पुत्रदा एकादशी (2024) का महत्व, कहानी, व्रत विधि, फल और उपवास की जानकारी | Putrada Ekadashi Ki Kahani, Importance, Vrat Vidhi, Fal and Mantra in Hindi
हिन्दू धर्म में अनेक प्रचलित कथाओं के अनुसार त्यौहार मनाएं जाते है. भारत में तीज, वृत और एकादशी का अधिक महत्व हैं. हिन्दू वर्ष में चौबीस एकादशियाँ होतीं हैं, परन्तु जब मलमास और अधिक मास आता है तब इनकी संख्या बढकर 26 हो जाती हैं. वर्ष की दो एकादशियों को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पौष और श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशियों को पुत्रदा एकादशी कहते हैं. अंग्रेजी केलेंडर के अनुसार पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी दिसम्बर या जनवरी के महीने में आती है जबकि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में आती है. पौष माह की पुत्रदा एकादशी उत्तर भारतीय प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण है जबकि श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी दूसरे प्रदेशों में ज्यादा महत्वपूर्ण है. वर्ष 2024 में पौष माह की पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी रविवार और श्रावण माह की पुत्रदा एकादशी 16 अगस्त 2024 शुक्रवार के दिन हैं.
पुत्रदा एकादशी की तिथि और समय (Putrada Ekadashi Date & Timings in 2024)
पुत्रदा एकादशी | पौष माह पुत्रदा एकादशी | श्रावण माह पुत्रदा एकादशी |
तारीख (Date) | 21 जनवरी 2024 | अगस्त 16, 2024 |
वार (Day) | रविवार | शुक्रवार |
एकादशी तिथि प्रारम्भ (Ekadashi Started) | जनवरी 20, 2024 को शाम 07:26 बजे से | अगस्त 15, 2024 को सुबह 10:26 बजे |
एकादशी तिथि समाप्त (Ekadashi Ended) | जनवरी 21, 2024 को शाम 07:26 बजे तक | अगस्त 16, 2024 को सुबह 09:39 बजे तक |
पारण (व्रत तोड़ने का) समय (Paran Time) | जनवरी 22, 2024 सुबह 07:14 से सुबह 09:21 तक | अगस्त 17, 2024 को सुबह 05:51 से 08:05 बजे तक |
पुत्रदा एकादशी की कहानी और महत्व(Putrada Ekadashi Ki Kahani and Importance)
द्वापर युग के आरम्भ में महिष्मति नगरी के राजा महीजित थे. राजा महीजित का कोई पुत्र नहीं था. जिसके कारण वे चिंतित रहते थे. उनका कहना था जिसकी संतान नहीं होती हैं उसके लिए यह लोक और परलोक दोनों ही दुःख का कारण होती है. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने अनेक उपाय किए परन्तु राजा को पुत्र प्राप्ति नहीं हुई. राजा की समस्या को हल करने के लिए उनके मंत्री वन में गए. जहां उन्हें सनातन धर्म के गूढ़ तत्वों को जानने वाले, समस्त शास्त्रों के ज्ञाता महात्मा लोमश मुनि मिले. लोमश मुनि उनकी समस्याओं को पहले ही जान चुके थे. उन्होंने राजा के मंत्रियों से कहा नि:संदेह मैं आप लोगों का हित करूँगा. मेरा जन्म केवल दूसरों के उपकार के लिए हुआ है, इसमें संदेह मत करो.
सभी मंत्री ने सबसे पहले ऋषि लोमश को प्रणाम किया. अपने राजा की समस्या को ऋषि लोमश के सामने रखा. जिसे सुनकर ऋषि लोमश ने राजा के पूर्व जन्म की कहानी बताई. मुनि लोमश ने कहा की राजा पूर्व जन्म में एक निर्धन वैश्य था. निर्धन होने के कारण उसने बहुत से बुरे कर्म किये. एक बार राजा दो दिन से भूखे थे और अगले दिन ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को प्यास लगने पर एक जलाशय पर जल पीने गए. उसी जगह पर एक प्यासी गौ जल पी रही थी. राजा ने उस प्यासी गाय को जल पीते हुए हटा दिया और स्वयं जल पीने लगा, इसीलिए राजा को यह संतानहिन होने का दु:ख सहना पड़ रहा है. भूखे रहने की वजह से उन्हें राजा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. यह कथा सुनकर राजा के मंत्रीयों ने कहा, हे ऋषि वर हमें कुछ ऐसा उपाय बताए कि राजा की समस्या का हल हो जाएँ.
मुनि लोमश ने कहा की श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को जिसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं, तुम सब लोग व्रत करो और रात्रि को जागरण करो तो इससे राजा का यह पूर्व जन्म का पाप अवश्य नष्ट हो जाएगा, साथ ही राजा को पुत्र की अवश्य प्राप्ति होगी. राजा के मंत्रियों ने नगर में लौटकर राजा को पूरी बात बताई. जब श्रावण शुक्ल एकादशी आई तो ऋषि की आज्ञानुसार सबने पुत्रदा एकादशी का व्रत और जागरण किया. इसके बाद द्वादशी के दिन व्रत के फल स्वरुप रानी ने गर्भ धारण किया और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई.
व्रत विधि (Putrada Ekadashi Vrat Vidhi)
- पुराणों के अनुसार दशमी तिथि को शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए.
- एकादशी का व्रत रखने वाले को अपने मन को शांत एवं स्थिर रखना चाहिए. किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लायें. परनिंदा से बचें.
- प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप प्रज्वलित करना चाहिए.
- भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें.
- व्रत के दिन अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, शाम में पूजा के बाद चाहें तो फल ग्रहण कर सकते है.
- यदि आप किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं तो भी एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए.
- एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है इसलिए रात में जागकर भगवान का भजन कीर्तन करें.
- एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
- अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें.
फल (Putrada Ekadashi Ke Fal)
जिन दंपतियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती हैं. उन्हें संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत अवश्य करना चाहिए. श्रावण पुत्रदा एकादशी का श्रवण एवं पठन करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है, वंश में वृद्धि होती है.
पुत्रदा एकादशी की आरती (Putrada Ekadashi Aarti)
ॐ जय एकादशी माता, जय एकादशी माता
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
पापमोचनी फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला पापमोचनी
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
चैत्र शुक्ल में नाम पापमोचनी, धन देने वाली
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
॥ॐ जय एकादशी…॥
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
॥ ॐ जय एकादशी…॥
वर्ष में आने वाली अन्य एकादशी की सूची और महत्व:
सफला एकादशी | पुत्रदा एकादशी | षट्तिला एकादशी | जया एकादशी |
विजया एकादशी | आमलकी एकादशी | पापमोचनी एकादशी | कामदा एकादशी |
वरूथिनी एकादशी | मोहिनी एकादशी | अपरा एकादशी | निर्जला एकादशी |
योगिनी एकादशी | देवशयनी एकादशी | कामिका एकादशी | पुत्रदा एकादशी |
अजा एकादशी | पद्मा एकादशी | इंदिरा एकादशी | पापांकुशा एकादशी |
रमा एकादशी | देवउठनी (देवोत्थान) एकादशी | उत्पन्ना एकादशी | मोक्षदा एकादशी |