कामिका एकादशी 2024 की पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त, आरती और कथा |
Kamika Ekadashi Puja Vidhi, Mahatva Shubh Muhurat, Aarti and Story in Hindi
कामिका एकादशी हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को आती हैं. वही गुजराती, मराठी, तेलुगु और कन्नड़ भाषा के स्थानीय पंचांग के अनुसार यह आषाढ़ महीने में आती हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह एकादशी जुलाई या अगस्त महीने में आती हैं. इस एकादशी पर मुख्य रूप से भगवान विष्णु या भगवान कृष्ण की पूजा की जाती हैं.
कामिका एकादशी तिथि और मुहूर्त समय (Kamika Ekadashi Date and Timings in 2024)
वर्ष 2024 में कामिका एकादशी 31 जुलाई, 2024 को के दिन हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार यह एकादशी श्रावण माह में आती है.
तारीख (Date) | 31 जुलाई, 2024 |
वार (Day) | बुधवार |
एकादशी तिथि प्रारम्भ (Ekadashi Started) | 30 जुलाई 2024 को शाम 04:44 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त (Ekadashi Ended) | 31 जुलाई 2024 को दोपहर 03:55 बजे |
पारण (व्रत तोड़ने का) समय (Parana Time) | 05:42:40 से 08:24:28 तक 1, अगस्त को |
कामिका एकादशी का महत्व (Kamika Ekadashi Significance)
ऐसी मान्यता हैं इस एकादशी को व्रत करने से मनुष्य को मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्ति होती हैं. इस एकादशी पर पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती हैं. एक मान्यता के अनुसार इस एकादशी को करने से अश्वमेघ यज्ञ के सामान पुण्य अर्जित होता हैं. श्रावण के पवित्र महीने में आने के कारण इसका महत्व अन्य एकादशी की तुलना में बढ़ जाता हैं.
कामिका एकादशी व्रत के नियम (Fasting Rules of Kamika Ekadashi)
इस एकादशी के व्रत कार्यकाल तीन दिन का होता हैं. इस तरह इस एकादशी व्रत का पालन दशमी, एकादशी और द्वादशी को करना पड़ता हैं. इन दिनों चावल और जौ का सेवन वर्जित हैं. एकादशी के दिन लहसुन, प्याज और मसूर की डाल को भूलकर भी नहीं खाना और खिलाना चाहिए. इसके अलावा मांस और मदिरा के सेवन से भी बचाना चाहिए.
दशमी के दिन भक्त को दिन के समय पूर्ण रूप से सात्विक भोजन (बिना मांस वाला) करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन भक्त को भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत का संकल्प देना चाहिए. रात्रि में समय जागरण करना चाहिए. द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराके यथाशक्ति दान करना चाहिए. ब्राह्मण को दान करने के बाद भक्त को व्रत का पारण करना चाहिए.
कामिका एकादशी की पूजन विधि (Kamika Ekadashi Puja Vidhi)
- एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए.
- स्नान के पश्चात साफ़ और स्वच्छ कपड़े पहन ले और कामदा एकादशी व्रत का संकल्प ले.
- पूजा की शुरुआत भगवान श्री गणेश की पूजा के साथ करे.
- फूल से गणेश जी और मां गौरी को जल चढ़ाएं.
- भगवान गणेश और माँ गौरी को लाल सिंदूर का टीका लगाये.
- गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें.
- गौरी-गणेश को फूल अर्पित करें और माला चढ़ाएं.
- गौरी-गणेश को बेल पत्र अर्पित करें.
- भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें और फिर गौरी गणेश को फल चढ़ाएं.
- इत्र और फूल अर्पित करें और नैवेध, मिष्ठान चढ़ाएं.
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें. पुष्प से जल चढ़ाएं और भगवान विष्णु को पीले रंग का तिलक लगाएं व मां को लाल चुनरी चढ़ाएं.
- विष्णु-लक्ष्मी जी पर फुल की माला चड़ाए.
- इसके बाद मिष्ठान, फल का भोग लगाये.
- भोग के बाद धूप, दीप अर्पित करें.
- कामिका एकादशी व्रत कथा पढ़ें और एकादशी माता की आरती गाए.
पारण विधि (Kamika Ekadashi Parana Vidhi)
व्रत को खोलने को व्रत की पारण विधि कहा जाता हैं. एकादशी का व्रत द्वादशी पर ब्राह्मण भोज और दान से समाप्त होता हैं. दान अपनी यथाशक्ति अनुसार करना चाहिए. ध्यान रहे द्वादशी पर पारण करने का भी एक शुभ मुहूर्त होता हैं. यदि भक्त ब्राह्मण भोजन कराने में समर्थ नहीं हैं तो एक व्यक्ति के भोजन के सामान अनाज को दान भी कर सकता हैं.
कामिका एकादशी की कथा (Kamika Ekadashi Story)
भगवान कृष्ण पांडव ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर को सभी एकादशी के बारे में क्रमानुसार बताते हैं. जब युधिष्ठिर उन्हें श्रावण कृष्ण एकादशी के बारे में पूछते हैं तो भगवान श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को बताते हैं, इस एकादशी के महत्व और कथा के बारे में स्वयं ब्रह्मा जी ने नारद ऋषि को बताया था. वही संवाद मैं तुझे बताता हूँ.
नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से पूछा, “हे पितामह! श्रावण माह की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी की क्या विशेषता हैं. उसका नाम क्या हैं और इस दिन पूजा करने की क्या विधि हैं. कृपा करके मुझे बताईये”
पुत्र नारद की बात सुनकर ब्रह्मा जी कहते हैं, “नारद! तुमने जन मानस के कल्याण करने वाला प्रश्न पूछा हैं. श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता हैं. इस एकादशी पर पूजा करने और व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है.”
ब्रह्मा जी आगे बताते हुए कहते हैं कि कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है. उनकी पूजा करने से जो फल प्राप्त होता हैं उसकी महत्ता सुनो.
जो पुण्य की प्राप्ति काशी में गंगा स्नान, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से, सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी मिलती वह विष्णु के पूजन से मिलती है. जो भक्त श्रावण के पवित्र महीने में विष्णु की पूजा करता हैं उससे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं. इसीलिए पापों से मुक्ति के लिए और मोक्ष प्राप्त करने के लिए एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन अवश्यमेव करना चाहिए. कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है.
कामिका एकादशी की आरती (Kamika Ekadashi Aarti)
ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
वर्ष में आने वाली अन्य एकादशी की सूची और महत्व:
सफला एकादशी | पुत्रदा एकादशी | षट्तिला एकादशी | जया एकादशी |
विजया एकादशी | आमलकी एकादशी | पापमोचनी एकादशी | कामदा एकादशी |
वरूथिनी एकादशी | मोहिनी एकादशी | अपरा एकादशी | निर्जला एकादशी |
योगिनी एकादशी | देवशयनी एकादशी | कामिका एकादशी | पुत्रदा एकादशी |
अजा एकादशी | पद्मा एकादशी | इंदिरा एकादशी | पापांकुशा एकादशी |
रमा एकादशी | देवउठनी (देवोत्थान) एकादशी | उत्पन्ना एकादशी | मोक्षदा एकादशी |