आप सभी जीन्स तो अवश्य ही पहनते होंगे. पर आपने कभी ऐसा नही सोचा होगा की जीन्स की बनावट ऐसी क्यों होती है. क्या आपने कभी जीन्स के बारे में जानने की कोशिश की है. क्या आपने कभी सोचा भी है कि जीन्स के पैन्ट के पॉकेट्स पर बने हुए बेहद छोटे-छोटे रिपीट बटन का क्या काम है, या पॉकेट में इन्हें क्यों लगाया जाता हैं. आप हमेशा इस बात पर गौर नही करते होंगे और इसे मात्र एक डिज़ाइन या छोटी सी बात समझकर नजरअंदाज कर देते होंगे. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की इनको लगाने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह है.
छोटे बटन्स का इतिहास
हम आपको जीन्स के इतिहास के बारे में बताते है. जीन्स को बनने के बाद सबसे पहले इन्हें मजदूर पहनते थे. जीन्स मजदूरों में बहुत प्रचलित था. मजदूर शारीरिक श्रम करते थे और यह उनमे बेहद लोकप्रिय हो गया था. शारीरिक श्रम करने के कारण मजदूरों की जीन्स के पॉकेट फटने या पॉकेट की सिलाई खुल जाने की समस्या बहुत आती थी.
जब इस प्रकार की समस्या बहुत अधित आयी तो वहां पर रहने वाले एक दर्जी थे, जिनका नाम जैकब डेविस था उनके मन में यह विचार आया कि जीन्स के पॉकेट को फटने से रोका जा सकता है. उस समय जैकब जीन्स निर्माता कंपनी लेवी स्ट्रॉस एंड कंपनी के ग्राहक थे.
छोटे बटन की खोज
वर्ष 1870 में जैकब ने जीन्स के पॉकेट को फटने से रोकने का तरीका खोज निकाला था. वह तरीका यही था की जीन्स की पॉकेट के दोनों सिरों पर इन छोटे-छोटे बटन को लगा दिया जाये जिससे इन्हें फटने से बचाया जा सके. यह खोज जैकब डेविस की थी जिसे वे अपने नाम से पेटेन्ट करवाना चाहते थे, किन्तु ऐसा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. और फिर सन 1872 में उन्होंने लेवी स्ट्रॉस के साथ एक डील कर ली कि कंपनी पेटेन्ट के पैसे भरेगी. और उसके बाद में 20 मई 1873 में इसका पेटेन्ट हो गया.
तभी से जीन्स में इस प्रकार के छोटे बटन्स का पॉकेट पर धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा है. जो आज तक चल रहा है. यह एक अमूल्य खोज है जो हमारे जीन्स के पॉकेट को फटने से बचाती है.
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