Most Common Myths and Misconceptions about Cancer in Hindi | भारतीयों में कैंसर से जुडी कुछ गलतफहमियां और उनके जवाब
भ्रम 1: कैंसर का मतलब मौत ?
तथ्य: सही समय पर कैंसर का पता चल जाने पर लगभग एक तिहाई कैंसर को उपचार से ठीक किया जा सकता है. यही कारण है कि नियमित स्वास्थ्य की जाँच बहुत जरूरी है. पिछले दो दशकों में कैंसर के उपचार के लिए नयी दवाइयां और उन्नत तकनीकों की वजह से कैंसर से होने वाली मौतों में काफी गिरावट आयी है. कुछ कैंसर, जैसे प्रोस्टेट, स्तन और थाइरोइड कैंसर के मामलों में पांच साल तक जीवित रहने की दर में 90 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है.
भ्रम 2: कैंसर एक संक्रामक बीमारी है ?
तथ्य: सर्दी जुकाम की तरह कैंसर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है. किसी प्रियजन को कैंसर होने पर उनके साथ समय व्यतीत करने से कैंसर नहीं होता है. केवल कुछ परिस्थितियों में इसकी संभावना रहती है, जैसे अंग प्रत्यारोपण. यदि किसी ऐसे व्यक्ति से कोई शारीरिक अंग अन्य व्यक्ति में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिसे अतीत में कभी कैंसर रहा हो तो अंग पाने वाले व्यक्ति में कैंसर होने की संभावना होती है, लेकिन ऐसी संभावना 10000 लोगों में से केवल दो लोगों को होती है. कुछ वायरस भी कैंसर को फ़ैलाने के लिए जिम्मेदार होते है, जैसे हेपेटाइटिस बी और सी संक्रमित व्यक्ति के साथ लैंगिक संपर्क और संक्रमित सुई के इस्तेमाल से फैलता है, तथा लिवर कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है.
भ्रम 3: सर्जरी या ट्यूमर बायोप्सी टेस्ट से कैंसर शरीर में फैल सकता है ?
तथ्य: सर्जरी से कैंसर की शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलने की संभावना बहुत ही कम होती हैं. बायोप्सी के दौरान या ट्यूमर को निकालते समय सर्जन को कुछ कड़ी मानक प्रक्रियाओं का अनुसरण करना होता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं के अन्य स्थान पर फैलने की संभावना नगण्य होती है. उदाहरण के तौर पर, जब शरीर के एक से ज्यादा स्थानों से कैंसर कोशिकाओं को निकालना होता है, तो प्रत्येक स्थान के लिए अलग शल्य उपकरणों का उपयोग किया जाता है.
भ्रम 4: शकर खाने से कैंसर जल्दी बढ़ता है ?
तथ्य: शोध से पता चलता है कि सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसर की कोशिकाएं ज्यादा मात्रा में शकर का अवशोषण करती है. लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि शकर खाने या मीठा भोजन करने से कैंसर और ज्यादा बिगड़ सकता है या फिर शकर खाना बंद कर देने से कैंसर कम या विलुप्त हो सकता है. हालाँकि, ज्यादा शकर युक्त भोज्य पदार्थों के सेवन से वजन बढ़ने और मधुमेह होने का जोखिम बढ़ जाता है, जो कई तरह के कैंसर के जोखिम को बढ़ा देता है.
भ्रम 5: परिवार में किसी को कैंसर होने पर अन्य व्यक्तियों को भी कैंसर हो सकता है ?
तथ्य: ऐसा आवश्यक नहीं है. कैंसर हमारे जीन्स के अंदर हानिकारक परिवर्तन (म्युटेशन) होने की वजह से होता है. लगभग 5 से 10 प्रतिशत कैंसर ही किसी व्यक्ति के माता या पिता के अंदर हुए जेनेटिक बदलाव की वजह से वंशानुगत हो सकते है. हालाँकि, इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि ऐसे व्यक्ति को उसके जीवनकाल में निश्चित रूप से कैंसर होगा ही. शेष 90 से 95 प्रतिशत कैंसर जेनेटिक बदलाव की वजह से होते है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में उम्र बढ़ने या कई तरह के पर्यावरण के कारकों के संपर्क में आने के परिणामस्वरुप हो सकते है, जैसे कि तम्बाकू का सेवन, विकिरण इत्यादि.
भ्रम 6: कैंसर का पारिवारिक इतिहास नहीं होने पर हम कैंसर मुक्त है ?
तथ्य: पिछले कुछ शोधों से पता चला है कि लगभग 40 प्रतिशत स्त्री और पुरुष अपने जीवनकाल के किसी समय पर कैंसर से ग्रसित होंगे. अधिकतर कैंसर जेनेटिक बदलाव की वजह से होते है जो किसी व्यक्ति के जीवन में उम्र के बढ़ने के साथ या वातावरण के हानिकारक घटकों के संपर्क में आने से होते है. कुछ दूसरे कारक भी इसके लिए जिम्मेदार होते है, जैसे कि आहार सम्बन्धी गलत आदतें और कसरत न करना भी कैंसर होने की संभावना को बढ़ाते है.
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भ्रम 7: व्यक्ति का रवैया (नकारात्मक या सकारात्मक) कैंसर होने का जोखिम या कैंसर से स्वस्थ होने का निर्धारण करता है ?
तथ्य: ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है जिसके अनुसार किसी व्यक्ति का कैंसर से ग्रसित होना या कैंसर से मृत्यु होने को उसके रवैये से जोड़ा जा सके. अगर किसी को कैंसर है तो उसका कभी कभी उदास, नाराज या हतोत्साहित होना सामान्य बात है. हालाँकि, सकारात्मक रवैया होने पर व्यक्ति शारीरिक रूप से सक्रिय रहता है, जो उसके कैंसर की पहचान और इलाज के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायता करता है.
भ्रम 8: बालों को रंगने से कैंसर हो सकता है ?
तथ्य: ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि बालों को रंगने से कैंसर की संभावना होती है. हालाँकि, कुछ अध्ययन बताते है कि हेयरड्रेसर या सैलून में काम करने वाले लोगों में नियमित रूप से अत्यधिक मात्रा में हेयर कलर या अन्य हानिकारक रासायनिक उत्पादों के संपर्क में आने के कारण मूत्राशय का कैंसर होने का जोखिम रहता है.
भ्रम 9: कैंसर से बचने के लिए कुछ नहीं किया जा सकता ?
तथ्य: तम्बाकू उत्पादों का प्रयोग न करने, सेहतमंद खाने, नियमित व्यायाम करने, सूर्य के हानिकारक विकिरण से बचने, शराब का सेवन न करने या सीमित मात्रा में लेने और नियमित शारीरिक जाँच के द्वारा लगभग 40 प्रतिशत अलग अलग तरह के कैंसर से बचा जा सकता है.
भ्रम 10: केवल ज्यादा जोखिम वाले लोगों को ही कैंसर की जाँच की जरूरत होती है ?
तथ्य: सभी वयस्क लोगों को नियमित रूप से कैंसर की जाँच करवाना चाहिए, क्योकि सही समय पर पता चलने पर कैंसर के सही इलाज और ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है.
इस लेख में दी गई सभी जानकारियां केवल जागरूकता और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए है. यहाँ दी गई जानकारी के आधार पर किसी बीमारी के कारण या उसके उपचार से सम्बंधित किसी भी विषय पर निर्णय लेने से पहले अपने चिकित्सक की सलाह जरूर लें.
मेने आप की पोस्ट पढ़ी और आप के द्वारा बताई गई जानकारी से में पूरी तरह सहमत हूँ। यह बात सही है की कैंसर से लेकर कही बाते अपवाए रहती है। परन्तु इसे पढ़ने के बाद मुझे पता चला की कैंसर की बीमारी कैसे होती है।
धन्यवाद
आपका पोस्ट पढ़ने में बहुत दिलचस्प है। यह बहुत जानकारी पूर्ण और सहायक है। आमतौर पर, मैं कभी भी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं करता हूं लेकिन आपका लेख इतना आश्वस्त करता है कि मैं खुद को इसके बारे में कहने के लिए नहीं रोक पाया । आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, इसे बनाए रखें।
आपने कैंसर के बारे में बहुत ही अच्छा लिखा है ,आपका लेख दैनिक जीवन में बहुत ही लाभकारी है ।यह एक बेहतरीन लेख है और यह बेहतरीन जानकारी देता है