गीता जयंती क्यों मनाई जाती हैं, इसका इतिहास, पूजा विधि और कहानी | Why Geeta Jayanti Celebrated. Its History, Puja Vidhi and Story in Hindi
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को मार्गशीर्ष माह की एकादशी के दिन भागवत गीता का उपदेश दिया था. इसलिए तिथि को गीता जयंती (Geeta Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में यह त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भागवत गीता हिंदू समाज का सबसे पवित्र धर्मग्रंथ है. महाभारत के युद्ध में जब धनुर्धर अर्जुन अपने लक्ष्य से विचलित हो गए थे और युद्ध के दौरान शस्त्र को उठाने से मना कर दिया था. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपने मार्ग पर वापस लाने के लिए गीता का उपदेश दिया था. इस दिन को मोक्षदा एकादशी (Mokshda Ekadashi) भी कहा जाता है.
गीता जयंती कब मनाई जाती हैं? (Gita jayanti 2018 date)
वर्ष 2018 में गीता जयंती (Geeta Jayanti) 18 दिसंबर मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार यह जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन मनाई जाती है.
श्रीमद् भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta)
श्रीमद् भागवत गीता हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ है. यह भारतीय संस्कृति की प्रामाणिक आधारशिला है. गीता में कुल 18 पर्व और 700 श्लोक हैं. इसकी रचना महर्षि वेदव्यास द्वारा की गई थी और इसका लेखन श्री गणेश जी द्वारा किया गया था. भगवत गीता को गणेश जी द्वारा लिखने के पीछे भी एक कहानी है. महर्षि वेदव्यास ने भागवत गीता को अंतर्मन में रच लिया था परंतु उनके सामने गंभीर समस्या यह थी कि वह इसे लिखना चाहते थे. उन्हें ऐसे विद्वान की आवश्यकता थी कि वह भागवत का उच्चारण करते जाए और विद्वान उसका लेखन का कार्य बिना किसी त्रुटि के करें.
इस समस्या का समाधान पाने के लिए महर्षि व्यास ने ब्रह्मा जी के समक्ष अपनी समस्या को रखा. ब्रह्मा जी ने महर्षि विद्या से कहा कि वे इस कार्य में बुद्धि के देवता गणेश की मदद ले. व्यास जी गणेश जी के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी बात रखी. गणेश जी महर्षि व्यास की परेशानी को सुनकर महाभारत का भी को लिखने के लिए राजी हो गए. उन्होंने एक शर्त रखी कि एक बार कलम उठा देने के बाद काफी समाप्त होने तक वह बीच में नहीं रुकेंगे. महर्षि व्यास गणेश जी की बुद्धिमत्ता को समझ गए की यदि वह यह शर्त मान लेते हैं तो उन्हें बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा. उन्हें बिना किसी विश्राम के निरंतर महाभारत का वाचन करना पड़ेगा. इस महर्षि वेदव्यास ने भी गणेश जी के समक्ष एक शर्त यह रखी की हर्ष लोक लिखने के बाद गणेश जी को उसका अर्थ समझाना होगा.
इस शर्त को गणेश जी ने ऋषि वेदव्यास की शर्तें मान ली. इस प्रकार महर्षि वेदव्यास वाचन करते और गणेश जी लेखन का कार्य करते हैं. गणेश जी द्वारा श्लोक का अर्थ समझाने के दौरान महर्षि वेदव्यास ने नए श्लोक का रचना कर लेते. इस प्रकार महाभारत की रचना हुई.
गीता जयंती कैसे मनाई जाती हैं? (Gita Jayanti Celebration)
- इस दिन सभी घरों में श्रीमद्भागवत की विधिवत पूजा की जाती है.
- पूरे देश के सभी मंदिरों में श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और पूजन किया जाता है.
- गीता जयंती (Geeta Jayanti) के दिन लोग उपवास रखते हैं.
- इस दिन धार्मिक और भजन संध्या का आयोजन किए जाते हैं.
श्रीमद् भागवत गीता पर महान विद्वानों के विचार (Thoughts on Shrimad Bhagwat Geeta)
श्रीमद्भगवद्गीता सिर्फ हमारे देश में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक विद्वानों भी इसका अध्ययन करते हैं. बहुत से वैज्ञानिकों ने श्रीमद् भागवत गीता पर अपने विचार व्यक्त किये.
‘जब मैंने गीता पढ़ी तब मैनें विचार किया कि कैसे ईश्वर ने इस ब्रह्माण्ड कि रचना की है, तो मुझे बाकी सब कुछ व्यर्थ प्रतीत हुआ.’
~अल्बर्ट आइन्स्टाइन
‘श्रीमद्भगवद्गीता में मानव की आत्मा का गहन प्रभाव है, जो इसके कार्यों में झलकता है.’
~अल्बर्ट श्वाइत्जर
‘श्रीमद्भगवद्गीता ने सम्रृद्ध आध्यात्मिक विकास का सबसे सुव्यवस्थित बयान दिया है. यह आज तक के शाश्वत दर्शन का सबसे स्पष्ट और बोधगम्य सार है, इसलिए इसका मूल्य केवल भारत के लिए नही, वरन संपूर्ण मानवता के लिए है.’
~अल्ड्स हक्सले
‘हर सुबह मैं अपने ह्रदय और मस्तिष्क को श्रीमद्भगवद्गीता के उस अद्भुत और देवी दर्शन से स्नान कराता हूं जिसकी तुलना में हमारा आधुनिक विश्व और इसका साहित्य बहुत छोटा और तुच्छ जान पड़ता है.’
~हेनरी डी थोरो
‘श्रीमद्भगवद्गीता को विश्व की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति, भारत की महान धार्मिक सभ्यता के प्रमुख साहित्यिक प्रमाण के रूप में देखा जा सकता है.’
~थॉमस मर्टन
‘पाश्चात्य जगत में भारतीय साहित्य का कोई भी ग्रन्थ इतना अधिक उदहृत नहीं होता जितना कि श्रीमद्भगवद्गीता, क्योंकि यही सर्वाधिक प्रिय ग्रंथ है.’
~डॉ. गेद्दीज मैकग्रेगर
‘भगवत गीता का अनूठापन जीवन के विवेक की उस सचमुच सुंदर अभिव्यक्ति में है, जिससे दर्शन प्रस्फुटित होकर धर्म में बदल जाता है.’
~हर्मन हेस
‘मैं श्रीमद्भगवद्गीता का आभारी हूं. मेरे लिए यह सभी पुस्तकों में प्रथम थी, जिसमे कुछ भी छोटा या अनुपयुक्त नहीं किंतु विशाल, शांत, सुसंगत, एक प्राचीन मेधा की आवाज जिसने एक-दूसरे युग और वातावरण में विचार किया था और इस प्रकार उन्हीं प्रश्नों को तय किया था, जो हमें उलझाते हैं.’
~रौल्फ वाल्डो इमर्सन
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