दीपावली का ऐतिहासिक महत्व व जानकारियां | Deepawali Festival in Hindi

दीपावली (दीवाली) त्यौहार का ऐतिहासिक, व्यवासायिक, वैज्ञानिक महत्व | Historical, Mythological and Scientifically Importance of Deepawali/Diwali Festival in Hindi

प्रतिवर्ष कार्तिक माह की अमावस्या के दिन हिंदू समाज में दीपावली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. आलोक पर्व दीपावली भारत का सर्वाधिक लोकप्रिय तथा उल्लासपूर्ण त्यौहार है. दीपावली शब्द का अर्थ है दीपों की अवली अथवा पंक्ति. दीपों की माला जलाकर अमावस की रात को पूर्णिमा की तरह जगमगाहट से भर देने के कारण से इस पर्व को दीपावली कहते हैं. इस दिन घर को दीपों से सजाया जाता है. एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती माला से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो उठता है. घर-घर में लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की जाती है. लोग इस दिन आपसी द्वेष को भूल कर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं. बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का दिन होता है. बच्चे नए कपड़े पहन कर रात्रि में जी भरकर पटाखे चलाते हैं और घूमते हैं. पूरा शहर रोशनी में स्नान करता नजर आता है. लोग अपने घर दुकान तथा कारखानों की सफाई करते हैं, रंग-रोगन कर उन्हें सजाते हैं. दीपावली एक राष्ट्रीय पर्व है.

दीपावली का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व (Historical Importance of Deepawali)

दीपावली का पौराणिक महत्व है इसका संबंध पुराणों में वर्णित भारतीय समाज के प्राचीन इतिहास से है. इस दिन माता काली ने रक्तबीज नामक दुष्ट का संहार किया था, जिसके अत्याचार से संपूर्ण समाज त्रस्त था. उस दुष्ट के संहार के बाद लोगों ने अपने घर में घी के दिए जलाए थे. इस मंगलकारी घटना की याद में प्रतिवर्ष दीपावली मनाई जाती है.

लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो इस दिन उनका राजतिलक किया गया था. संपूर्ण देश में इस उपलक्ष में दीपक जलाकर खुशियां मनाई गई थी. कुछ लोग दीपावली का प्रारंभ किसी दिन से मानते हैं जबकि अनेक विद्वानों के द्वारा दीपावली का त्यौहार इससे भी अधिक प्राचीन काल से मनाया जा रहा है. इस मत के अनुयाई दीपावली पर्व का संबंध मां काली द्वारा रक्तबीज के संहार से मानते हैं.

इसी दिन भगवान विष्णु ने अत्याचारी हिरण्यकश्यप को मारकर भक्त प्रहलाद की रक्षा भी की थी. समुद्र मंथन से धन की देवी लक्ष्मी का अवतरण भी इसी दिन हुआ था. जैन धर्म के चौबीसवे अवतार भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस होने के कारण जैन समाज के लोग बड़े आनंद और उल्लास के साथ इसे मनाते हैं. आर्य समाज भी इसे बड़ी प्रसन्नता से मनाते हैं क्योंकि आर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती जी का जन्म दीपावली के दिन ही हुआ था. इस प्रकार इन महापुरुषों की स्मृति को चिरस्थाई रखने के लिए यह त्यौहार बड़े समारोह पूर्वक मनाया जाता है.

वैज्ञानिक महत्व (Scientific Importance)

दीपावली का पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. वर्षा ऋतु में कीड़े मकोड़े, जल में घास फूस एवं गंदगी के सड़ने से उत्पन्न विषैली गैस तथा घर-मकान में व्याप्त सीलन को दूर करने में दीपावली के त्यौहार की महत्वपूर्ण भूमिका है. लोग दीपावली के त्योहार से पहले ही घर एवं आसपास की सफाई प्रारंभ कर देते हैं. घर एवं दुकानों पर पुताई तथा रंगरोगन कराते हैं. प्राचीन काल में दीपावली के दिन सरसों के तेल से वातावरण शुद्ध होता था और कीड़े मकोड़े इसकी दीपशिखाओं पर जल मरते थे.

व्यवसायिक महत्व (Professional Importance)

दीपावली के दिन व्यवसायी लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं. इस दिन से किसी व्यवसायिक कार्य का आरंभ शुभ समझा जाता है इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक कारण भी रहे हैं. इस समय तक वर्षा ऋतु पूरी तरह समाप्त हो जाती है. यात्रा तथा व्यवसायिक कार्य के लिए समय उपयुक्त होता है. किसानों के घर भी प्राचीन काल में धान की फसल कटकर आनी प्रारंभ हो जाती है. उन्हें अपनी कृषि संबंधी आवश्यक सामग्री का क्रय इसी समय करना होता था. इन कारणों से प्राचीन काल में इसका महत्व स्थापित हो गया है, जो परंपरागत रूप से आज तक प्रचलित है.

दार्शनिक महत्व (Philosophical Significance)

दीपावली को प्रकाश पर्व भी कहा जाता है यह अंधेरे में प्रकाश की तथा असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है. यह इस दार्शनिक तथ्य को अभिव्यक्त करता है कि अंधेरा कितना भी घना हो, ज्ञान और कर्तव्य का सामूहिक दीप उस अंधेरे को प्रकाश में बदल देता है. किसी समाज के उत्थान के लिए प्रेरक तथ्य को वाणी देते हुए दीपमाला की अगणित शिखाएं हमसे यह कहते प्रतीत होती है कि हमारी तरह जलकर देखो, तुमसे भी प्रकाश की किरणें बिखरने लगेगी, जो समाज में छाए अंधेरे को मिटा देगी.

दीपावली से लाभ

दीपावली केवल त्यौहार नहीं है अपितु इसके अनेक लाभ है. घर मोहल्लों की सफाई वातावरण की शुद्धि, आपसी सद्भाव की भावना का विकास तथा नए कार्य एवं नई योजनाओं को प्रारंभ करने की प्रेरणा के साथ साथ दीपावली हमें अंधेरे से, अज्ञानता से, असत्यता से लड़ने का भी संदेश देती है.

दीपावली से हानि

मनुष्य सामाजिक प्राणी है जो अपने आंतरिक विचारों तथा अज्ञानतापूर्ण कार्यों के द्वारा लाभप्रद रीति रिवाजों को भी हानिकारक बना देता है. दीपावली के दिन जुआ खेलने शराब पीने और गलत आचरण से विनाश को आमंत्रित करने वालों की भी आज कमी नहीं है. ऐसे लोगों के लिए दीपावली का त्यौहार लाभ के बदले हानि को आमंत्रित करता है.

किसी भी त्यौहार को मनाने के समय उसमें निहित कल्याण का अर्थ को भी समझना चाहिए. दीपावली के त्यौहार में भी यही दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा, तभी हम इस का आनंद प्राप्त कर सकते हैं. दीपावली का दीप हमें प्रेरणा देता है.

जलते दीपक के प्रकाश में, अपना जीवन तिमिर हटाएँ
उसकी ज्योतिर्मय किरणों से, अपने मन की ज्योति जगाएँ.

दीपावली का त्यौहार जीवन को आनंदमय और शरद बनाने वाला उत्सव होना चाहिए. भारतवासियों को अपने देश से अज्ञान के अंधकार को दूर करना चाहिए और ज्ञान के प्रकाश से सब जगह प्रसन्नता एवं ऐश्वर्य को लाना चाहिए. अशिक्षा जात पात का भेदभाव एवं गरीबी के अंधेरे को दूर करके देश के जन-जन में दीपावली का प्रकाश भरना चाहिए.

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