सावन मास में भगवान शिव पर दूध चढ़ाने के धार्मिक व वैज्ञानिक कारण | Shiva worship in Sawan in Hindi

BHAGWAN SHIV PAR DUDH CHANANE KE DHARMIK AUR VAIGYANIK KARAN

सावन का पावन महीना शुरू हो गया हैं. हिन्दू धर्म में सावन के महीने का बहुत महत्व हैं. इस माह में सभी भक्त भगवान शिव को दूध चढाते हैं. पूरे भारतवर्ष में भारत के अनेक शिव मंदिरों में भगवान शिव का दुग्धाभिषेक किया जाता हैं और सावन के महीने में दूध नहीं पीने की भी परंपरा हैं परन्तु क्या आप जानते हैं कि सावन में ही क्यों भगवान शिव पर दूध का अभिषेक किया जाता हैं और आखिर क्यों दूध पीने से मना किया गया हैं. आईये जानते हैं शिवलिंग पर दूध चढाने के पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में.

देवों और असुरों ने साथ मिलकर अमृत के लिए समुद्र मंथन किया था लेकिन मंथन के बाद जो सबसे पहले उनके हाथ लगा वह था हलाहल विष. दुनिया की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस हलाहल विष का पान किया. शिव जी के पास खड़ी माता पार्वती ने शिव जी के गले को कसकर पकड़ लिया जिससे विष उनके गले के नीचे नहीं उतर सका. इस कारण भगवान शिव को नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता हैं. विष का घातक प्रभाव शिव और शिव की जटा में विराजमान देवी गंगा पर पड़ने लगा.

Shiva worship in Sawan in Hindi

ऐसे में शिव को शांत करने के लिए जल की शीलता भी काफी नहीं थी और मंथन से निकले हलाहल विष के कारण उनका शरीर जलने लगा था. इसी विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवों ने कामधेनु के शीतल दूध का सेवन करने का आग्रह किया. यह वही कामधेनु हैं जिसका जन्म समुद्र मंथन के दौरान ही हुआ था. और ये सात देवताओं द्वारा ग्रहण की गयी थी. देवों के इस सुझाव से भगवान शिव ने कामधेनु के शीतल दूध का सेवन किया. जिससे भगवान शिव को शीतलता की प्राप्ति हुई थी और विष का प्रभाव भी कम हो गया था.

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सावन मास में दूध का सेवन क्यों न करें

सावन के महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि सावन के महीने में हरियाली होने के कारण गाय, भैस घास के साथ कीड़े मकौड़े भी खा लेती हैं. जिससे दूध गुण करने के बजाय हानिकारक हो जाता हैं. इसीलिए सावन मास में दूध का सेवन न करते हुए उसे शिव को अर्पित करने का विधान बनाया गया है.

Shiva worship in Sawan in Hindi

आयुर्वेद के अनुसार भी सावन के महीने में वात(एक प्रकार का रोग) की बीमारियाँ सबसे ज्यादा होती हैं. वात की समस्या को रोकने लिए पत्ते वाली सब्जियां नहीं खानी चाहिए. सावन के मौसम में सभी पशु घास और पत्तियां खाते हैं जिनसे उनमें वात रोग होने की संभावना बढ़ जाती हैं. जिसके कारण उनके दूध का सेवन करने से भी वात रोग बढता हैं.

ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया ही नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उससे हम अपनी परम्पराओं को समझ ही नहीं सकते हैं.

Shiva worship in Sawan in Hindi

जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है वो सनातन है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें हैं.

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