विजया एकादशी पूजा विधि, व्रत कथा, पंचाग और महत्व | Vijaya Ekadashi Puja Vidhi, Vrat Katha, Panchang Aur Mahatva in Hindi
हिन्दू धार्मिक कैलेंडर के अनुसार हर माह में दो और पूरे वर्ष में कुल 24 एकादशी आती हैं यदि वर्ष में अधिक मास और मलमास होता हैं, तो यह गिनती 26 भी हो जाती हैं. हिन्दू धर्मं के अनुसार हर एकादशी का एक महत्व होता हैं. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी के रूप में मनाया जाता हैं. इस वर्ष विजया एकादशी का पर्व 6 मार्च, 2024 को बुधवार के दिन मनाया जायेगा. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह एकादशी फरवरी या मार्च महीने में आती हैं.
विजया एकादशी की तिथि और समय (Vijaya Ekadashi Date and Timings in 2024)
तारीख (Date) | 6 मार्च, 2024 |
वार (Day) | बुधवार |
एकादशी तिथि (शुरुआत) | 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से |
एकादशी तिथि (समाप्त) | 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट |
विजया एकादशी का महत्व (Vijaya Ekadashi Ka Mahatva)
विजया एकादशी को हमारे पुराणों के अनुसार सबसे उत्तम माना गया हैं. इस दिन पूजा व्रत करने से मुश्किल से मुश्किल शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती हैं इसी कारण इस एकादशी विजया एकादशी कहा जाता हैं. हमारे पूर्वजों इस इस बात को कई युद्धों में चरितार्थ भी किया हैं. जिन्होंने निश्चित हार को महान विजय में बदला हैं.
इस दिन के व्रत को लेकर ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को हर कार्य में सफलता हासिल होती हैं और इच्छानुसार फल की प्राप्ति होती हैं. इसके अलावा इस एकादशी को सभी पापों का हरण करने वाली एकादशी भी कहा गया हैं.
विजया एकादशी की पूजा विधि (Vijaya Ekadashi Puja Vidhi)
हिन्दूशास्त्र के अनुसार इस दिन व्रत करने स्वर्ण दान, भूमि दान, अन्न दान और गौ दान से अधिक पुण्य मिलता है. इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती हैं. पूजा करने की पूजा विधि कुछ इस प्रकार हैं.
- दशमी के दिन सोने, चांदी, तांबे या मिट्टी का घड़ा बनाये. उसमे जल भर पांच पल्लव स्थापित करे या आम या अशोक के पत्तों से सजाएं. घड़े के ऊपर जौ और नीचे सतनजा रखें.
- एकादशी के दिन स्नान करके भगवान नारायण की मूर्ति स्थापित करे और पीले पुष्प, ऋतुफल, तुलसी, दीप, धुप नारियल आदि लगाकर से पूजा करे.
- एकादशी की पूजा विधि के बाद घी के दीपक को एक दिन अखंड जलाये और हरि के नाम का भजन कीर्तन करते हुए जागरण करे.
- एकादशी समाप्त होने पर द्वादशी को घड़े को ब्राह्मण को दान कर दें.
जौ-चावल न खाएं
विजया एकादशी के दिन चावल या जौ का सेवन वर्जित हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार माँ कालका के क्रोध से बचने के लिए ऋषि मेधा ने शरीर का त्याग कर धरती के अन्दर समाहित हो गए थे. जिस दिन ऋषि मेधा ने शरीर का त्याग किया वह एकादशी का ही दिन था. जिसके बाद वह चावल और जौ से रूप में पुनः उत्पन्न होते हैं. इसी कारण इस दिन चावल और जौ को जीव का अवतार माना जाता हैं.
ऐसी मान्यता हैं कि इस दिन चावल का सेवन करना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है. इसी वजह से एकादशी के दिन चावल और जौ का सेवन करना वर्जित माना गया हैं.
विजया एकादशी व्रत कथा
एक बार की बात हैं नारद मुनि ने अपने पिता ब्रह्मा से विनती की, कि “हे ब्रह्माजी! आप मुझे विजया एकादशी के महत्व और पूजा विधि बताने की कृपा करे”. नारद मुनि की बाद सुन ब्रहमाजी अपनी आँखे खोलते हैं “हे पुत्र! विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति के पिछले जन्म के पापों को हरने की ताकत रखता हैं, मनुष्य योनी में इस व्रत और पूजन करने से सभी विकट परिस्थिति में भी विजय प्राप्त होती हैं.”
ब्रह्मा जी भगवान श्री राम की कथा सुनाते हुए नारद मुनि से कहते हैं
पिता दशरथ के वचन पालन करने के लिए भगवान राम, पत्नी सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ चौदह वर्ष के वनवास पर चले जाते हैं. भगवान राम, पत्नी और भाई के साथ पंचवटी में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं. दूसरी ओर जब रावण सीता की सुन्दरता के बारे में लंका में सुनता हैं तो सीता का हरण करने के उद्देश्य से पंचवटी पहुँच जाता हैं.
राम जी को कुटिया से दूर करने के लिए रावण मामा मारीच की सहायता लेता हैं और मौका मिलते ही सीता का हरण कर लंका ले जाता है. सीता को कुटिया में ना पाकर वह व्याकुल हो जाते हैं और सीता जी की खोज में वन में भटकने लगते हैं.
जंगल भटकते हुए वे मरणासन्न जटायु के पास पहुँचते हैं. जटायु उन्हें पूरा वृतांत सुनाता हैं और श्रीरामजी की गोद में प्राण त्यागकर स्वर्ग की तरफ प्रस्थान करता हैं. इस घटना के बेहद दुखी श्रीराम अपना रुख लंका की ओर किया और वह सुग्रीव और हनुमान से साथ मिलकर सेना का निर्माण करते हैं. जब भगवान श्रीराम वानरों की सेना लेकर समुद्र के तट पर पहुँचते हैं तो उसके समक्ष विशाल समुद्र को पार करने की चुनौती होती हैं. राम जी लक्ष्मण से कहते है- ‘हे लक्ष्मण! अनेक मगरमच्छों और जीवों से भरे इस विशाल समुद्र को कैसे पार करेंगे?’
श्री राम की बात सुनकर लक्ष्मण जी कहते हैं “भ्राता आप तो सर्वज्ञाता हैं आपसे कुछ भी छुपा हुआ नहीं हैं. यहाँ से आधा योजन दूर कुमारी द्वीप पर कदाल्भ्य मुनि का आश्रम हैं वह हमारी सहायता जरुर करेंगे और विजय की राह प्रशस्त करेंगे” राम जी ने वैसा ही किया और ऋषि कदाल्भ्य के आश्रम गए और उनसे विनती की.
वकदाल्भ्य मुनि ने पूछा- ‘हे राम! आपने किस प्रयोजन से मेरी कुटिया को पवित्र किया है, कृपा कर अपना प्रयोजन कहें प्रभु.’ ऋषि के मधुर वचनों को सुन राम जी कहते हैं “हे ऋषिवर! रावण ने मेरी पत्नी सीता का हरण कर लंका ले गया हैं. मैं अपनी वानर सेना के साथ समुद्र पार करके जाना चाहता हूँ. आप कृपा कर समुद्र पार करने का कोई उपाय बताये.”
महर्षि वकदाल्भ्य कहते हैं “मैं तुम्हे ऐसे व्रत के बारे में बताता हूँ जिसे करने के बाद तुम्हें विजयश्री अवश्य प्राप्त होगी. और तुम्हें लंका तक जाने का पथ भी अवश्य प्राप्त हो जायेगा” महर्षि वकदाल्भ्य राम भगवान को विजया एकादशी का महत्व और पूजा विधि का ज्ञान देते हैं. जिसे करने के बाद राम जी लंका पहुंचकर रावण का वध करते हैं युद्ध में विजय प्राप्त करते हैं.
वर्ष में आने वाली अन्य एकादशी की सूची और महत्व: