प्रदोष व्रत क्या हैं और इसकी पूजन विधि | Pradosh Vrat Katha, Puja Vidhi, Mahtva in Hindi

प्रदोष व्रत क्या होता हैं, इस व्रत की कथा कहानी, वार के अनुसार फल और 2018 प्रदोष व्रत की सूची | Pradosh Vrat Katha, Puja Vidhi, Dates in 2018 in Hindi

हिन्दू धर्म में हर त्यौहार और वृत का अपना अलग महत्त्व है. हर एक व्रत की अपनी पौराणिक कहानी हैं. जिसके कारण लोग इन व्रतों को करते हैं. हिन्दू धर्म में हर महीने की प्रत्येक तिथि को कोई न कोई व्रत या उपवास होते हैं लेकिन इन सब में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है. यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है. माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है. हिन्दू पंचांग में एक साल में 12 महीने होता है इस तरह एक साल में 24 प्रदोष व्रत आते है. जबकि हर तीसरे साल एक अधिक मास आता है, उस साल 26 प्रदोष व्रत होते हैं.

प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat)

किसी भी माह की त्रयोदशी तिथि के तीसरे पहर अर्थात सायंकाल को प्रदोष काल कहा जाता हैं. प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर किए जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव प्रदोष काल के समय कैलाश पर्वत पर नृत्य करते है और देवता इनके गुणों का अभिनन्दन करते हैं.

Pradosh Vrat Katha, Puja Vidhi, Mahtva in Hindi

प्रदोष व्रत की कहानी (Pradosh Vrat ki Kahani)

स्कंद पुराण के अनुसार एक प्रचलित कथा यह हैं कि एक विधवा ब्राह्मण महिला अपने पुत्र के साथ प्रतिदिन भिक्षा के लिए भ्रमण करती और संध्या के समय अपनी कुटी पर लौट आती. एक दिन जब वह महिला भिक्षा मांग रही थी तो उनकी नजर एक बालक पर पड़ी. वह बालक विदर्भ का राजकुमार धर्मगुप्त था. दुश्मनों द्वारा उस राजकुमार के माता-पिता को मारकर उनका राज्य हड़प लिया गया था. जिसके बाद राजकुमार दर-दर भटक रहे थे. ब्राह्मण महिला राजकुमार धर्मगुप्त अपने साथ अपनी कुटिया पर ले आई और अपने बेटे की तरह राजकुमार का पालन-पोषण किया.

इसके बाद एक बार जब वह महिला दोनो बालको के साथ मंदिर गई थी. जहाँ उनकी मुलाकात ऋषि शाण्डिल्य से हुई. महिला ने ऋषि शाण्डिल्य को राजकुमार की पूरी कहानी बताई. ऋषि शाण्डिल्य ने ब्राह्मणी को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. ऋषि आज्ञा से दोनों बालकों ने भी प्रदोष व्रत करना शुरू किया.

एक दिन जब दोनों बालक वन में खेल रहे थे. वहां कुछ गन्धर्व कन्याएं भी थी. ब्राह्मण महिला का बालक तो वापस घर लौट गया परन्तु राजकुमार वही अंशुमती नाम की कन्या से बात करने लगे. अंशुमती से बार करते हुए उनके पिता ने राजकुमार को पहचान लिया. भगवान शिव की आज्ञा से गंधर्वराज ने अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार धर्मगुप्त से कराया. इसके बाद राजकुमार धर्मगुप्त ने गंधर्व सेना की सहायता से विदर्भ देश पर पुनः शासन प्राप्त कर लिया. यह सब ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के प्रदोष व्रत करने के फल स्वरूप उन्हें मिला था.

प्रदोष व्रत की पूजन विधि (Pradosh Vrat Ki Puja)

प्रत्येक माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत होता है. इस दिन सायंकाल के समय सूर्यास्त से पहले स्नान करना चाहिए. इसके बाद विधिवत शिवजी का पूजन करना चाहिए. पूजन सामग्री में विभिन्न पुष्पों, लाल चंदन, हवन, बेलपत्र और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए. पूजन के दौरान महामृत्यंजय मंत्र का जाप करना चाहिए. पूजन के पश्चात प्रदोष व्रत की कथा या शिव पुराण की कथा का वाचन करना चाहिए.

Pradosh Vrat Katha, Puja Vidhi, Mahtva in Hindi

वार के अनुसार प्रदोष के नाम और फल (Var ke Anusar Pradosh Vrat)

अलग-अलग वारों के अनुसार प्रदोष व्रत का अलग महत्व होता है. प्रत्येक वार के अनुसार प्रदोष व्रत का नाम और महत्व बदल जाता हैं.

सोमवार – सोम प्रदोष व चन्द्र प्रदोषम
सोमवार के दिन प्रदोष करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

मंगलवार – भौम प्रदोष
मंगल वार के दिन प्रदोष व्रत करने से भक्तों की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याए दूर होती है और उनके शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार आता है.

बुधवार – सौम्यवारा प्रदोष
बुधवार को प्रदोष व्रत करने से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती है और ज्ञान भी प्राप्त होता हैं.

गुरूवार – गुरुवा प्रदोष
गुरूवार के दिन प्रदोष व्रत करने से पितरो का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं तथा शत्रुओं का नाश होता है.

शुक्रवार – भ्रुगुवारा प्रदोष
शुक्रवार को प्रदोष व्रत रखने से जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है.

शनिवार – शनि प्रदोष
शनिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से संतान प्राप्ति होती हैं और अपनी इच्छाओं को ध्यान में रख कर प्रदोष व्रत करने से फल की प्राप्ति निश्चित ही होती है.

रविवार भानु प्रदोष
रविवार के दिन प्रदोष व्रत करने से आयु में वृद्धि होती है अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.

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वर्ष 2018 में प्रदोष व्रत की तिथियाँ (Pradosh Vrat Dates for 2018)

दिनाँकदिनहिन्दु चांद्र मास
14 जनवरीरविवारमाघ कृष्ण पक्ष
29 जनवरीसोमवारमाघ शुक्ल पक्ष
13 फरवरीमंगलवारफाल्गुन कृष्ण पक्ष
27 फरवरीमंगलवारफाल्गुन शुक्ल पक्ष
14 मार्चबुधवारचैत्र कृष्ण पक्ष
29 मार्चबृहस्पतिवारचैत्र शुक्ल पक्ष
13 अप्रैलशुक्रवारवैशाख कृष्ण पक्ष
27 अप्रैलशुक्रवारवैशाख शुक्ल पक्ष
13 मईरविवारप्रथम शुद्ध ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
26 मईशनिवारप्रथम अधिक ज्येष्ठ शुक्ल
11 जूनसोमवारद्वितीय अधिक ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष
25 जूनसोमवारद्वितीय शुद्ध ज्येष्ठ शुकल पक्ष
10 जुलाईमंगलवारआषाढ़ कृष्णपक्ष
25 जुलाईबुधवारआषाढ़ शुक्ल पक्ष
9 अगस्तबृहस्पतिवारश्रावण कृष्ण पक्ष
23 अगस्तबृहस्पतिवारश्रावण शुक्ल पक्ष
7 सितंबरशुक्रवारभाद्रपद कृष्ण पक्ष
22 सितंबरशनिवारभाद्रपद शुक्ल पक्ष
6 अक्तूबरशनिवारआश्विन कृष्ण पक्ष
22 अक्तूबरसोमवारआश्विन शुक्ल पक्ष
5 नवंबरसोमवारकार्तिक कृष्ण पक्ष
20 नवंबरमंगलवारकार्तिक शुक्ल पक्ष
4 दिसंबरमंगलवारमार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष
20 दिसंबरबृहस्पतिवारमार्गशीर्ष शुक्ल

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