1. ऋष्यमूक पर्वत का नाम ऋष्यमूक कैसे पड़ा?-
ऋष्यमूक पर्वत श्रेणियों के अन्तर्गत अनेक पर्वत आते है इनमे से एक पर्वत पर एक विशालकाय वानर निवास करता था, इस वानर का नाम ऋक्षराज था. जब किसी ने उस वानर से पूछा कि इस पर्वत का नाम ऋष्यमूक क्यों और किस प्रकार पड़ा है? तो उस वानर से सम्पूर्ण बात को विस्तार पूर्वक बताया जो इस प्रकार है- वानर ने बताया की लंकाधिपति रावण ने कई ऋषियों का सताया था तो उनके द्वारा सताए हुए समस्त ऋषि एक साथ एक जगह पर मूक अर्थात मौन होकर रावण का विरोध करने लगे.
रावण जब विश्व को विजित करने के लिए उण पर्वत श्रेणियों से होकर निकला तो उसने एक साथ लाखों की संख्या में ऋषियों को एक जगह एकत्र हुए देखकर पूछा कि इतने सारे महात्मा लोग यहाँ एकत्र होकर क्या कर रहे हैं? तो उसके साथ के राक्षसों ने जबाव दिया — हे महाराज ! यह सभी महात्मा आपके द्वारा सताए हुए है और इसी कारण ये सब ऋषि मूक होकर आपका विरोध करने निमित्त यहाँ इकठ्ठे होकर मौन आंदोलन कर रहे हैं. तब ही रावण को गुस्सा आया और उसने कहा कि इनकी इतनी हिम्मत की मेरा विरोध करते है. इन सब को मार डालो. और रावण की आज्ञा से राक्षसों ने उन सभी ऋषियों को वही पर मार डाला. उन लाखो ऋषियो की मृत्यु किए बाद उनकी अस्थियो के अवशेषों से यह पहाड़ बन गया. जिसके कारण इसका नाम ऋष्यमूक पर्वत पड़ गया.
2. बालि और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ? (Bali Sugriv Birth Story)-
हमने अभी आपको ऋक्षराज नाम के एक वानर के बारे में बताया था यह वानर बहुत ही शक्तिशाली और बलवान था.उस वानर को अपने बल पर बहुत घमंड था और वह इस घमंड में निर्भय होकर इधर उधर विचरण करता रहता था. ऋष्यमूक पर्वत के नजदीक ही एक बड़ा ही सुंदर तालाब था. और उस तालाब की एक विशेषता थी जो अद्भुत थी वो विशेषता यह है की उस तालाब में जो भी स्नान करता, बाहर निकलने पर वह एक अत्यंत सुंदर स्त्री बन जाता. पर इस बात की जानकारी ऋक्षराज को नहीं थी. वह अपनी मस्ती में एक दिन वह उस तालाब में नहाने के लिए कूद पड़ा और जैसे ही नहा कर बाहर आया तो उसने देखा कि वह एक बहुत ही सुंदर सोलह वर्ष की स्त्री के रूप में परिणित हो चुका है.
अपने आप को स्त्री रूप में देखकर उसे बहुत शर्म महसूस हुई. परंतु वह कुछ नही कर सकता था. कुछ देर ही देवराज इन्द्र वहा से गुजर रहे थे तो उनकी दृष्टि उस स्त्री पर पड़ी. स्त्री को देखते ही उनका तेज स्खलित हो गया. इन्द्र का तेज उस स्त्री के बालों पर गिर गया. उसके कारण एक बालक की उत्पत्ति हुई जो बाली कहा गया. कुछ देर बाद जब सूर्योदय हुआ तो सूर्य की दृष्टि भी उस सुन्दरी पर पड़ी. और सूर्यदेव भी उस स्त्री की सुन्दरता पर मोहित हो उठे. जिसके कारण उनका तेज भी स्खलित हो गया, जो स्त्री की ग्रीवा पर पड़ा. उससे भी एक बालक का जन्म हुआ जिसका नाम सुग्रीव पड़ा.
इस तरह बाली और सुग्रीव दोनों ही सगे भाई थे. इन दोनों में बाली बड़ा था जो इन्दा का पुत्र था और छोटा सूर्य का पुत्र सुग्रीव था. इन दोनों के नाम बालों पर तेज गिरने से बालि और ग्रीवा पर तेज गिरने से सुग्रीवपड़े थे. उन दोनों का पालन पोषण उसी स्त्री ने किया जो ऋक्षराज वानर से स्त्री में परिणित हुई थी. उसी ऋष्यमूक पर्वत को अपना निवास बनाया. और फिर उनके साथ वही निवास करने लगी.
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