हिन्दू धर्मं में अजा एकादशी (2024) का महत्व, इसकी व्रत कथा और पूजा विधि | Aja Ekadashi Mahatav,Vrat Katha and Puja Vidhi in Hindi
अजा एकादशी हिन्दू धर्म का व्रत दिवस है. अजा एकादशी हिन्दू कैलंडर के अनुसार भादव महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक अजा एकादशी अगस्त-सितम्बर के महीने में आती है. अजा एकादशी को अन्नदा एकादशी भी कहते है. हिन्दू धर्म के अनुसार अजा एकादशी व्रत को बहुत ही फलदाई माना गया है. अजा एकादशी सम्पूर्ण भारत में मनाई जाती है.
अजा एकादशी तिथि और समय (Aja Ekadashi 2024 Date and Timings)
दिनांक (Date) | 29 अगस्त |
वार (Day) | गुरूवार |
सूर्योदय (Sun Rise) | प्रातः 6:27 बजे |
सूर्यास्त (Sun Set) | शाम 5:28 बजे |
एकादशी तिथि-शुरुआत (Ekadashi Tithi Begins) | 29 अगस्त 2024 की 01:19 बजे से |
एकादशी तिथि-समाप्त (Ekadashi Tithi Ends) | 30 अगस्त 2024 की सुबह 01:37 बजे तक |
पारण का समय (Parana Time) | 30 अगस्त 2024 की सुबह 07:49 से सुबह 08: 31 बजे तक |
अजा एकादशी महत्व (Significance of Aja Ekadashi)
अजा एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा का बड़ा महत्व है. हिन्दू धर्म के शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो भी मनुष्य इस व्रत को पूरे विधि-विधान से निभाता है और जागरण करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते है. उस व्यक्ति को स्वर्गलोक में स्थान मिलता है. अजा एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य को अश्वमेघ यज्ञ का फल समान ही फल होता है.
अजा एकादशी का महत्व हमारे पुराणों में भी मिलता हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की महत्ता ज्येष्ठ पांडु पुत्र युधिष्ठिर को बताई थी. यह व्रत राजा हरिश्चंद्र द्वारा भी किया गया था इसके फलस्वरूप उन्हें अपना मृत पुत्र और राज्य पुनः प्राप्त हो गए थे. यह व्रत उनके लिए महत्वपूर्ण हैं जो सांसारिक दासता में बंधे हुए जीवन मरण के चक्र में फंसे हुए हैं. ऐसा कहा जाता हैं अजा एकादशी का व्रत शरीर को भावों, व्यवहार और भूख को काबू करना सीखता हैं. यह उपवास मन और आत्मा को साफ़ करता हैं.
अजा एकादशी व्रत कथा (Vrat Katha of Aja Ekadashi in Hindi)
राजा हरिशचंद्र भारत के इतिहास के सबसे सच्चे राजा कहलाते है. एक बार देवताओं ने राजा हरिशचंद्र की परीक्षा लेने की योजना बनाई. एक बार महर्षि विश्वामित्र ने राजा हरिश्चंद्र से सारा राज-पाठ मांग लिया. जब हरिशचंद्र अपना राज-पाठ त्याग कर जाने लगे तो महर्षि विश्वामित्र ने उनसे दान में 500 स्वर्ण मुद्राएँ और मांगी. तब ही राजा हरिशचंद्र ने कहा की महर्षि आप 500 क्या जितनी चाहे उतनी स्वर्ण मुद्राएँ ले सकते है. महर्षि विश्वामित्र कहते है की राजन आप अपनने राज-पाठ के साथ राजकोष भी दान कर चुके है और दान की हुई वस्तु दोबारा दान नहीं की जा सकती है. दान तो देना ही था और राजा के पास कुछ भी नहीं था लेकिन राजा हरिश्चंद्र ने इस परिस्थिति में भी सत्य और धर्म का मार्ग नहीं छोड़ा. राजा हरिशचंद्र ने अपनी पत्नी और बेटे को बेच दिया. उन दोनों के बेचने के बाद भी 500 स्वर्ण मुद्रा एकत्रित नहीं हो पाई. फिर राजा हरिशचंद्र ने खुद को भी बेच दिया और पूरी 500 मुद्राएँ एकत्रित कर ली. महाराज हरिशचंद्र ने वो 500 मुद्राएँ महर्षि विश्वामित्र को दे दी. राजा हरिशचंद्र ने खुद को शमशान के चंडाल के पास बेचा था. उस चंडाल ने राजा हरिशचंद्र को वसूली और शमशान की निगरानी का काम सौंपा था.
एक बार भादो महीने की एकादशी की रात को राजा हरिशचंद्र ने उपवास रखा हुआ था. और वे शमशान के द्वार पर पहरा दे रहे थे रात ज्यादा हो चुकी थी और अँधेरा भी काफी था. उसी रात को एक लाचार और गरीब स्त्री रोते हुए शमशान पहुंची उसके हाथों में उसके बेटे का शव था. वह महिला कोई और नहीं बल्कि राजा की पत्नी ही थी. राजा का काम था की जो भी शमशान में किसी का दाह संस्कार करने आएगा उससे वे कुछ मुद्राएँ लेंगे. यह तो राजा का धर्म था इसीलिए राजा ने अपनी लाचार पत्नी से भी मुद्राएं मांग ली. लेकिन गरीब स्त्री के पास कुछ देने को नहीं था इसलिए उसने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़ कर राजा हरिशचंद्र को दे दिया. उसी समय भगवान विष्णु स्वयं वहां प्रकट हुए और उन्होने राजा से कहा की राजन आप पर कई मुश्किलें आई पर आप हमेशा सत्य और धर्म के मार्ग पर ही चले. तुम्हारी कर्तव्यनिष्ठा महान है. तुम आने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा हो. तुम सत्य के प्रतीक हो. इतना कह कर भगवान विष्णु वहां से गायब हो गए. कुछ ही समय में राजा का बेटा भी जीवित हो गया. भगवान के कहने पर विश्वामित्र ने पूरा राज्य हरिशचंद्र को वापस लौटा दिया.
अजा एकादशी व्रत एवं पूजा विधि (Puja Vidhi of Aja Ekadashi in Hindi)
- अजा एकादशी वाले दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान करें
- भगवान विष्णु के सामने घी का दिया लगा कर फल और फूल से पूजन करें
- पूजन के बाद विष्णु सहस्रनाम का पथ करें
- दिन में निराहार एवं निर्जला व्रत करें
- जागरण भी करें
- द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर दान दक्षिणा भी करें
- इस सब के बाद ही आप भोजन करें
अजा एकादशी की तारीख (Aja Ekadashi Dates)
वर्ष (Year) | दिनांक (Date) |
2018 | 18 अगस्त, शुक्रवार |
2019 | 26 अगस्त, सोमवार |
2020 | 15 अगस्त, शनिवार |
2021 | 3 सितम्बर, शुक्रवार |
2022 | 22 अगस्त, सोमवार |
2023 | 10 सितम्बर, रविवार |
2024 | 29 अगस्त, गुरुवार |
2025 | 19 अगस्त, मंगलवार |
वर्ष में आने वाली अन्य एकादशी की सूची और महत्व:
सफला एकादशी | पुत्रदा एकादशी | षट्तिला एकादशी | जया एकादशी |
विजया एकादशी | आमलकी एकादशी | पापमोचनी एकादशी | कामदा एकादशी |
वरूथिनी एकादशी | मोहिनी एकादशी | अपरा एकादशी | निर्जला एकादशी |
योगिनी एकादशी | देवशयनी एकादशी | कामिका एकादशी | पुत्रदा एकादशी |
अजा एकादशी | पद्मा एकादशी | इंदिरा एकादशी | पापांकुशा एकादशी |
रमा एकादशी | देवउठनी (देवोत्थान) एकादशी | उत्पन्ना एकादशी | मोक्षदा एकादशी |