हिन्दू कैलेंडर के अनुसार एकादशी का महत्व और व्रत की सूची और पूजा विधि | Ekadashi Ka Mahatva and List of Vrat in 2024 in Hindi
हिंदू पंचांग के अनुसार हर चन्द्र पक्ष (कृष्ण और शुक्ल पक्ष) की 11वी तिथि पर एकादशी का व्रत किया जाता है. हर माह में एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष होता हैं इस प्रकार एक महीने में दो एकादशी उपवास होते हैं. भगवान विष्णु के भक्त उनका आशीर्वाद लेने के लिए एकादशी व्रत का पालन करते हैं. एकादशी का व्रत तीन दिन तक चलता है. भक्त उपवास के दिन से एक दिन पहले दोपहर में एकल भोजन लेते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले दिन पेट में कोई अवशिष्ट भोजन नहीं रहे. भक्त एकादशी के पूरे दिन उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही उपवास तोड़ते (या पारण) करते हैं. एकादशी व्रत के दौरान सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है.
भक्त अपनी इच्छा और शरीर की शक्ति के अनुसार एक समय भोजन के साथ, केवल पानी के साथ, पानी के बिना उपवास चुन सकते हैं. हालांकि यह उपवास शुरू करने से पहले तय किया जाना चाहिए. हालांकि उपवास करने में असमर्थ लोग तरल पदार्थ ले सकते हैं, या यदि जरूरत हो तो फलहारी खाद्य पदार्थ भी ग्रहण कर सकते हैं. एकादशी या व्रत के फलस्वरूप एकादशी के दिन व्रत का पालन करते हुए उस रात को जागरण भी करते हैं और साथ ही भगवान विष्णु की पूजा भी करते हैं.
एकादशी का महत्व (Ekadashi Significance)
हिन्दू पंचांग में वर्ष भर में कुल 24 एकादशी आती हैं. सभी एकादशी एक अलग-अलग महत्व और पूजा विधि हैं. इस दिन भगवान विष्णु की मुख्य रूप से पूजा की जाती हैं इसीलिए वैष्णव समाज में एकादशी का विशेष महत्व हैं शास्त्रों के अनुसार आठ वर्ष से अस्सी वर्ष के बीच शारीरिक रूप से समर्थ इंसान को एकादशी का व्रत अवश्य की करना चाहिए.
ऐसा माना जाता हैं एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के कई जन्मों के पाप कट जाते हैं और उसे भगवान विष्णु के वैकुण्ठ धाम में स्थान मिलता हैं. एकादशी का व्रत रखने वाला संसार की मोहमाया के प्रभाव से मुक्त हो जाता है, उसमें बुराइयाँ समाप्त होती जाती है.
एकादशी का व्रत करने वाले को इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए, मांस, चावल, जौ, लहसुन, मसूर और प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए.
एकादशी पर ध्यान रखने योग्य बातें
एकादशी व्रत का एक मुख्य पर्व हैं इसीलिए इस दिन नीचे दी गयी निम्न चीज़े अवश्य करनी चाहिए.
- एकादशी के दिन अपनी श्रद्धा के अनुरूप दान अवश्य करना चाहिए.
- इस दिन आपने व्रत रखा हो या नहीं लेकिन किसी और के द्वारा दिया गया भोजन ग्रहण ना करे.
- इस दिन दूध से बनी चीज़े, फल, फलाहारी पदार्थ, बादाम या पिस्ता का सेवन भगवान को भोग लगाकर करना चाहिए.
- भोग लगाते समय भोग में तुलसी का पत्ता अवश्य रखे.
- एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी पर ब्राह्मण भोज करवा के दान दक्षिणा करना चाहिए.
एकादशी पर कैसा भोजन करे
भक्त अपनी इच्छा शक्ति और शारीरिक शक्ति के अनुसार संकल्प के दौरान एकादशी व्रत का प्रकार तय कर सकते हैं. धार्मिक ग्रंथों में एकादशी व्रत के चार प्रकारों का उल्लेख किया गया है.
1. जलहर (जलाहर) यानी एकादशी का व्रत केवल जल से होता है. अधिकांश भक्त निर्जला एकादशी के दौरान इस उपवास का पालन करते हैं. हालाँकि भक्त सभी एकादशी के उपवास पर इसका पालन कर सकते हैं.
2. क्षीरभोजी (क्षीरभोजी) यानी एकादशी का व्रत क्षीर पर. क्षीर का तात्पर्य दूध और पौधों के दूधिया रस से है. लेकिन एकादशी के संदर्भ में यह दूध से बने सभी उत्पाद होने चाहिए.
3. फलाहारी (फलाहारी) यानी एकादशी का व्रत केवल फलों पर करना. व्यक्ति को केवल उच्च श्रेणी के फलों जैसे आम, अंगूर, केला, बादाम, और पिस्ता आदि का सेवन करना चाहिए और पत्तेदार सब्जियां नहीं खानी चाहिए.
4. नकटभोजी (नक्तभोजी) यानी सूर्यास्त से ठीक एक दिन पहले एकल भोजन करना. एकल भोजन में सेम, गेहूं, चावल और दालों सहित किसी भी प्रकार के अनाज नहीं होने चाहिए, जिन्हें एकादशी उपवास के दौरान मना किया जाता है.
एकादशी व्रत के दौरान नक्तभोजी के आहार में साबूदाना, सिंघाड़ा (पानी की कल्ट्रॉप और जिसे चेस्टनट भी कहा जाता है), शकरकंदी, आलू और मूंगफली शामिल हैं.
कई कुट्टू अट्टा (बकवेट आटा) और समक (बाजरा चावल) के लिए एकल एकादशी भोजन के दौरान मुख्य आहार भी है. हालांकि दोनों वस्तुओं की वैधता एकादशी भोजन के रूप में बहस योग्य है क्योंकि इन्हें अर्ध-अनाज या छद्म अनाज माना जाता है. उपवास के दौरान इन वस्तुओं से बचना बेहतर है.
एकादशी पर्व की आरती (Ekadashi Aarti)
यह एकादशी पर्व की मुख्य आरती हैं. इस दिन पूजा करने के पश्चात् इस आरती को अवश्य गाना चाहिए.
ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
एकादशी व्रत कैलेंडर 2024 (Ekadashi Vrat Calendar 2024)
रविवार, 07 जनवरी | सफला एकादशी |
रविवार, 21 जनवरी | पौष पुत्रदा एकादशी |
मंगलवार, 06 फरवरी | षट्तिला एकादशी |
मंगलवार, 20 फरवरी | जया एकादशी |
बुधवार, 06 मार्च | विजया एकादशी |
बुधवार, 20 मार्च | आमलकी एकादशी |
शुक्रवार, 05 अप्रैल | पापमोचनी एकादशी |
शुक्रवार, 19 अप्रैल | कामदा एकादशी |
शनिवार, 04 मई | वरूथिनी एकादशी |
रविवार, 19 मई | मोहिनी एकादशी |
रविवार, 02 जून | अपरा एकादशी |
मंगलवार, 18 जून | निर्जला एकादशी |
मंगलवार, 02 जुलाई | योगिनी एकादशी |
बुधवार, 17 जुलाई | देवशयनी एकादशी |
बुधवार, 31 जुलाई | कामिका एकादशी |
शुक्रवार, 16 अगस्त | पुत्रदा एकादशी |
गुरुवार, 29 अगस्त | अजा एकादशी |
शनिवार, 14 सितंबर | पद्मा एकादशी |
शनिवार, 28 सितंबर | इंदिरा एकादशी |
सोमवार, 14 अक्टूबर | पापांकुशा एकादशी |
सोमवार, 28 अक्टूबर | रमा एकादशी |
मंगलवार, 12 नवंबर | देवउठनी (देवोत्थान) एकादशी |
मंगलवार, 26 नवंबर | उत्पन्ना एकादशी |
बुधवार, 11 दिसंबर | मोक्षदा एकादशी |
गुरुवार, 26 दिसंबर | सफला एकादशी |