था की इस केस पर जाँच होना चाहिए या नहीं. इसके बाद 12 जनवरी 2018 को इन 4 जजों ने प्रेस कांफ्रेस करी और इन्होने बताया की भारत के चीफ जस्टिस ने दीपक मिश्रा ने ये केस ऐसे बेंच को दिया है जो इस केस में फेवरेबल जजमेंट ही देगा वो और कोई जजमेंट नहीं दे सकता. वो बेंच काफी निचे ओदे पर है और ये केस सीनियर जज को देना चाहिए था लेकिन उन्हें नही दिया गया.
तो ये थी इस पुरे मुद्दे के उठने का खास कारण…
कोन है वो जज जिन्हें जस्टिस लोया का ये केस मिला या कोंन है वो जज जो सवाल उठा रहे है ये हम आपको बताएँगे अगली स्टोरी में…..